‘ऑनलाइन शिक्षा’ के साथ ऑनलाइन परीक्षा को भी मजबूत करना होगा

punjabkesari.in Friday, Jul 03, 2020 - 04:20 AM (IST)

21वीं शताब्दी को डिजिटल युग कहा गया है। इंटरनैट के साथ लोगों में एक बड़ा बदलाव लाने के साथ हम सरल कार्यों को पूरा करने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग पर भारी निर्भर हैं। आप में से अधिकांश ने डिजिटल लॄनग के बारे में सुना होगा, इसे वैब आधारित शिक्षा के साथ प्रतिस्थापित किया गया है जो छात्र के सीखने के अनुभव को मजबूत करता है। 

किसी भी विद्यार्थी के लिए परीक्षा जरूरी होती है। परीक्षा देकर ही विद्यार्थी एक कक्षा से दूसरी कक्षा में जाते हैं। परीक्षा से लोगों अथवा विद्याॢथयों की गुणवत्ता को परखने का सिलसिला अनंत काल से चला आ रहा है। अनंत काल में ऋषि-मुनि घोर तपस्या करके, अनेक परीक्षाएं देकर वर प्राप्त करते थे। समय बदला तो गुरु अपने शिष्यों से परीक्षाएं लेने लगे लेकिन आज आधुनिक युग का समय है। प्रत्येक वस्तु तकनीक पर आधारित है। मानव ने अपने उपयोग के लिए तकनीकी मानव (रोबोट) भी तैयार कर लिया है तो इससे शिक्षा व परीक्षा भी कैसे अछूती रह सकती थी। 

शिक्षा को तो लोगों ने पहले ही तकनीक के माध्यम से अपना लिया था लेकिन परीक्षा अभी भी कागज के पन्नों पर उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन करके ली जाती है। तत्पश्चात विद्याॢथयों को उनका परीक्षा फल प्राप्त होता है। इस तरह से इस प्रक्रिया में काफी समय लग जाता है। यह भी कहा जाता है कि हमारे सीखने का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा ज्ञान पर ही केन्द्रित होता है। लेकिन 90 प्रतिशत नौकरियां स्किल्स पर ही निर्भर करती हैं। ऐसे में यह माना जाता है कि सरकार को इस अंतर को दूर करने के लिए के-12 शिक्षा पर अधिक जोर देने की जरूरत है। के-12 शिक्षा का मतलब किंडरगार्टन यानी केजी से लेकर 12 वीं कक्षा तक है। आज दुनिया भर में कोरोना वायरस ने अपने पांव फैलाए हुए हैं। विद्यार्थियों की परीक्षाएं व उनके परिणाम अधर में लटक गए हैं। परिणाम पाने के लिए विद्यार्थियों को परीक्षा केंद्र में आकर परीक्षाएं देनी होंगी जो मौजूदा स्थिति को देखते हुए सम्भव नहीं लग रहा है। 

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने भी कहा है, ‘कोरोना विषाणु से संक्रमण के संकट को देखते हुए हम विद्यार्थियों के स्वास्थ्य के साथ किसी भी तरह का जोखिम नहीं ले सकते। हर विद्यार्थी को स्कूल के आन्तरिक मूल्यांकन के आधार पर पदोन्नत किया जाए। अब प्रश्न उठता है कि जो परीक्षाएं बोर्ड तथा यूनिवर्सिटी से सम्बन्धित थीं उन विद्यार्थियों को कैसे पदोन्नत किया जाए। मेरा मानना है कि हमें भी पश्चिमी देशों की तरह ऑनलाइन परीक्षा प्रणाली को लागू कर उस पर जोर देना होगा। इस परीक्षा प्रणाली के अनेक फायदे भी हैं। 

