चीन की कारोबारी तस्वीर उतनी लुभावनी नहीं, जितनी दिखाई जाती है

punjabkesari.in Monday, Mar 07, 2022 - 06:16 AM (IST)

इन दिनों चीन में ऑनलाइन शॉपिंग और सेल्स की धूम मची हुई है। चारों तरफ नए विक्रेता उभर आए हैं, जो उपभोक्ता उत्पादों को बड़े उत्साह से ऑनलाइन बेचने में मगन हैं। एक डिजिटल कैमरा, एल.ई.डी. लाइट, कैमरा स्टैंड और एक लेपल माइक और मार्कीटिंग शुरू। कई बार तो कैमरे की जगह विक्रेता अपने मोबाइल फोन को हाथ में पकड़ कर अपने उत्पादों की वीडियो बनाते हुए देखे जाते हैं, जिन्हें उसी समय कई ग्राहक हाथों-हाथ लेते हैं। इससे विक्रेता और ग्राहक दोनों को आराम हो जाता है, विक्रेता उत्पादों को कोरियर द्वारा अपने ग्राहकों तक पहुंचाता है और ग्राहक उसे अली-पे, वीचैट या एंट पेमैंट से पैसे दे देता है। 

आज के चीन की यह तस्वीर देखने में लुभावनी लगती है और चीन को उच्चतम स्तर की क्रय-विक्रय में व्यस्त पाती है। इसमें फैक्टरी में तैयार हौजरी, कपड़े, सौंदर्य प्रसाधन, किचन वेयर, क्रॉकरी से लेकर फल-फूल और सब्जियां बेचने वाले, मत्स्य उद्योग, पोल्ट्री उद्योग से जुड़े लोग भी हैं, जो ताजा अंडे, मीट और डेयरी उत्पाद बेचते नजर आते हैं। असलियत में यह तस्वीर इतनी लुभावनी है नहीं। 

चीन की सरकार इन लाइव स्ट्रीमर्स को एक सफल विक्रेता और उद्यमी के तौर पर दिखाना चाहती है तथा सिर्फ सफल विक्रेताओं की तस्वीरें ही दिखाई जाती हैं। लेकिन चीन सरकार यह बताने में असफल रहती है कि उसे कितने बेरोजगार लोगों को लाइव स्ट्रीमर्स बनाने में कामयाबी मिली है। इनमें से कुछ विक्रेता 30,000 युआन यानी भारतीय मुद्रा में 3 लाख रुपए तक कमा जाते हैं, लेकिन इनकी संख्या बहुत ज्यादा नहीं होती। 

वर्ष 2021 के 11 महीनों में चीन में करीब 43 लाख से ज्यादा छोटे और मंझोले उद्योग बंद हुए, वहीं 13.10 लाख नए माइक्रो व्यापार खुले भी हैं, लेकिन वे उतना अच्छा व्यापार नहीं कर रहे। वर्ष 2020 में 61.30 लाख नए व्यापार खुले थे। वहीं चीन इन बेरोजगारों को कोई पक्का काम देने में असमर्थ है, इसलिए उन्हें फ्लैक्सिबल एम्प्लॉयमैंट देने की बात कर रही है, जिसमें अधिकतर काम संगठित उद्योगों से नहीं जुड़े होते।  इस टर्म का इस्तेमाल चीन पूर्ण बेरोजगारी और अर्धबेरोजगारी पर पर्दा डालने के लिए कर रहा है। 

यू मिनहोंग नामक व्यक्ति द्वारा पेइचिंग में स्थापित न्यू ओरिएंटल ग्रुप चीन का सबसे बड़ा शिक्षा और ट्रेनिंग  इंस्टीच्यूट  है। वर्ष 2021 में चीन सरकार ने फैसला किया कि स्कूली बच्चों पर से स्कूल में शिक्षा और होमवर्क के बोझ को कम किया जाएगा। इसके चलते यू मिनहोंग का पूरा बिजनैस बर्बाद हो गया और अब वह ऑनलाइन सब्जियां बेच रहा हैं सिर्फ 3 घंटे ऑनलाइन बिकवाली में इन्होंने 790,000 डॉलर का व्यापार कर लिया। यू मिनहोंग उन चुङ्क्षनदा लोगों में से हैं जिन्होंने ऑनलाइन व्यापार कर अच्छा मुनाफा कमाया है, लेकिन चीन में ऑनलाइन सामान बेचने वाला हर कोई इतना खुशकिस्मत नहीं है। बहुत सारे लोग महीने में 150 डॉलर ही कमा पाते हैं और इस तरह के हजारों उदाहरण चीन में हैं, जिन्हें चीन सरकार लोगों से छिपाती है। 

पूर्व चीनी वित्तमंत्री लुओ चिवेई ने सार्वजनिक तौर पर चीन की वर्तमान आर्थिक नीतियों और स्थिति पर अपनी ङ्क्षचता जताई है। उन्होंने कहा कि सरकार देश की अर्थव्यवस्था का स्याह पक्ष दिखाने में नाकाम रही है। चीन में वर्तमान में कई व्यापार और कंपनियां बंद हो चुकी हैं लेकिन उनकी रजिस्ट्रेशन कैंसिल करने की सरकारी प्रक्रिया इतनी जटिल है कि उद्यमी अपना कारोबार समेटने के बाद भी रजिस्ट्रेशन कैंसिल नहीं करवा रहे। वहीं चीन की सरकार अपने आधिकारिक आंकड़ों में यह जरूर दिखा रही है कि कितने नौजवानों को नौकरियां मिली हैं, लेकिन इसका फॉलोअप नहीं कर रही कि उन्हें अगले 6 महीने के अंदर ही काम से निकाला जा रहा है। 

सरकार का बड़ी और निजी कंपनियों पर कुठाराघात करना भी एक बड़ी गलती थी, जिस कारण अलीबाबा समूह, टेनसैंट, मेईथुआन और न्यू ओरिएंटल जैसी दिग्गज कंपनियां बैठ गईं और हजारों लोग सड़क पर आ गए। आर्थिक मंदी के दौर में चीन की छोटी और मंझोली कंपनियां बैठ गई हैं क्योंकि उनके पास आर्थिक बैकअप नहीं होता और सरकार ने इनकी मदद नहीं की, जबकि यही कंपनियां चीन की अर्थव्यवस्था को टैक्स का आधा हिस्सा देती हैं, सकल घरेलू उत्पाद में इनकी हिस्सेदारी 60 फीसदी है और शहरी रोजगार में ये 80 फीसदी लोगों को रोजगार मुहैया कराती हैं। अगर समय रहते चीन की कम्युनिस्ट सरकार नहीं जागी तो जितने ज्यादा बेरोजगार चीन में बढ़ेंगे, उतना ही सामाजिक असंतोष बढ़ेगा, जो सामाजिक रोष को बढ़ावा देगा। अंतत: ये सब सरकार पर दबाव बनाएगा, जिसका नतीजा भुगतने के लिए चीन अभी तैयार नहीं दिखता।


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