युवा पीढ़ी को गर्त में धकेल रही सट्टेबाजी

punjabkesari.in Sunday, May 14, 2023 - 04:48 AM (IST)

हमारी आज की युवा पीढ़ी तुरंत अमीर बनना चाहती है और वह भी बिना कुछ किए धरे। ऐसे में युवा कहीं न कहीं स्वयं को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से अपराध की दुनिया में धकेलना शुरू कर देता है और यह अपराध की दुनिया उस व्यक्ति विशेष को कहीं का भी नहीं छोड़ती, उसे बर्बाद कर देती है। 

बिना मेहनत के धन कमाने के लिए वह या तो चोरी करता है अथवा डकैती, लूटपाट या अवैध काम। यहां तक कि बहुत बार तो तकनीक का गलत इस्तेमाल कर वह धन कमाना चाहता है, देश के विभिन्न हिस्सों में यह धंधा लगातार जोर पकड़ रहा है। विशेषकर हमारी युवा पीढ़ी इसमें ज्यादा लिप्त नजर आती है। आज जिधर नजर दौड़ाएं उधर ऑनलाइन सट्टेबाजी फैलती दिख रही है, जो बहुत ही ङ्क्षचता की बात है। ऐसा भी नहीं है कि पुलिस इन पर कोई कार्रवाई नहीं करती लेकिन पुलिस में भी कहीं न कहीं भ्रष्टाचार, बेईमानी के चलते ऐसा संभव हो पा रहा है। 

सच तो यह है कि आज युवाओं की जरूरतें बढ़ गई हैं और वे उनको पूरा करने के लिए ऐसे हथकंडे अपनाने लगे हैं, जो उन्हें लगातार गर्त में धकेल रहे हैं। हमारे युवा फैंटेसी एप्स के चक्कर में फंसकर अपना सर्वस्व लुटा रहे हैं। ऐसे ऐप्स की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और पिछले कुछ सालों में इनकी बाढ़ आ चुकी है। एक ही दिन में हजारों करोड़ों लोग इन ऐप्स पर अलग-अलग टीम बनाते हैं और करोड़पति बनने के लालच में जमकर पैसे लगाते हैं। हालांकि इन गेम्स पर नकेल कसने की बात कही जा रही है लेकिन अब भी धरातल पर कुछ विशेष नहीं हो पाया है। सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि युवाओं की अनावश्यक जरूरतें, बेवजह के अनगिनत शौक और जल्द अमीर बनने की हसरत का फायदा उठाकर सटोरिए इन्हें अपने जाल में फंसा रहे हैं। 

आज विभिन्न शहरों में, बाजारों में, अस्पतालों के बाहर, मॉल, पार्कों, बस स्टैण्ड, कैब, ऑटो, चाय की थडिय़ों, दुकानों, होटल व रेस्तरांओं में पुलिस यदि पैनी नजर रखे तो उसे कॉपी-पैन या फिर दो-तीन मोबाइल फोन या लैपटॉप आदि लेकर बातचीत करते वहां खड़े युवा नजर आ जाएंगे। उनकी हरकतों को देखकर पुलिस को सट्टेबाजी का अंदाजा हो जाता है। हैरत की बात यह है कि बड़े शहरों के व्यस्त बाजारों में तो ठेला लगाने वाले, छोटा-मोटा काम करने वाले लोग तक सट्टे लगाने में सक्रिय हैं। 

वास्तव में, आज फैंटेसी ऐप्स का बिजनैस कितना बड़ा है, यह इसी बात से साबित हो जाता है कि इन ऐप्स के विज्ञापन में बॉलीवुड से लेकर खेल जगत के वे सितारे शामिल हैं, जिनकी विज्ञापन की फीस तक करोड़ों में होती है। फैंटेसी ऐप्स में हर साल स्टार्स की फेहरिस्त लगातार बढ़ती चली जा रही है। आज सिर्फ क्रिकेट में ही नहीं, पैसों का यह खेल तीन पत्ती (रमी गेम), लूडो, बिजनैस, और ऐसे ही बाकी दूसरे ऑनलाइन गेम्स में भी चल रहा है। दरअसल ऐसे विभिन्न ऑनलाइन ऐप्स लूपहोल्स का फायदा उठाकर करोड़ों का बिजनैस कर रहे हैं। हैरानीजनक बात तो यह है कि इनमें आयु की भी कोई सीमा तय नहीं है और 18 साल से कम उम्र के बच्चे भी टीम बनाकर ऑनलाइन सट्टा लगा रहे हैं। इसके लिए सख्त नियम बनने जरूरी हैं। 

बात सिर्फ सट्टे की नहीं है, युवा पीढ़ी की है, जो गलत राह पर चल कर बर्बादी की ओर बढऩे लगी है। आज कोई और तो कल हमारे घर का भी कोई सदस्य सट्टेबाजी के इस भंवरजाल में फंस सकता है। आम से लेकर खास तक किसी भी परिवार का युवा इस सूची में शामिल हो सकता है। हमें यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि गलत कमाई का पैसा गलत काम में ही जाता है। शायद इसीलिए हमारे यहां एक कहावत भी है कि ‘चोरी का माल मोरी में।’ पब्लिक गैंबलिंग एक्ट 1867 के मुताबिक सट्टेबाजी एक अपराध है। 

कुछ राज्य सरकारों ने इन ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स को लेकर सख्ती दिखाई है और इन्हें बैन करने का फैसला किया है। कुछ समय पहले ही तमिलनाडु ने ऐसे तमाम ऑनलाइन गेम्स पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके लिए एक कानून पास किया गया है, जिसके तहत 3 साल की जेल और 10 लाख रुपए जुर्माने तक का प्रावधान किया गया है। यह काबिले-तारीफ कदम है। तेलंगाना, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, असम और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स को लेकर कड़े नियम बनाए गए हैं। राज्य सरकार के साथ ही शासन, प्रशासन व आमजन को भी इन ऑनलाइन सट्टेबाजी गेम्स के प्रति गंभीरता, सजगता दिखानी होगी क्योंकि ये देश की अर्थव्यवस्था के साथ ही हमारी युवा पीढ़ी को गलत दिशा की ओर प्रवृत्त करके उन्हें लगातार गर्त में धकेल रहे हैं।-सुनील कुमार महला  


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