आसाराम की सजा बहुत कम है

punjabkesari.in Thursday, Feb 02, 2023 - 05:45 AM (IST)

आसाराम पिछले 10 साल से पहले ही जेल में बंद है। अब उसे उम्र कैद की सजा हो गई है। 81 वर्ष का आसाराम पता नहीं अभी कितने साल और जिंदा रहेगा? जितना व्यभिचार और बलात्कार उसने किया है, उस हिसाब से उसे काफी लंबी उम्र मिल गई है। साधु-संत और मौलवी-पादरियों का पाखंड रचाकर जो धूर्त लोग भक्तों को बेवकूफ बनाते हैं, वे इतने ऊंचे कलाकार होते हैं कि उन्हें जेल में भी सारी सुविधाएं उपलब्ध हो जाती हैं। 

शायद उनकी दैनंदिन दिनचर्या जेल में कहीं बेहतर होती है, क्योंकि वहां मजबूरन ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है, भोजन वगैरह काफी संतुलित होता है और डाक्टरी परीक्षा भी नियमित होती रहती है। पाखंड फैलाने से बाहर जो दिमागी तनाव पैदा होता है, जेल के अंदर उससे भी मुक्ति मिली रहती है। देश में इस आसाराम जैसे जितने भी निराशाराम या झांसाराम हैं, वे सब असाधारण अपराधी हैं लेकिन हमारी न्याय व्यवस्था इतनी अजीब है कि इन सामूहिक अपराध करने वाले धूर्तों को भी वही सजा मिलती है, जो साधारण अपराधियों को मिलती है। 

यदि आसाराम 10 साल और जिंदा रह गया तो आप जरा हिसाब लगाइए कि गरीब करदाताओं का कितना पैसा वह हजम कर जाएगा। आसाराम ही नहीं, उसकी तरह दर्जनों धूर्त कथित साधु-संत इस समय जेल में बंद हैं। यदि ये साधु-संत अपने आप को महान आध्यात्मिक, पारलौकिक शक्ति संपन्न और जादू-टोना दिखाने वाले जादूगर मानते हैं, तो ये अपनी रिहाई खुद ही क्यों नहीं कर लेते? यदि ये सचमुच असाधारण हैं तो इनकी सजा भी असाधारण क्यों नहीं होती? इन्हें किसी चौराहे पर फांसी क्यों नहीं दी जाती? इनकी लाश को कुत्तों से घसीटवाकर सूअरों के झुंड के आगे क्यों नहीं फिंकवा दिया जाता ताकि सारा देश उस दृश्य को देखे और सारे पाखंडी गुरु-घंटालों की हड्डियां कांप उठें। 

ऐसा नहीं है कि ये पाखंडी सिर्फ हिंदुओं के बीच ही होते हैं। यूरोप के ईसाई इतिहास का एक लंबा समय ‘अंधकार युग’ माना जाता है, क्योंकि पोप तक को इन काले धंधों में अपना मुंह काला करते पाया गया है। कोई मजहब इस तरह के धूत्र्तों से मुक्त नहीं है, क्योंकि सारे धर्मों, संप्रदायों और मजहबों में अंधविश्वास हैं। दुनिया को ठगने का यह सर्वोत्तम उपाय है। जो साधु-संत-संन्यासी, मुनि, पादरी, मौलवी आदि पवित्र और सत्यनिष्ठ हैं, उनके दुख का अनुमान मैं लगा सकता हूं, लेकिन उनसे मेरी शिकायत यह भी है कि ऐसे मामलों पर वे चुप्पी क्यों साधे रहते हैं? वे इन पाखंडियों के खिलाफ अपना मुंह क्यों नहीं खोलते? क्या वे अपने आप से डरे हुए हैं?-डा. वेदप्रताप वैदिक
    


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News