छात्रों को पढ़ाने के लिए उन्हें लागू करने से पहले विभिन्न डिजिटल लर्निंग उपकरण और कार्यक्रमों के आदी होने के लिए शिक्षक की जिम्मेदारी सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण है। यह न केवल विद्यार्थियों के लिए बल्कि शिक्षकों को हाइब्रिड लॄनग या डिजिटल सामग्री संसाधनों के साथ सशक्त बनाने का एक सर्वोत्तम अवसर है। वैब आधारित डिजिटल लर्निंग शिक्षा के बारे में और अधिक फायदे यह हैं कि इसने शिक्षकों को अपनी दक्षता और उत्पादकता बढ़ाने की अनुमति दी है। विभिन्न प्रकार के डिजिटल उपकरणों से परिचित होने में आपको उन्हें सीखने के लिए कुछ समय देना होगा। फिर आप तय कर सकते हैं कि सबसे अच्छी शिक्षण पद्धति यह है कि आप कक्षा में अपने छात्रों को ज्ञान प्रदान करने के लिए नियोजित कर सकते हैं। आपको यह तय करने की भी आवश्यकता है कि शिक्षण पद्धति छात्रों या विशेष विषय के लिए उपयुक्त है या नहीं। 

वैब आधारित शिक्षा का लाभ 
स्कूल या संस्थान जिसने ई-लर्निंग शिक्षण प्रक्रिया का चयन करने का निर्णय लिया है-या तो वे ऐसे शिक्षकों को किराए पर ले सकते हैं जिनके पास डिजिटल लर्निंग उपकरण और विधियों के व्यापक ज्ञान हैं या अन्यथा वे डिजिटल प्रोग्रामों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के बारे में शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए उचित व्यवस्था कर सकते हैं। प्रशिक्षण सत्र मूल रूप से वरिष्ठ और पुराने शिक्षकों के लिए व्यवस्थित किया जाता है जो कई सालों से वहां पढ़ रहे हैं। चूंकि इस तरह के अधिकांश निजी स्कूल प्रशासक और प्रबंधन इस नई तकनीक को अपनाने के लिए खुश हैं, जो वर्तमान समय की आवश्यकता है। आप इस नई तकनीक के आदी होने और दूसरों को सिखाने के लिए इंटरनैट से भी मदद ले सकते हैं। 

दुनिया भर के छात्रों को वैब आधारित शिक्षा प्रदान करने का एक और बड़ा फायदा यह है कि सीखना अब सीमित नहीं है। आप अपना खुद का लचीला समय चुन सकते हैं और जब आप स्वतंत्र होते हैं तो सीखना शुरू कर सकते हैं। आप इंटरनैट से कक्षाओं के वीडियो डाऊनलोड कर सकते हैं और आज कक्षा में जो पढ़ाया जाता है उसे जान सकते हैं। ऐसा भी कहा जा सकता है कि वह दिन अब नहीं रहे, जब कक्षा में शिक्षा का मतलब किताबें पढऩा, शिक्षकों का चीजें समझाने के लिए ब्लैकबोर्ड पर लिखना और छात्रों का नोट्स लिखना, इन्हीं चीजों तक सीमित था। टैक्नोलॉजी सिर्फ ऑनलाइन गेम्स खेलना और एनिमेटिड वीडियोज देखना नहीं है। 

शिक्षा प्रभावी करने के लिए बच्चे, पालक और शिक्षक टैक्नोलॉजी का किस तरह इस्तेमाल करते हैं, इस बात पर उसके फायदे निर्भर करते हैं। जब टैक्नोलॉजी शैक्षिक उद्देश्यों के लिए अच्छी तरह इस्तेमाल की जाती है, तब शिक्षा का अनुभव ज्यादा असरदार होने में मदद मिलती है और छात्र उसमें ज्यादा शामिल होते हैं। आज सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में पावर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण, वीडियो प्रस्तुतिकरण, ई-लर्निंग तरीके, ऑनलाइन प्रशिक्षण और अन्य डिजिटल पद्धतियों के इस्तेमाल को महत्व दिया जा रहा है। इस वजह से कक्षा में सिखाना ज्यादा संवादात्मक (इन्टरैक्टिव) होता जा रहा है। बच्चों को बुनियादी (बेसिक), चुनौती (चैलेंजर) और तेज-तर्रार (एक्सलरेटर) ऐसे तीन स्तरों पर सिखाना चाहिए। उन्हें गेम्स खेलने की बजाय ज्ञान पाने के लिए इंटरनैट का इस्तेमाल करने के लिए बढ़ावा देना चाहिए।-प्रि. डा. मोहन लाल शर्मा 


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