शताब्दी मनाओ या राजनीति करो

punjabkesari.in Saturday, Sep 14, 2019 - 12:35 AM (IST)

आज विश्व भर में श्री गुरु नानक देव जी के 550वें जन्मदिन बारे चर्चा चल रही है। सामान्यत: लोग सिखों को पगड़ी के कारण अलग कौम मानते हैं। दुनिया के हर देश में सिख अब रहने लग पड़ा है। लगभग 30 लाख सिख बाहर जा चुके हैं मगर अधिकतर गैर सिखों को यह नहीं पता कि इनका बानी कौन है। श्री गुरु नानक देव जी तथा इनके बानी बारे सिख आम लोगों को बता ही नहीं सके। 

मगर करतारपुर गलियारे बारे मांग उठी और उसे लेकर पाकिस्तान तथा भारत के प्रधानमंत्रियों के जो बयान आए उन्होंने सारे विश्व में श्री गुरु नानक देव जी का नाम रोशन किया है। हर कोई हैरान है कि दो देश दुश्मनी की ओर जा रहे हैं, प्रधानमंत्री आपस में हाथ नहीं मिलाते, फिर भी क्या मजबूरी है कि मीलों लम्बा रास्ता बना रहे हैं? यह श्री गुरु नानक साहिब की बढ़ाई है कि उनके मानव एकता के संदेश ने यह ऐतिहासिक निर्णय करवा दिया है। इसका सेहरा केवल श्री गुरु नानक साहिब को ही जाता है। 1991 में बर्लिन की दीवार टूटी तो वह सारी दुनिया के लिए बड़ी खबर थी। आज करतारपुर गलियारा भी वैश्विक समाचार बन चुका है।

पंजाब में गत कई दिनों से एक खबर छप रही है कि शिरोमणि कमेटी पंजाब सरकार को अलग समारोह करने से रोक कर अकाल तख्त के जत्थेदार के माध्यम से एक सांझी कमेटी बनाकर सांझा कार्यक्रम करना चाहती है। लोग समझ नहीं सके कि जब शताब्दी का दिन नजदीक है, हम क्या लड़ाई लड़ रहे हैं, सभी ओर राजनीति गर्म है। एक-दूसरे पर आरोप लगाने की दौड़ लगी हुई है। ऐसा लग रहा है कि शताब्दी मनाने का कार्यक्रम एक ओर किया जा रहा है। एक ओर तो विश्व भर में श्री गुरु नानक देव जी बारे जानकारी लेने का लोगों में उत्साह देख रहे हैं तो दूसरी ओर उनको क्या दिखा रहे हैं कि सिखों में एकता हो ही नहीं सकती? 

12 नवम्बर को 550वां जन्मदिन है। अब केवल दो महीने बचे हैं। हमने राजनीतिक लाभ के लिए यह बखेड़ा खड़ा कर दिया है। इस अखबारी जंग ने शताब्दी पीछे हटा दी है। भारत से बाहर बसते श्री गुरु नानक देव जी के श्रद्धालु तो प्रतीक्षा कर रहे हैं कि इस शताब्दी में कौन-सी नई बात होगी, कौन-सी किताबें, फिल्में, प्रदर्शनी, लाइट एंड साऊंड शो, लेजर शो तैयार किए गए हैं? क्या गुरु नामलेवा, विशेष कर सहजधारी, सिंधी, निर्मले, उदासी, नानकपंथी इस बार बुलाए जाएंगे? क्या उनके इकट्ठा होंगे? क्या राय बुलार, भाई मरदाना के परिवार के लोग आएंगे?

आज तकनीक का युग है। इसका इस्तेमाल करके सारी दुनिया में श्री गुरु नानक देव जी की बाणी पहुंचती है। श्री गुरु नानक देव जी लगभग 10 देशों में गए थे। क्या वहां समारोह करने का कार्यक्रम है? क्या उन देशों के राजदूतों के साथ शिरोमणि कमेटी बैठक कर चुकी है। एक अच्छी बात भारत सरकार ने कर दी है। 

