अष्टलक्ष्मी राज्य : ‘देखो’ से बढ़कर ‘करो’ तक की विकास यात्रा

punjabkesari.in Sunday, Sep 26, 2021 - 05:03 AM (IST)

नवम्बर 2014 की शुरूआत में, मेघालय में पहली यात्री ट्रेन को हरी झंडी दिखाते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के 8 राज्यों को ‘अष्टलक्ष्मी’ राज्य का नाम दिया था। प्रधानमंत्री ने महसूस किया कि अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा राज्यों में विकास की अपार संभावनाएं हैं और इससे भारत के अन्य हिस्सों को विकसित करने में भी मदद मिल सकती है। तब से हम पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकास कार्यों में तेजी देख रहे हैं। रेल, सड़क, हवाई और नैटवर्क कनैक्टिविटी जैसी महत्वपूर्ण अवसंरचना के अलावा, पूर्वोत्तर क्षेत्र में विद्रोह की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है तथा शांति प्रयासों में महत्वपूर्ण सुधार हुए हैं। इसके साथ ही विभिन्न राज्यों में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (ए.एफ.एस.पी.ए.) को पूरी तरह से हटाने या आंशिक रूप से वापस लेने जैसे कार्य भी हुए हैं। पिछली सरकारों ने तो पूर्वोत्तर की संभावनाओं को देखने से भी इंकार कर दिया था। 

अष्टलक्ष्मी राज्यों में अपार प्राकृतिक संसाधन हैं, जो देश के कुल जल संसाधनों का 34 प्रतिशत और भारत की कुल जल विद्युत क्षमता का लगभग 40 प्रतिशत है। रणनीतिक रूप से यह क्षेत्र पूर्वी भारत के पारंपरिक घरेलू बाजार तक पहुंच के साथ-साथ देश के पूर्वी राज्यों तथा बंगलादेश और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों के निकट स्थित है। यह क्षेत्र दक्षिण-पूर्व एशियाई बाजारों के लिए एक सुविधाजनक प्रवेश-मार्ग भी है। यह संसाधन-संपन्न क्षेत्र उपजाऊ कृषि भूमि के विशाल विस्तार और बड़े पैमाने पर मानव संसाधन के साथ भारत का सबसे समृद्ध क्षेत्र बनने की क्षमता रखता है। 

पिछले 7 वर्षों में पूर्वोत्तर भारत में अभूतपूर्व बदलाव देखने को मिले हैं। इतना ही नहीं, भारत सरकार ने ‘लुक ईस्ट’ नीति को और भी अधिक परिणामोन्मुख एवं प्रभावकारी बनाते हुए इसे ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का रूप दे दिया है। पूर्वोत्तर क्षेत्र एक समय देश का उपेक्षित क्षेत्र था लेकिन मोदी सरकार ने जिस तरह से यहां के आठों राज्यों के विकास एजैंडे को बड़ी सक्रियता के साथ अपनाया, उसकी बदौलत इन समस्त राज्यों में अब व्यापक बदलाव देखने को मिल रहे हैं। 
वर्ष 2014 से पहले पिछली सरकार ने इस क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण राजनीतिक पैठ तो सुनिश्चित कर ली थी लेकिन लापरवाही एवं अलग-थलग रखने की नीति अपनाए जाने और इस क्षेत्र के भीतर विकास से जुड़े मुद्दों की भारी अनदेखी किए जाने के कारण पूर्वोत्तर क्षेत्र निरंतर हाशिए पर ही रहा। 

जब से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पदभार संभाला है, तब से ही उन्होंने एक बार फिर अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचागत सुविधाओं, रोजगार, उद्योग और संस्कृति सहित विकास के समस्त आयामों पर इस क्षेत्र की ओर विशेष रूप से नीतिगत ध्यान देना शुरू कर दिया है। उन्होंने देश के किसी भी अन्य पूर्व प्रधानमंत्री के साथ-साथ कई प्रधानमंत्रियों के कुल सम्मिलित दौरों की तुलना में भी इन राज्यों का कहीं अधिक बार दौरा किया है। यही नहीं, प्रधानमंत्री मोदी पिछले चार दशकों में पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने पूर्वोत्तर परिषद की बैठक में भाग लिया है। 

75वें स्वतंत्रता दिवस संबोधन के दौरान भी उन्होंने इस क्षेत्र में पर्यटन के सतत विकास के विशेष महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि यदि पर्यटन एवं साहसिक खेलों की बात करें तो पूर्वोत्तर राज्यों में निश्चित रूप से व्यापक संभावनाएं हैं और इस विशिष्ट क्षमता का अधिकतम उपयोग करना अत्यंत आवश्यक है। इस विजन को आगे बढ़ाते हुए पर्यटन मंत्रालय पूर्वोत्तर क्षेत्र में पर्यटन की पूर्ण क्षमता का अधिकतम उपयोग करने पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है। यही नहीं, पर्यटन मंत्रालय भारत की अनूठी सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक विरासत को देखने और भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ से जुड़े समारोह का हिस्सा बनने के लिए पूरी दुनिया के पर्यटकों को भारत आने हेतु आमंत्रित करने के लिए 15 अगस्त, 2022 से ‘भारत यात्रा वर्ष’ शुरू करने की योजना भी बना रहा है। 

पूर्वोत्तर क्षेत्र के प्रत्येक राज्य के पास पर्यटन स्थलों का खजाना है। इन अष्टलक्ष्मी राज्यों की तुलना अक्सर सुंदर प्राकृतिक परिदृश्यों वाले स्कॉटलैंड, न्यूजीलैंड और अन्य देशों के साथ की जाती है। मंत्रालय यह सुनिश्चित करने का हरसंभव प्रयास कर रहा है कि बाकी दुनिया पूर्वोत्तर क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से अवगत हो। यह सब एक संवेदनशील, जिम्मेदार और दीर्घकालिक तरीके से किया जाएगा, ताकि इस क्षेत्र से संबंधित लोकाचारों और भावनाओं को बरकरार 
रखा जा सके। 

पूर्वोत्तर राज्यों में विकास पर ध्यान देने के साथ-साथ पर्यटन मंत्रालय द्वारा पूर्वोत्तर क्षेत्र पर केन्द्रित हरित पर्यटन, ईकोटूरिज्म, ग्रामीण पर्यटन और चाय बागान पर्यटन जैसे कई विशिष्ट पर्यटन थीम शुरू किए जाएंगे। आज तक, हमने देश में कोविड-19 से बचाव के टीके की 85 करोड़ से अधिक खुराकें दे दी हैं। यह पर्यटन क्षेत्र के लिए आत्मविश्वास बढ़ाने वाला एक बहुत बड़ा कदम है और जनवरी 2022 से घरेलू यात्रियों के लिए पर्यटन क्षेत्र को खोलने के लिए एक ठोस आधार बनाता है। हमारा ध्यान पूर्वोत्तर क्षेत्र के विभिन्न समुदायों के कल्याण और समृद्धि के लिए पर्यटन को एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करने पर होगा।-जी. किशन रेड्डी
(केन्द्रीय पर्यटन, संस्कृति और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री)


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