चीन का लालच : खत्म होते अफ्रीका और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में लाल शीशम के जंगल

punjabkesari.in Sunday, Feb 06, 2022 - 06:34 AM (IST)

चीन में लाल शीशम (रोजवुड) की बहुत अधिक मांग है। चीन में होंग मू के नाम से जानी जाने वाली यह लकड़ी पुराने समय में राजघरानों में अपनी नक्काशीदार एंटीक मूर्तियों और सजावट की दूसरी वस्तुओं के साथ फर्नीचरों में इस्तेमाल से अपनी शान बढ़ाती थी। लाल शीशम के प्रति अभिजात्य चीनियों का शौक बहुत महंगा था, क्योंकि यह लकड़ी अफ्रीका के जंगलों से आयात होकर आती थी।

पिछले 3 दशकों में जबसे चीन में मध्यम वर्ग के पास देश के औद्योगिकीकरण से पैसा आया है, लाल शीशम की मांग में भी बढ़ौतरी हुई है। आज भी अगर किसी चीनी के घर में लाल शीशम की कोई नक्काशीदार मूर्ति देखी जाती है या उसके घर में लाल शीशम का फर्नीचर रखा है तो उससे पता चलता है कि वह कितना अमीर है। गहरे लाल रंग की चमकती हुई तैलीय बनावट वाली लकड़ी के चीन में बहुत दीवाने हैं। अमीर चीनी आज भी उच्च गुणवत्ता वाले लाल शीशम के लिए लाखों रुपए आसानी से खर्च कर देते हैं। वर्ष 2014 में चीन में 2.60 अरब डॉलर के लाल शीशम का आयात किया गया था, जो हर वर्ष बढ़ते हुए 2021 में 5 अरब डॉलर का हो गया था। 

चीन में आने वाला लाल शीशम सिर्फ अफ्रीका से ही नहीं बल्कि मध्य अमरीकी देशों जैसे ग्वाटेमाला, पनामा, कोस्टारिका और 2 प्रमुख देश जिनके जंगल लगभग साफ हो गए हैं होन्डुरास और निकारागुआ, से भी आता है। दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों से भी लाल शीशम चीन को सप्लाई किया जाता है। ये देश हैं थाईलैंड, म्यांमार, वियतनाम, लाओस तथा कंबोडिया, जहां से लाल शीशम की तस्करी चीन के लिए होती है। चीन में बढ़ती लाल शीशम की मांग के चलते कई देशों के पारिस्थितिकी चक्र को भयंकर नुक्सान पहुंचा है, जहां जंगल अब सपाट मैदान बन गए हैं। वहीं इन देशों में तस्करी, तस्करी से जुड़े अपराध, संगठित आपराधिक गुट बनने लगे हैं। धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और जातीय हिंसा में भी खासी बढ़ौतरी देखी गई। 

बढ़ते अपराध के साथ ही इस लकड़ी पर निर्भर रहने वाली आदिवासी जातियों के लिए एक नई तरह का संकट पैदा हो गया है। जो स्थानीय जातियां लाल शीशम से अपनी जीविका कमाती थीं, ईंधन और पारंपरिक औषधियों में इसका इस्तेमाल करती थीं, उनके अस्तित्व पर खतरा पैदा हो गया है। लाल शीशम बहुत धीमी गति से उगने वाली लकड़ी है, जो दशकों बाद जाकर परिपक्व होती है। चीन की विस्फोटक मांग के चलते अफ्रीका और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के जंगल विरल होने लगे हैं। 

अफ्रीका में 95 फीसदी लाल शीशम गा िबया और सेनेगल से आता है। इन देशों में जंगलों की कटाई को लेकर स त कानून बनाए गए हैं, लेकिन चीनी तस्कर भारी रिश्वत देकर इन लकडिय़ों की कटाई करवाते हैं और उसे हांगकांग के रास्ते मु यभूमि चीन में भेज देते हैं, जहां पर अमीर चीनी ग्राहक बेसब्री से इन लकडिय़ों की प्रतीक्षा करते हैं। बाकी लकडिय़ां माली, टोगो, नाइजीरिया और अन्य देशों से लाई जाती हैं। इसके अलावा मेडागास्कर के मेलेगेसे से भी चीनी तस्कर लकडिय़ों की तस्करी करते हैं। यहां भी चीनी तस्कर पैसों के जोर पर कानून व्यवस्था में व्यवधान पैदा कर अपने मतलब का काम करते हैं। 

चीनियों की मांग के चलते मेडागास्कर में जंगल लाल शीशम से खाली होते जा रहे हैं। एक समय था जब मेडागास्कर के घने जंगलों में दिन में सूरज की रोशनी धरती तक नहीं पहुंच पाती थी। अफ्रीका में मेडागास्कर से तस्करी होने वाले लाल शीशम का भाग सिर्फ 1 प्रतिशत है और पूरे अफ्रीका महाद्वीप से 98 फीसदी रोजवुड लकड़ी तस्करी होकर चीन में जाती है। 

दक्षिण-पूर्वी एशिया की बात करें तो चीन में लाल शीशम की तस्करी कंबोडिया, यांमार, लाओस, वियतनाम और थाईलैंड से होती है। यहां पर भी चीनी तस्करों ने अपना मकडज़ाल फैला रखा है। इस पूरे क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में 150 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी लाल शीशम तस्करों के हाथों मारे जा चुके हैं। हालांकि लाल शीशम के जंगल दक्षिणी चीन में भी मौजूद थे। 
वहां से तस्करों ने इन्हें काटना शुरू किया था।

जब इस इलाके में लाल शीशम खत्म हो गया तो इसके बाद चीन की मांग दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों से पूरी होने लगी, जहां पर लाल शीशम की तस्करी के कारण सिंडिकेट अपराध भी पैर पसारने लगे। दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में एक केन्द्रीय सुरक्षा संगठन के अभाव में एक देश की सीमा से दूसरे देश की सीमा तक लकडिय़ों की तस्करी चीनी तस्करों के लिए बहुत आसान हो गई, जिस कारण यहां अपराध पनपने लगा और तेजी से यहां के जंगल खत्म होने लगे। ये सारी लकडिय़ां हांगकांग के तटों पर ले जाई जाती हैं, जहां पर सुरक्षा में ढील के कारण वहां से ये चीन की मुख्य भूमि पर पहुंचाई जाती हैं। 

वहीं चीन इस मुद्दे पर मक्कारी भरा रटाइरटाया जवाब देता है कि चीन में वही लाल शीशम की लकडिय़ां लाई जाती हैं, जो कानूनी तरीके से देश में आती हैं। दुनिया को दिखाने के लिए चीन ने लाल शीशम की तस्करी रोकने को लेकर अतिरिक्त नियंत्रण उपाय जोड़े हैं, वहीं दूसरी तरफ इन्हीं कानूनों का इस्तेमाल कर चीनी तस्कर लाल शीशम लकड़ी की तस्करी करते हैं। ऊष्णकटिबंधीय प्रदेशों में प्रचुरता में पाया जाने वाला लाल शीशम चीनियों के लालच के कारण जल्दी ही धरती से खत्म होने की कगार पर है। अगर इसकी कटाई पर अब भी लगाम नहीं लगाई गई तो लाल शीशम की लकड़ी दुनिया के लिए अतीत की बात बन जाएगी। 


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