चीन ने अपने लिए यह ‘ज्वालामुखी’ खुद तैयार किया

punjabkesari.in Friday, Jul 03, 2020 - 04:13 AM (IST)

दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे भारत की पीठ में चीन ने छुरा घोंपा। उसे सबक सिखाना जरूरी हो गया था। सरकार ने बहुत ही सोच समझकर 59 चाइनीज एप्स पर प्रतिबंध लगाया है। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने जब सोमवार को प्रतिबंध की जानकारी दी तो उन्होंने बहुत ही स्पष्ट कहा कि ये एप्स हमारे राष्ट्र की संप्रभुता, सुरक्षा और जनता के लिए एक बड़ा खतरा बनते जा रहे थे। 

चीन सोशल मीडिया से जुड़े एप्स के डाटा का इस्तेमाल कर रहा था। इनमें कई एप्स तो भारत में काफी चर्चित हो गए और बड़े पैमाने पर डाऊनलोड किए गए। इनमें टिकटॉक, शेयरइट, यूसी ब्राऊजर, हैलो, वीचैट, बायडूमैप, लाइकी के नाम सबकी जुबान पर हैं। दूसरी ओर चीन खुद अपने देश में बाहर के एप्स का इस्तेमाल करने की इजाजत अपने लोगों को नहीं देता। अगर आप चीन जाते हैं तो वहां आपका व्हाट्सएप, ट्विटर नहीं चलेगा। आपको वीचैट का इस्तेमाल करना होगा। ऐसा क्यों, आखिर चीन की मंशा क्या है। वह खुद इतना सतर्क बनता है कि बाहर के एप्स पर भरोसा नहीं करता और चाहता है कि लोग उस पर आंख मूंदकर भरोसा करें। यह चालाकी ही नहीं, बल्कि धूर्तता है। 

इस पूरे खेल को हमें समझना चाहिए। आप जब भी कोई एप डाऊनलोड करते हैं तो वह आपके फोटो, वीडियो, मैसेज रीड करने और तरह-तरह की इजाजत मांगता है। आप उसे इजाजत देंगे तभी वह काम करेगा। इस तरह ये एप जब चाहे तब आपकी फोटो, आपके मैसेज, आपकी जानकारियां, आपके वीडियो, आपकी आवाज का इस्तेमाल कर सकते हैं। चीन के एप्स की अगर अमरीकी कम्पनियों के एप्स से तुलना करें तो ये हर उपयोगकत्र्ता से दोगुना जानकारियां मांगते हैं। जिस तरह वे भारतीय डाटा जुटा रहे थे, वह देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक हो सकता था। इसलिए इन चाइनीज 59 एप्स पर प्रतिबंध लगाकर सही काम किया गया है। 

अब बात करते हैं टिकटॉक की। यह एप भारत में काफी ज्यादा लोकप्रिय हो गया था। दुनिया में इसके कुल यूजर में से एक-तिहाई तो सिर्फ  भारत में हैं। यह संख्या 30 करोड़ से ज्यादा बैठती है। यही वजह है कि टिकटॉक की मदर कम्पनी बाइटडांस को इस प्रतिबंध से 6 अरब डॉलर के नुक्सान की बात चीन भी कबूल कर रहा है। हालांकि नुक्सान इससे कहीं ज्यादा है। यह कंपनी फरवरी में अपना आई.पी.ओ. लाने जा रही थी। इसे 100 अरब डॉलर का माना जा रहा था। अब भारत में प्रतिबंधित हो जाने से इस प्राइज में कम से कम 30 फीसदी का नुक्सान यानी 30 अरब डॉलर से ज्यादा की चपत टिकटॉक को लगती साफ  दिख रही है। इसके अलावा अन्य सभी एप्स को मिला लिया जाए तो चीन का यह नुक्सान काफी बड़ा है। हैलो एप भी भारत में चर्चित हो रहा था। शेयरइट भी काफी इस्तेमाल किया जा रहा था। इसके अलावा किसी एप पर आप जितना ज्यादा समय बिताते हैं तो उसकी विज्ञापन आय उतनी ही बढ़ती है। अकेले टिकटॉक को ही हम भारतीयों ने साढ़े 5 अरब घंटे दिए। यह 2019 का आंकड़ा है। 

