परेशानियों से जूझता अमरीका

punjabkesari.in Saturday, Jul 02, 2022 - 05:48 AM (IST)

आज अमरीका को कौन-सी परेशानियों ने घेरा है? अमरीका आज उच्च मुद्रास्फीति, कभी न खत्म होने वाली बंदूक ङ्क्षहसा तथा गैस की बढ़ती कीमतों से जूझ रहा है। रूस तथा ईरान के खिलाफ प्रतिबंधों के कारण आज यह देश शिशु खाद्य पदार्थों की कई वस्तुओं की कमी से दो-चार है। 

अर्थव्यवस्था भी चरमरा गई है क्योंकि स्टॉक मार्कीट जहां ज्यादातर लोग अपने जीवन के निवेश को लगाते हैं वह भी डर के मारे धराशायी हो रही है। गर्भपात कानून ने भी महिलाओं की चिंता को बढ़ा दिया है। कांग्रेस द्वारा स्वीकार किए गए नए गन लॉ भी हिंसा को खत्म करने के लिए नाकाफी हैं। ऐसी सभी बातें अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की चिंताओं को और बढ़ाती हैं। बाइडेन एक ऐसे अनुभवी राजनेता हैं जो खुद एक परेशानी वाला जीवन जी रहे हैं। 

ऐसा लगता है कि उन्हें अपने लापरवाह पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रम्प से दुर्भाग्य की एक विरासत मिली है। जो अपने शासन के दौरान बयानबाजी के लिए अधिक प्रसिद्ध थे। रिपब्लिकन की तुलना में डैमोक्रेट शासित राज्यों को महामारी प्रोटोकॉल ने बचाया। कोविड-19 संक्रमण के मामले में अमरीका नंबर 1 स्थान पर था। कोविड की विभिन्न लहरों से 5 मिलियन संक्रमित हुए और करीब 5 लाख लोगों की मौत हुई। शायद अमरीका विश्व में पहला देश था जिसने अपने नागरिकों को कोविड-19 की खुराकें दीं। 

ट्रम्प द्वारा महामारी पर देरी से ध्यान देने के कारण अर्थव्यवस्था को गहरा आघात लगा। अमरीकी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली भी एक कड़े दबाव में आ गई। हालांकि यह स्पेन, फ्रांस, इटली तथा जर्मनी की तरह धराशायी नहीं हुई। कहने का मतलब यह है कि 2020 के राष्ट्रपति चुनावों में यह एक महत्वपूर्ण मोड़ था जो ट्रम्प को ले डूबा और लोगों ने डैमोक्रेट पर भरोसा जताया।

शटडाऊन के कारण अमरीका में ब्ल्यू कॉलर वाले कर्मचारियों जोकि रोजाना कमाई पर निर्भर थे, ने अपना रोजगार खो दिया। अपने बच्चों को पढ़ाने तथा घरों के कर्जों को उतारने के लिए उन्होंने अपनी सम्पत्तियां तक गिरवी रख दीं। अमरीका में चुनावों के दौरान भाषण से ज्यादा एक्शन की जरूरत थी। बाइडेन के पद संभालने से पहले ही कचरे का एक ढेर उनकी मेज पर आ गया। पहली बात यह है कि बफैलो शॉपिंग मॉल में सामूहिक गोलीबारी में 10 अश्वेत मारे गए। टैक्सास में एक पब्लिक स्कूल में हुई भीषण सामूहिक गोलीबारी में 19 लोग मारे गए। 

तीसरा यह कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से अमरीका को बहुत परेशानी हुई। चौथा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन लगातार अमरीका को धमकी दे रहे थे कि अगर नाटो ने परमाणु बटन दबाया तो रूस भी परमाणु बटन दबा देगा। अमरीका यूक्रेन के बचाव में आया। उसके बाद गन लॉ पर सुप्रीमकोर्ट की व्यवस्था, सुप्रीमकोर्ट द्वारा ही रो बनाम वेड के 50 साल पुराने निर्णय को भी पलट दिया गया। बाइडेन स्तब्ध थे और ट्रम्प ने अपने आपको विजयी महसूस किया कि उनके द्वारा बैंच में नियुक्त किए गए 3 रूढि़वादियों ने फैसला सुनाया। अमरीका 2022 की मध्यावधि चुनाव प्रक्रिया के बीच में है। 

अमरीका को रूस पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा। वह चाहता था कि मास्को के निर्यात को पंगु बना दे और उसकी अर्थव्यवस्था को नुक्सान पहुंचाए ताकि रूस को युद्ध को बनाए रखने में मुश्किल हो। दुर्भाग्य से यह स्विस बैंक की दुनिया नहीं बल्कि क्रिप्टो करंसी की दुनिया है। रूस दुनिया को कच्चे तेल, उर्वरक, लोह और अन्य खनिज पदार्थों के सबसे बड़े आपूर्तिकत्र्ताओं में से एक है। अंतत: अमरीका का भविष्य नवम्बर में हाऊस ऑफ रिपैंजेंटेटिव्स चुनावों में अधर में लटकता हुआ प्रतीत होता है जहां 435 सीटें बैलेट पर हैं और सीनेट के लिए 30 सीटें मैदान में हैं। 

इसके परिणाम 2024 के राष्ट्रपति चुनावों के लिए वोटरों का मूड तय करेंगे। 2024 की रिपब्लिकन टिकट के लिए ट्रम्प की जीत स्पष्ट दिखाई देती है। भले ही उन पर महाभियोग लगाया जाए फिर भी उनके समर्थकों को उसकी कोई परवाह नहीं है। क्या डैमोक्रेट ट्रम्प की आने वाली लहर को मध्यावधि और 2024 में कुचल सकते हैं?-अशोक नीलाकांतन


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