सिखों में अपना ‘इकबाल’ बुलंद करने को लालपुरा पर बड़ा दाव

punjabkesari.in Friday, Aug 19, 2022 - 05:11 AM (IST)

किसान आंदोलन में हुई किरकिरी और बाद में पंजाब विधानसभा के चुनाव बुरी तरह हारने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार का रवैया पंजाब को लेकर बेहद नरम है। यहां तक कि सिख मसलों पर भी मोदी सरकार का समर्थन सिखों के साथ ही है। अभी तक अकाली दल को सिखों की पार्टी के रूप में माना जाता था, लेकिन वर्तमान हालात और अकाली दल के खराब दौर के चलते भाजपा खाली अंतराल को भरने की कोशिश कर रही है। 

सिख मसलों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष झुकाव के कारण भाजपा की नीतियां भी बदल रही हैं। बुधवार को नवगठित भाजपा की सर्वोच्च नीति निर्धारण कमेटी केंद्रीय संसदीय बोर्ड एवं केंद्रीय चुनाव समिति में पंजाब के इकबाल सिंह लालपुरा को शामिल करना एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इकबाल सिंह वर्तमान में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन हैं। सिख विद्वान इकबाल सिंह लालपुरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पसंदीदा भी माने जाते हैं। यही कारण है कि पिछले 2 साल में उन्हें तेजी से इस मुकाम तक पहुंचाया गया है। 2012 में वह भाजपा से जुड़े और पंजाब भाजपा के विभिन्न पदों पर काम किया। 2020 में उन्हें केंद्र की राजनीति में लाया गया और आज बड़ी टीम के सदस्य के रूप में नवाजा गया। 

पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी लालपुरा ने 1980-81 के दशक में जरनैल सिंह भिंडरांवाला को पकडऩे में अहम भूमिका निभाई थी। लालपुरा उस समय इंस्पैक्टर पद पर तैनात थे। कहते हैं कि जब भिंडरांवाले को गिरफ्तार करने की पंजाब पुलिस ने कोशिश की थी, तो भिंडरांवाला ने साफ कहा था कि वह किसी अमृतधारी पुलिस अधिकारी के सामने गिरफ्तारी देंगे। तब लालपुरा को आगे किया गया और भिंडरांवाले की गिरफ्तारी हुई थी। आतंकवाद के दौर में पंजाब में बंदूक थामने वाले युवाओं को मुख्यधारा में लाने में भी लालपुरा ने बड़ी भूमिका निभाई। लालपुरा ने आई.पी.एस. बनने तक का सफर एन.जी.ओ. रैंक से शुरू किया था। इसके अलावा वह 1978 में निरंकारियों से हुए टकराव में भी जांच अधिकारी रहे हैं। 

इकबाल सिंह लालपुरा को एक सिख विद्वान के तौर पर जाना जाता है। वह अब तक 14 से अधिक किताबें लिख चुके हैं। 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में भाजपा ने लालपुरा का अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन पद से इस्तीफा दिलवाकर रूपनगर विधानसभा सीट पर चुनाव लड़वाया था, लेकिन वह चुनाव हार गए। बावजूद इसके लालपुरा को वापस राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का चेयरमैन बनाया गया। अब लालपुरा आयोग के चेयरमैन के साथ ही भाजपा की सर्वोच्च नीति निर्धारक कमेटियों के सदस्य भी बन गए हैं। इसलिए माना जा रहा है कि पंजाब के बारे में लालपुरा की राय को पार्टी अहमियत देगी। यह पहला मौका है जब भाजपा की सबसे बड़ी कमेटी में सिख चेहरे को जगह दी गई है। लालपुरा को आगे कर भाजपा भविष्य में बड़ा दाव भी चल सकती है। 

भाजपा-शिअद के दोबारा गठजोड़ की संभावना : भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल (बादल) के बीच दोबारा गठजोड़ हो सकता है, ऐसी संभावना जताई जा रही है, क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल और भाजपा अगर अकेले-अकेले चुनाव लडऩे उतरेंगे तो पंजाब में सत्ताधारी दल आम आदमी पार्टी को फायदा हो सकता है। वैसे भी पंजाब में अकाली दल अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। पुराने साथी ज्यादातर साथ छोड़ चुके हैं। कुछ ने नई पार्टी बना ली है, तो कुछ दूसरे दलों में शामिल हो गए हैं। अगर गठबंधन फिर से हो जाता है तो अकाली दल को पंजाब से लेकर दिल्ली तक संजीवनी मिल जाएगी। अकाली दल के लिए अब शिरोमणि कमेटी (एस.जी.पी.सी.) को बचाना भी एक बड़ी चुनौती बन गया है, क्योंकि एस.जी.पी.सी. हाथ से गई तो पार्टी का सफर मुश्किल भरा हो जाएगा। 

पांच तख्तों के दर्शन के लिए चलेगी गुरु कृपा ट्रेन : पंजाब सहित देशभर के लाखों सिखों के लिए बड़ी खुशखबरी है। रेल मंत्रालय सिख धर्म के पांचों प्रमुख तख्तों एवं अन्य धार्मिक स्थानों को कवर करने वाली गुरु कृपा ट्रेन जल्द ही चलाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए रेलवे पूरा सॢकट तैयार कर रहा है। इस संबंध में दिल्ली, अमृतसर और नांदेड़ साहिब में बातचीत हुई है। सिख श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अलग धार्मिक ट्रेन सर्किट के लिए हाल ही में शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव से मिले थे। उन्होंने इस बाबत एक ज्ञापन भी दिया है।-दिल्ली की सिख सियासत सुनील पांडेय
 


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