चीन पर भारत ही नहीं अन्य देश भी प्रतिबंध लगा रहे हैं। वियतनाम ने यह कर दिया है, बांग्लादेश भी ऐसा कर रहा है। मगर ये छोटे देश हैं, इसलिए इनकी चर्चा ज्यादा नहीं हुई। भारत ने जब ऐसा किया तो उसकी वाहवाही अमरीका तक हो रही है। काफी चर्चा है। अमरीकी रक्षामंत्री माइक पोम्पिओ ने भी इसकी सराहना की। इससे अब और कितने देश आगे आते हैं, इसके लिए इंतजार करना होगा। ऐसा करने के लिए जो जज्बा और जोश चाहिए, वह भारत के पास तो है, बाकी और देश इसे कितना करेंगे, यह देखना होगा। यह एक अलग सवाल है। 

चीन की अर्थव्यवस्था पर इस प्रतिबंध का असर साफ नजर आ रहा है। इससे उसके निर्णयों पर क्या असर पड़ता है, यह देखना होगा। चीन की नीति बड़ी अजीबो-गरीब रही है। सीमा पर उसकी नीयत और नीति हमेशा डोलती रही है। वह वास्तविक नियंत्रण रेखा की बात तो करता है मगर इसका निर्धारण नहीं चाहता। वह दो कदम आगे और एक कदम पीछे की नीति पर अन्य देशों के इलाकों पर कब्जा करने की कोशिश करता है। एल.ए.सी. पर वह भारत के साथ भी ऐसा ही करना चाहता है। चीन जगह कब्जाने के बाद स्थिति को सामान्य करना चाहता है ताकि और खतरे पैदा न हों। मगर अब उसके लिए खतरे पैदा हो चुके हैं। सिर्फ  एप्स ही प्रतिबंधित नहीं किए गए हैं, भारत सरकार ने राजमार्ग परियोजनाओं में भी चीन की कम्पनियों को ठेका न देने की घोषणा की है। रेलवे और महाराष्ट्र सरकार भी चीनी कंपनियों पर रोक लगा रहे हैं। चीन अब चाह रहा है कि दुश्मनी आगे न बढ़े। इसलिए वह अब बातचीत पर भी जोर दे रहा है। 

भारत को भी यह साफ तौर पर समझ लेना चाहिए कि चीन के साथ हिंदी-चीनी भाई-भाई का नारा नहीं चल सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चीन के साथ दोस्ती मजबूत करने की बहुत कोशिशें कीं। वह अकेले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने छह-छह बार चीन से दोस्ती का हाथ बढ़ाया। मगर चीन किसी का दोस्त नहीं हो सकता क्योंकि उसका दिमाग हमेशा विस्तारवादी नीति में ही रमा रहता है। इसलिए चीन कभी हमारा सच्चा दोस्त नहीं हो सकता है। पूर्व रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडीस कहा करते थे कि संभव है कि कभी पाकिस्तान से हमारी दोस्ती हो जाए, मगर चीन हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है। उनकी यह बात आज सही नजर आती है। तमाम दोस्ती के प्रयासों के बावजूद चीन ने गलवान घाटी और पूर्वी लद्दाख में जो किया है, वह किसी के भी गले नहीं उतरने वाला। 

ब्रैग्जिट का फैसला 2016 में 3 लाख लोगों के वोट के अंतर से हो गया था। समाज को बांटने और निर्णय लेने पर असर डालने के लिए सोशल मीडिया के जरिए डाटा का खेल किया जा रहा था। चीन ईस्ट इंडिया की तरह काम करता है। चीन हांगकांग में जो कर रहा है, उससे ब्रिटेन नाराज है। आंतरिक मोर्चे पर चीन काफी परेशान है। पड़ोसियों से उसके संबंध बहुत अच्छे नहीं हैं। साऊथ चाइना सी और ईस्ट चाइना सी में वह खुद दिक्कतें पैदा कर रहा है। वह छोटे देशों पर डोरे डाल रहा था। सड़क और बंदरगाहों के विकास के नाम पर वह इन देशों में विस्तार कर रहा है। चीन की हरकतों से एक अंदरूनी और बाह्य दबाव का ज्वालामुखी तैयार हो रहा है। यह ज्वालामुखी कब फटता है बस यह देखना है।-अकु श्रीवास्तव 
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News