यूक्रेन युद्ध के दौरान उजागर हुआ चीन का खोखला दम्भ

punjabkesari.in Tuesday, Mar 22, 2022 - 05:59 AM (IST)

रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद दिनों-दिन वहां के हालात बदतर होने लगे हैं। स्थानीय लोगों के साथ ही वहां पर विदेशी विद्यार्थियों की संख्या भी प्रभावित हो रही है जो अच्छी-खासी तादाद में यूक्रेन जाकर मैडीकल और मैडीसिन की पढ़ाई करते हैं। युद्ध के कारण विदेशी छात्रों को बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ कर यूक्रेन से बाहर जाना पड़ा। इसमें कई देशों की सरकारों ने अपने नागरिकों और विद्यार्थियों को यूक्रेन से निकालने की व्यवस्था की है। आश्चर्य की बात यह है कि चीन ने यूक्रेन से अपने विद्यार्थियों और नागरिकों को निकालने के कोई इंतजाम नहीं किए, जबकि अपने प्रोपेगंडा के जरिए चीन हमेशा अपने नागरिकों के साथ हर मुसीबत में खड़े होने का दम्भ भरता है, लेकिन यूक्रेन में चीनी विद्यार्थियों और नागरिकों ने जो कुछ भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है वह चीन की पोल खोल रहा है। 

जैसे ही रूस का यूक्रेन पर आक्रमण शुरू हुआ, अमरीका, इंगलैंड, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा सहित कई देशों ने अपने नागरिकों को संदेश भिजवा दिया कि खतरा शुरू होने से पहले ही वे लोग यूक्रेन छोड़ दें। सिर्फ इतना ही नहीं, इन देशों ने अपने नागरिकों को वहां से निकालने के लिए नागरिक विमानों को यूक्रेन भेजा। रूस और चीन के संबंधों को देखा जाए तो चीन को रूस के यूक्रेन पर आक्रमण की जानकारी दुनिया से पहले होनी चाहिए थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इसके बाद सी.पी.सी. ने यूक्रेन से अपने नागरिकों को निकालने में बहुत ढिलाई की। 24 फरवरी को पुतिन के यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद से ही चीन की भूमिका बहुत संदिग्ध रही। शुरूआत से ही चीनी मीडिया, जो कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के कब्जे में है, ने बढ़चढ़ कर रूस का समर्थन किया। चीनी लोगों ने रूस-यूक्रेन युद्ध को एक अलग ही नजरिए से देखा क्योंकि उन्हें चीनी कम्युनिस्ट पार्टी अपने कब्जे वाले मीडिया से हमेशा वही दिखाती आ रही है जो वह दिखाना चाहती है। 

चीनी लोगों पर इसका बुरा प्रभाव कुछ ऐसा पड़ा कि उन्होंने सोशल मीडिया पर यूक्रेन का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया व वहां की लड़कियों पर अभद्र टिप्पणियां करनी शुरू कर दीं। आज के सूचना क्रांति के दौर में यह खबर चंद मिनटों में यूक्रेन पहुंच गई जिसका खामियाजा वहां रहने वाले चीनियों को भुगतना पड़ा। खारकीव के रहने वाले वान्शयाओ चांग ने बताया कि उनके फ्रिज में खाने का कोई सामान नहीं बचा। कोई भी दुकानदार चीनियों को अपना सामान नहीं बेचना चाहता। चांग ने बताया कि वह पिछले 2 दिन से भूखा है। 

निप्रोपेत्रोवस्क के रहने वाले एक चीनी नागरिक ने बताया कि वह अपने 3 दोस्तों के साथ बाजार सामान खरीदने गया था, वहां पर 2 यूक्रेनियों ने उनका पीछा करना शुरू किया और उन पर अपनी पिस्तौल से गोलियां चलाने लगे। कुछ गोलियां उनके सिर के ठीक ऊपर से गुजरीं। वे किसी तरह जान बचा कर घर पहुंचे लेकिन वे सभी बहुत डरे हुए हैं। वहीं ओडेसा की रहने वाली एक चीनी लड़की अपनी आपबीती सुनाते हुए रोने लगी। उसने बताया कि एक सुपर मार्कीट में कुछ यूक्रेनी युवकों ने घेर कर धमकी दी और फिर उसका पीछा करने लगे। बड़ी मुश्किल से वह उनसे बच कर वापस घर लौट पाई। अब वह खाने-पीने का सामान खरीदने बाहर जाने से डरती है। 

एक चीनी होस्ट चिनशिंग ने सोशल मीडिया सिनावेइबो पर पोस्ट में युद्ध खत्म कर शांति की बात की लेकिन चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के समर्थकों ने उसे ट्रोल करना शुरू कर दिया और थोड़ी ही देर में उसका अकाऊंट डिलीट कर दिया गया। इसके बाद हुनान प्रांत के युईयांग शहर की एक सुप्रसिद्ध चीनी टी.वी. होस्ट, मॉडल एवं अभिनेत्री खेलान, जिसके सोशल मीडिया पर 29 लाख फालोअर हैं, जब उन रूसियों के वीडियो पोस्ट करने लगी जो युद्ध के विरोध में रैलियां कर रहे थे तो तुरंत उसका अकाऊंट भी डिलीट कर दिया गया। खेलान के दादा चुंगछिक्वांग पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के पहले जनरल थे यानी इतने प्रभावशाली परिवार से आने वाली प्रसिद्ध व्यक्तित्व को भी कम्युनिस्ट पार्टी ने नहीं बख्शा। 

इसी तरह चीनी छात्रों को राजधानी कीव में चीनी दूतावास ने यूक्रेन से बाहर निकल हंगरी, पोलैंड तथा रोमानिया पहुंचने को कहा जिसका खर्चा विद्यार्थियों को ही उठाना पड़ा। बड़ी मुश्किल से वे यूक्रेन से बाहर निकले लेकिन यहां पर चीनी एयरलाइंस ने उनसे दोगुने से भी ज्यादा भाड़ा वसूला और इन पड़ोसी देशों में चीनी छात्रों को अपने खर्च पर होटल में रहना पड़ा क्योंकि उन्हें तुरंत फ्लाइट्स नहीं मिल रही थीं। एक टिकट के चीनी छात्रों से 17,999 युआन वसूले गए जो भारतीय मुद्रा में 2 लाख 20 हजार रुपए बनते हैं। कई चीनी विद्यार्थियों के पास इतने पैसे नहीं थे तो उन्हें विमान में नहीं जाने दिया गया। साथ ही चीनी सरकार की ओर से उन्हें हिदायत दी गई थी कि सोशल मीडिया पर इस बात की बुराई न करें नहीं तो देश पहुंचने पर उन्हें चीनी पुलिस के साथ चाय पीनी पड़ेगी अर्थात उन्हें हिरासत में लेकर मारपीट की जाएगी।

चीन ने इस घटना से साबित कर दिया है कि जैसा वह दुनिया के सामने खुद को दिखाता है असल में वैसा है नहीं। चीन हर मुसीबत में अपना लाभ देखता है, उसने मुसीबत में फंसे अपने विद्यार्थियों तक को नहीं बख्शा। चीन का प्रोपेगंडा चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की उपज है जिसकी वजह से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन की कई बार बेइज्जती भी हो चुकी है लेकिन चीन कभी भी अपने खोखले दम्भ से बाहर नहीं निकलना चाहता। 


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