सुषमा स्वराज जब विदेश मंत्री थीं, उन्होंने आदेश दिए थे कि भारत के सभी दूतावासों में ये कार्यक्रम मनाए जाएं। मैं पिछले हफ्ते आबुधाबी तथा दुबई में भारतीय राजदूतों द्वारा करवाए गए सैमीनार के लिए गया था। वेंकूवर तथा मस्कट में भी ये सैमीनार किए गए हैं। तिब्बत में श्री गुरु नानक देव जी को ‘लामा’ माना गया है। क्या वहां से कोई लोग आएंगे? ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा। कई बैठकों में मैंने विचार दिए थे कि श्री गुरु नानक देव जी बारे दुनिया के बड़े लोगों के लेख एकत्र करके किताब छपे। टैगोर ने क्या कहा, राष्ट्रपति राधाकृष्णन क्या लिख गए। अब मोहन भागवत ने यह लिख कर कमाल कर दिया है कि सदियों की गुलामी के कारण भारतीय लोगों की मरी हुई आत्मा को श्री गुरु नानक देव जी ने ही जिंदा किया था। आर.एस.एस. ने कुछ दिन पूर्व अपने राष्ट्रीय सम्मेलन में श्री गुरु नानक देव जी के जीवन बारे एक प्रदर्शनी लगाई थी। 

दिल्ली में भारत की सबसे बड़ी रामलीला मनाई जाती है। कांग्रेस तथा भाजपा वाले इकट्ठी नहीं मना सके। रामलीला ग्राऊंड वाली कांग्रेस तथा लाल किले वाली भाजपा मनाती थी। हम क्यों झगड़ रहे हैं? जब 2008 में हजूर साहिब श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की 300वीं शताब्दी मनाई गई थी तो स्टेज पर केवल डा. मनमोहन सिंह बोले थे। पसरीचा स्टेज सैक्रेटरी, प्रकाश सिंह बादल, सुरजीत सिंह बरनाला, गवर्नर तथा शिरोमणि कमेटी के प्रधान मक्कड़ स्टेज पर बैठे थे मगर उन्होंने भाषण नहीं दिए। पटना में सारा पंडाल बिहार सरकार ने बनवाया, स्टेज तथा कार्यक्रम नीतीश कुमार ने तय किया और स्टेज सैक्रेटरी भी उनका था। 1999 में 300 साला पर्व के अवसर पर आनंदपुर साहिब में टोहड़ा ग्रुप ने अलग स्टेज लगाई थी, पंजाब सरकार ने पंडाल बनाया था तथा मंत्री कंवलजीत सिंह स्टेज सैक्रेटरी थे। 

कहीं झगड़ कर शताब्दी गुजर ही न जाए। वक्त कम है, बहुत कुछ करना बाकी है। गुरु वाले बनो, गुरु नानक सबका है। हाल ही में मैंने सुझाव दिया था कि 12 नवम्बर को जन्मदिन ननकाना साहिब में मनाया जाए। हम भूल ही गए हैं कि यह हमारा कत्र्तव्य है कि वहां हाजिरी भरें, अकाल तख्त के जत्थेदार यह काम अपने हाथों में लें। कम से कम दुनिया के सभी सिख मंत्री, सांसद, विधायक, सभी गुरुद्वारा प्रबंधक उस अरदास में शामिल हों। भारत तथा पाकिस्तान सरकार से मदद मिल सकती है। ननकाना साहिब को न भूलो, इतिहास माफ नहीं करेगा। ईसाई हमेशा ईसा के जन्म स्थान बैथलहम (इसराईल) जाते हैं। रोम पोप का मुख्यालय है। 

दिल्ली में गुरुद्वारा कमेटी ने कई अच्छे कार्यक्रम किए हैं, जिनमें डा. मनमोहन सिंह भी शामिल हुए थे। डब्ल्यू.पी.ओ. के प्रधान विक्रमजीत सिंह साहनी ने हरबख्श लाटा का तैयार किया लाइट एंड साऊंड शो करवाया लेकिन सिखों की फूट यहां भी अखबारी सुर्खियां बन चुकी है। परमजीत सिंह सरना ने अलग नगर कीर्तन ननकाना साहिब ले जाने की घोषणा करके सिखों की स्थिति हास्यास्पद बना दी है। अब तो लगता है कि राजनीति छा रही है। ‘धर्म पंख कर उड्डेया’ का गुरु कथन नजर आ रहा है। 

बुद्धिजीवी सिख तथा संत-महात्मा चुप बैठे हैं। लीडरों को कौन गुरु की ओर लगाएगा? विश्व श्री गुरु नानक देव जी के संदेश को सुनने के लिए उतावला है, सारी क्षमता इसके प्रचार के लिए लगा दो तथा गुरु की मेहर के पात्र बनो।-तरलोचन सिंह(पूर्व सांसद)
 


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