कांग्रेस की गिरती साख को ऊपर उठाएगी ‘भारत जोड़ो यात्रा

punjabkesari.in Monday, Sep 12, 2022 - 04:23 AM (IST)

राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो’ यात्रा का मुख्य उद्देश्य कांग्रेस को एक बार फिर से पुनर्जीवित करने का है। इसके माध्यम से राहुल जमीनी स्तर पर लापता लोगों के साथ संबंध को फिर से स्थापित करना चाहते हैं। पार्टी के ङ्क्षथक टैंक का दावा है कि इस यात्रा का मुख्य मंतव्य भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण अडवानी की ऐतिहासिक यात्राओं जैसा प्रभाव पैदा करने का है। 

1990 में अडवानी ने हिंदुत्व की भावनाओं को जगाने के लिए रथ यात्रा का आयोजन किया था। उसके बाद मुरली मनोहर जोशी की यात्रा का मकसद 14 राज्यों में राम मंदिर मामले को लेकर हिंदुओं को एकजुट करने का था। दलितों और पिछड़े वर्गों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए कांशीराम ने राष्ट्रव्यापी मुहिम चलाई थी जिसके माध्यम से वह समाज की अन्य ऊंची जातियों की श्रेष्ठता के विरुद्ध पिछड़े वर्ग के अधिकारों को आगे बढ़ाना चाहते थे। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रैड्डी ने 19 माह की जेल के बाद राज्य व्यापी यात्रा का आयोजन किया था। 

इस पृष्ठभूमि में विशेषकों का मानना है कि राहुल गांधी की 150 दिनों की 3570 किलोमीटर लम्बी यात्रा को कांग्रेस पार्टी का सबसे बड़ा जनसम्पर्क अभियान कहा जा सकता है। इस यात्रा का उद्देश्य उन तमाम लोगों के बीच विश्वास पैदा करना है जिन्होंने संकट झेला है। यात्रा के दौरान होने वाली रैलियों में अस्तित्व की समस्या पर प्रकाश डाला जा रहा है। 

कांग्रेस की भावी रणनीति और यात्रा का समय : कुल मिलाकर कांग्रेस की गिरती साख को देखते हुए ‘भारत जोड़ो’ यात्रा पार्टी के लिए ‘संजीवनी’ के रूप में कार्य कर सकती है। वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं द्वारा इस यात्रा को एकजुटता के रूप में वर्णित किया जा रहा है। भारत के राजनीतिक इतिहास में यह यात्रा कांग्रेस के लिए ‘टर्निंग प्वाइंट’ साबित होगी। 

राहुल गांधी आम आदमी के मुद्दों को उजागर करना चाहते हैं जोकि बढ़ती हुई कीमतों के बोझ, दही, घी, दूध इत्यादि पर लागू जी.एस.टी., ईंधन की बढ़ती कीमतों, करोड़ों शिक्षित युवकों की बेरोजगारी समस्या, कोविड-19 के बाद संघर्ष कर रहे उद्योगों, किसानों के अस्तित्व की समस्या जैसी बातों पर केंद्र सरकार की विफलता को लेकर कोई भी राजनीतिक दल राष्ट्रव्यापी तौर पर इन्हें अभी तक उठा नहीं पाया। इस यात्रा के माध्यम से राहुल गांधी लोगों का ध्यान उनकी चिंताओं पर केंद्रित कर सकते हैं। 

यह याद किया जा सकता है कि अपनी 3000 किलोमीटर राज्यव्यापी यात्रा से जगन मोहन रैड्डी ने लोगों को आश्वस्त किया था कि वे उनकी समस्याओं को उजागर कर रहे हैं। लोगों में जगाए गए विश्वास के कारण उनकी पार्टी वाई.एस.आर. कांग्रेस ने 2019 के विधानसभा चुनावों में 175 में से 144 सीटें जीतीं। अडवानी की 10,000 कि.मी. लम्बी रथ यात्रा ने भाजपा की किस्मत को नाटकीय ढंग से बदल डाला। कांग्रेसी नेता वाई.एस. राज शेखर रैड्डी ने अप्रैल 2003 में 1400 कि.मी. लम्बी पद यात्रा की और उसके बाद कांग्रेस को विजय दिलवाई। उन्होंने चंद्र बाबू नायडू के नेतृत्व वाली तेलगूदेशम पार्टी (तेदेपा) को मात दी। 

दोहरा उद्देश्य : राजनीतिक पंडितों का कहना है कि राहुल की यात्रा के दोहरे उद्देश्य हो सकते हैं। पहला यह कि 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए राहुल पार्टी नेताओं तथा कार्यकत्र्ताओं में जान फूंक सकते हैं। यह चुनाव पार्टी की किस्मत का निर्णय कर सकते हैं। दूसरा यह कि पार्टी में विद्रोह ने पार्टी कार्यकत्र्ताओं का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। ये लोग अब राहुल गांधी के नेतृत्व में अपना फिर से भरोसा जता सकते हैं। हालांकि राहुल गांधी नियमित अध्यक्ष की दौड़ से बाहर हो रहे हैं। इस पद के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री और गांधी परिवार के विश्वासपात्र अशोक गहलोत सबसे आगे हैं। यह बात भाजपा की परिवारवाद पर कटाक्ष करने की विचारधारा को कमजोर कर सकती है। 

पिछली यात्राओं के मुकाबले राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा सोशल मीडिया के चलते और उभर कर सामने आई है। सोशल मीडिया के माध्यम से करोड़ों युवक और गांव वासी कांग्रेस तक पहुंच बना सकते हैं। यू-ट्यूब, व्हाट्सअप, ट्विटर, फेसबुक और टी.वी. चैनल के माध्यम से समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग राहुल की यात्रा से जुड़ सकता है। हजारों की संख्या में नवोदित पत्रकार अपना स्थानीय यू-ट्यूब चैनल चला रहे हैं जिसे ग्रामीण लोग देख रहे हैं। दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक हर जिले और  राज्य के समाचार पत्र इस यात्रा को कवर कर रहे हैं। सार्वजनिक महत्व के मुद्दों को उजागर किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर भाजपा का मुकाबला न करने की बात से भी कांग्रेस ने सबक सीखा है। भाजपा ने 41,000 की लागत वाली राहुल गांधी की टी-शर्ट की आलोचना की है जबकि कांग्रेस ने भाजपा को मोदी के 10 लाख की लागत वाले सूट पर स्मरण करवाया है। 

हिंदी बैल्ट में मिल सकती है बेहतर प्रतिक्रिया : यह यात्रा तमिलनाडु में कन्या कुमारी से शुरू हो चुकी है। इसके बाद यह तिरुवनंतपुरम, कोच्चि, नीलांबुर, मैसूर, बेल्लारी, रायचूर, नांदेड़, जलगांव, इंदौर, कोटा, दोसा, अलवर, बुलंदशहर, दिल्ली, अम्बाला, पठानकोट और जम्मू से गुजरेगी। रिपोर्ट के अनुसार उत्तरी राज्यों में इसे बेहतर प्रतिक्रिया मिल सकती है। राहुल की लोक समर्थित छवि के चलते भाजपा कुछ असमंजस में रह सकती है। राहुल लोगों से सीधा संवाद पैदा करेंगे। इस यात्रा को लोग इसलिए भी सराहेंगे क्योंकि राहुल राष्ट्रीय पार्टी के एकमात्र नेता हैं जो अपनी यात्रा के माध्यम से लोगों की ङ्क्षचताओं को उजागर करेंगे।-के.एस. तोमर
 


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