चीन को दूसरों से कोई फर्क नहीं पड़ता

punjabkesari.in Wednesday, Oct 05, 2022 - 06:05 AM (IST)

चीन ने श्रीलंका पर अपनी धाक जमाना शुरू कर दिया है, श्रीलंका के जैसे हालात हैं उससे पूरी दुनिया परिचित है। चीन ने श्रीलंका को अपने कर्ज जाल में फांस रखा है इसलिए वह अब श्रीलंका में खुलकर अपनी मनमानी कर रहा है। जिसकी शुरूआत चीन ने श्रीलंकाई मछुआरों के पेट पर लात मारने से की है। 

इन दिनों चीन श्रीलंकाई समुद्री बेसिन में अपने बड़े-बड़े ट्रॉलर्स भेज कर वहां से मछलियां, केकड़े, झींगे, लॉब्स्टर, क्रेफिश, स्क्विड और ऑक्टोपस का शिकार तो कर ही रहा है लेकिन अब चीन सबसे महंगे समुद्री खीरों का भी शिकार कर रहा है, इसे लेकर श्रीलंका के मछुआरे चीनियों से काफी नाराज हैं और श्रीलंका में अब चीनियों के खिलाफ प्रदर्शन भी होने लगे हैं। श्रीलंकाई मछुआरों का कहना है कि चीनी लोग बड़े पैमाने पर उनकी समुद्री संपदा का दोहन कर रहे हैं जो इनकी रोजी-रोटी छीन रहा है साथ ही देश की संपदा को बेचकर खुद भारी मुनाफा कमा रहा है। 

समुद्री खीरे जिन्हें अंग्रेजी में सी-कुकुम्बर कहा जाता है, ये समुद्री शैल्फ और बेसिन में रहने वाले समुद्री जीव होते हैं। जिनके बारे में चीनी लोगों का मानना है कि इन्हें खाने से कई तरह की असाध्य बीमारियों का इलाज हो जाता है जिसमें दिल की बीमारी, वॉल्व का ब्लॉक होना, गठिया और कैंसर भी शामिल है। ये प्रोटीन से भरे रहते हैं, इन समुद्री खीरों को सिंगापुर से लेकर चीन, कोरिया, वियतनाम, जापान और दूसरे पूर्वी एशियाई देशों में लोग खाते हैं, इस वजह से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इनकी मांग बहुत अधिक है। ये बहुत महंगे बिकते हैं, 1 किलो सूखे समुद्री खीरों की कीमत सैंकड़ों डॉलर तक होती है। 

दक्षिण-पूर्वी एशियाई समुद्री बेसिन और पूर्वी चीन सागर के समुद्री बेसिन में ये बहुत बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं। चीन इन समुद्री खीरों को अफ्रीकी देश मैडागास्कर से लेकर दक्षिण अमरीकी देश गैलापागोस तक से भी आयात और तस्करी करता है। इक्वाडोर, पेरू, अर्जेंटीना, चिली तक के समुद्री क्षेत्रों में चीनी ट्रॉलरों की घुसपैठ की खबरें निकलकर सामने आ रही हैं। 

भारत और श्रीलंका के बीच का समुद्री क्षेत्र जिसमें पाक खाड़ी और मन्नार की खाड़ी शामिल है, ये क्षेत्र उत्तरी श्रीलंका के जाफना प्रायद्वीप का इलाका है और इस पूरे क्षेत्र में समुद्र बहुत छिछला होता है, यहां पर सबसे अधिक समुद्री खीरे पाए जाते हैं। यह गर्म पानी के क्षेत्र में मिलते हैं। इनमें सबसे अधिक प्रोटीन पाया जाता है और सामान्य लोग भी प्रोटीन के लिए इसे खाते हैं। चीन इनका शिकार करने के लिए बड़े-बड़े ट्रॉलरों का इस्तेमाल करते हैं जो समुद्र की तलहटी से इन खीरों को मशीनी तरीके से निकालते हैं। 

श्रीलंका की सरकार ने मकाऊ की एक मरीन कंपनी के साथ अगले 10 वर्षों के लिए मन्नार की खाड़ी और पाक खाड़ी से समुद्री संसाधनों के दोहन का एक अनुबंध साइन किया है। ट्रॉलर्स मन्नार की खाड़ी से समुद्री खीरों का शिकार कर रहे हैं। चीन ने अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना बैल्ट एंड रोड के तहत इस क्षेत्र में भारी निवेश किया था जिसकी एवज में अब चीन यहां से गैर-कानूनी काम कर रहा है। वहीं ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’ वाली तर्ज पर हांग-कांग से निकलने वाले अखबार में भारत पर ही चोरी का इल्जाम लगा दिया है जिससे दुनिया का ध्यान भारत की तरफ रहे और चीन बदस्तूर श्रीलंकाई समुद्र से अपनी डकैती जारी रखे। साऊथ चाइना मॉॄनग पोस्ट अखबार ने अपनी 4 सितंबर वाली खबर में लिखा है कि भारत के कई ट्रॉलर श्रीलंका से मछली और समुद्री खीरे चोरी कर रहे हैं। 

साथ ही अखबार यह भी लिखता है कि बीजिंग की कंपनी श्रीलंकाई लोगों को समुद्री खीरों की खेती के गुर सिखा रही है न कि यहां से समुद्री खीरों की तस्करी कर रहे हैं। हाल ही में एक रिपोर्ट के अनुसार चीन ने श्रीलंका से 336 टन समुद्री खीरों का निर्यात सिंगापुर, हांगकांग को किया और अपने देश में भी ले गया। जिसकी अंतर्राष्ट्रीय कीमत 120 करोड़ रुपए बताई जा रही है। चीन इस समय दुनिया की 95 फीसदी गैर कानूनी मछली पकडऩे के मामले में जिम्मेदार है, इक्वाडोर में एक चीनी मछुआरे को गैर-कानूनी तरीके से 6000 शार्क मछलियों के साथ पकड़ा गया था जिसके बाद उसे वहां की जेल में बंद कर दिया गया। चीन के आक्रामक और गैर-कानूनी मछली पकडऩे के कारण पूरी दुनिया में समुद्री संसाधनों में असंतुलन शुरू हो गया है। 

समुद्री संसाधन तेजी से खत्म हो रहे हैं लेकिन चीन को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, वो इस समय मुनाफा कमाने में बुरी तरह व्यस्त है। क्वाड संगठन द्वारा शार्क फिशिंग के खिलाफ उठाया गया कदम कितना कारगर होता है यह तो समय बताएगा लेकिन चीन इस समय बेलगाम समुद्री संसाधनों का गैर कानूनी तरीके से दोहन करने में व्यस्त है। 


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