बाइडेन मात्र राष्ट्रपति हैं, एक सिस्टम नहीं

punjabkesari.in Saturday, Sep 18, 2021 - 04:32 AM (IST)

काबुल में तालिबान द्वारा अपने हथियारों को लहराने और फिलिस्तीनियों द्वारा अपने चम्मचों (टी-स्पून) को घुमाने के बीच निश्चित तौर पर समानता है। फिलिस्तीनियों द्वारा खुशी मनाने का कारण यह है कि 6 फिलिस्तीनी कैदी उत्तरी इसराईल के सबसे हाई सिक्योरिटी गिलबोआ जेल में से आश्चर्यजनक तरीके से फरार हो गए। स्पष्ट तौर पर यह उस देश के लिए शर्मनाक बात है जो अपने आप को विपणन योग्य सुरक्षित राष्ट्र के तौर पर पेश करता है। चम्मच एक  प्रतीक बन गया है क्योंकि 6 कैदियों ने इसका इस्तेमाल उनके सैल के साथ जुड़े टॉयलैट में एक होल को खोदने के लिए किया। 

इसराईली अधिकारियों के अनुसार कैदियों का संबंध फिलिस्तीन इस्लामिक जेहाद के साथ है। ‘टाइम्स ऑफ इसराईल’ के अनुसार इस समूह का नेता जकरिया जुबैदी एक अल-अक्सा मारटेयर्ज ब्रिगेड का पूर्व कमांडर था। जुबैदी तथा तीन अन्य (इस लेख को लिखने के समय तक) गिरफ्तार हो चुके हैं जोकि एक अलग अध्याय है। काबुल तथा गिलबाओ के बीच बिना किसी शंका के इतिहास में एक समानता है। अमरीका तथा उसका सहयोगी इसराईल क्षेत्रीय तौर पर हिजबुल्ला जैसे अरब मिलीशिया के साथ गतिरोध समझता है। 

बड़े पैमाने पर खुफिया तंत्र की असफलता दोनों घटनाओं से जुड़ी हुई है। जेल को तोड़ कर भागना और अफगानिस्तान में पुन: शासन हथियाने की आपस में तुलना नहीं की जा सकती। मगर फिलिस्तीनी लोग इस घटनाक्रम को अपने नजरिए से देखते हैं। ‘टाइम्स ऑफ इसराईल’ की रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘आतंकी संगठनों के लिए जेल से भागना एक उच्च स्तरीय सफलता माना जा रहा है। फिलिस्तीनियों में इस बात को लेकर काफी उत्साह है। 

अफगानिस्तान में अमरीकी पराजय 29 जनवरी 2002 की याद दिलाती है जब पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने देश को संबोधित किया। इस भाषण को लेकर बुश ने स्वतंत्र अफगानिस्तान में एक नेता के तौर पर हामिद कारजेई का स्वागत किया। इस भाषण पर विडम्बनाओं के ऊपर विडम्बनाएं रखी गईं। बुश ने घूरते हुए कहा कि, ‘‘किसी समय अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने वाले आतंकी ग्वांतानामो बे की जेलों में सड़ रहे हैं।’’ इस पर भी एक चिंताजनक अपडेट है। तालिबान न केवल काबुल में पुन: सत्ता में लौटे और 2015 में ग्वांतानामो बे से कम से कम पांच लोग अब काबुल में सत्ता को पाने वाले छोड़े गए। 

इन बातों से क्या संकेत मिता है? हमें आशा नहीं कि अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन उसी भाषा में बोलेंगे। मगर लगता है कि कभी खत्म न होने वाले युद्धों को खत्म करने का उन्होंने वायदा किया। अमरीकी युवा जो आज 20 वर्षों के हो चले हैं, ने कभी भी अमरीका को शांति से बैठे नहीं देखा। पूर्व सैनिकों के बीच आत्महत्या करने की दर प्रतिदिन 18 की है। निश्चित तौर पर बाइडेन इस आंकड़े से घृणा करेंगे। बेशक समस्या यह है कि बाइडेन मात्र राष्ट्रपति हैं एक सिस्टम नहीं है। वह एक सहमति की अनुभूति के साथ आगे बढ़ रहे हैं जो उन्होंने अपने इर्द-गिर्द बना रखी है। उन्होंने एफ.बी.आई. की रिपोर्ट को भी गुप्त सूची से बाहर कर दिया है जिसमें खुलासा किया है कि 9/11 के साथ सऊदी नागरिकों का संबंध है। येबातें दर्शाती हैं कि बाइडेन ने पिछली कार्यशैली से तेजी से अपने आपको अलग किया। 

अब अफगानिस्तान से सैन्य सुरक्षा वापस ले ली गई है। हाल ही के सप्ताहों में अमरीका ने अपने सबसे एडवांस मिसाइल सिस्टम को हटा दिया है। पेंटागन ने इस बात पर भी मोहर लगाई है कि अमरीका ने इराक, कुवैत और जार्डन से अपने सुरक्षाबलों में कमी की है। अमरीका की अफगानिस्तान से वापसी आने वाले सालों में हमारे दिमाग में जीवंत रहेगी। इन कहानियों के बावजूद अमरीकी रणनीतिकार आपको बताएंगे कि मध्य एशिया का अभी त्याग नहीं किया जा रहा। अमरीका के लिए इसराईल का समर्थन टिकाऊ है। यहूदियों का बैंकों, मीडिया, शिक्षण संस्थानों, चुनाव तथा वित्त पर नियंत्रण है। अमरीका में इसराईल के पूर्व राजदूत रॉन डरमर ने इसराईल से निवेदन किया है कि वह अमरीकियों का समर्थन पाने की प्राथमिकता पर ध्यान दे। लोगों को यह समझना चाहिए कि  इसराईल के लिए अमरीका में समर्थन की रीढ़ की हड्डी ईसाई हैं। इसराईल को सुख की सांस लेनी चाहिए क्योंकि ऐसा संकेत नहीं है कि जो बाइडेन इस सोच से अपने आपको परे रख रहे हैं। 

इसराईल सूक्ष्म समायोजन के लिए अपने पड़ोस के आकार के इर्द-गिर्द आंखें घुमा रहा है। ईरान कम नहीं हो रहा। यमन में होठी, ईराक में हशद अल शाबी, लेबनान में हिजबुल्लाह, सीरिया में राष्ट्रपति असद के समॢथत ग्रुप तथा अफगानिस्तान में ईरान की भूमिका बढ़ रही है। ये सभी बातें इस क्षेत्र में ईरान की स्थिति को और सुदृढ़ कर रही हैं। इस परिदृश्य में ईरान की भूमिका भविष्य में अमरीका के हित की बात होगी। आस्ट्रेलिया, यूके तथा अमरीका  के सहयोग को आगे बढ़ाने का यह विचार आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड तथा अमरीका के सहयोग से ही उपजा है जोकि सोवियत यूनियन के खिलाफ था। बाइडेन का यह विचार बराक ओबामा के उस विचार से मिलता है जिसके तहत उन्होंने इसे एशिया के लिए धुरी बताया था। पश्चिम एशिया अभी भी महत्वपूर्ण है और यह वाशिंगटन के ध्यान में उसकी विषम मांगों में शामिल है।-सईद नकवी
        


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