मोदी में मौजूद हैं ‘लैवल-5’ नेता की सभी खूबियां

punjabkesari.in Monday, Sep 16, 2019 - 01:45 AM (IST)

लैवल -5 नेतृत्व से अभिप्राय ऐसे नेतृत्व से है जिसमें ईमानदारी तथा निष्ठा, समर्पण और जुनून, निर्णय क्षमता तथा उत्तरदायित्व जैसी खूबियां मौजूद हों। कुल मिलाकर उसे एक अच्छा कम्युनिकेटर तथा रचनात्मक और नव परिवर्तनवादी होना चाहिए जो शक्तियों का हस्तांतरण करता हो तथा एक प्रेरणादायक नेता हो। इन सभी मापदंडों पर नरेन्द्र मोदी  बिल्कुल खरे उतरते हैं। 

उनकी ईमानदारी और निष्ठा संदेह से परे है। उनके लिए, राष्ट्रीय हित ही एकमात्र हित है। 12 वर्ष तक गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर उनकी इस छवि को व्यापक स्वीकार्यता मिली। 2004 से 2014 तक एक ऐसे माहौल में, जिसमें नीति का संकट था, भ्रष्टाचार के अलावा मजबूत नेतृत्व का अभाव था, उनका यह गुण अलग तौर पर नजर आया। इसलिए लोग उन्हें प्यार करते हैं। गरीब से गरीब आदमी भी उनकी ईमानदारी और निष्ठा  को लेकर आश्वस्त है। यह मानी हुई बात है कि कई बार अशिक्षित लोगों की समझ शिक्षित अक्षमता से ज्यादा प्रभावशाली होती है। पिछले 5 वर्षों से मोदी सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के खिलाफ एक भी आरोप नहीं है। 

प्रेरणास्रोत व्यक्तित्व
उनका संवेदनशील व्यक्तित्व एक बार फिर उस समय उजागर हुआ जब चंद्रयान-2 का सम्पर्क टूट जाने पर उन्होंने इसरो में वैज्ञानिकों को ढांढस बंधाया। उस समय उन्होंने इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियर्स को एक श्रेष्ठ प्रेरणादायक भाषण दिया। 2014 में सत्ता में आने पर उन्होंने संसद की दहलीज पर शीश नवाया। भारतीय संविधान के प्रति नतमस्तक होते हुए उनकी सरकार ने गरीब, एस.सी./एस.टीका, दलितों और वंचितों के लिए काम किया जो अब तक उपेक्षित थे। उन्होंने ‘‘सबका साथ, सबका विकास’’ का नारा दिया। इस वर्ष उन्होंने इसमें ‘‘सबका विश्वास’’ भी जोड़ दिया जो उनके इरादों को दर्शाता है। 

मोदी अलग तरह से सोचते और अलग तरह से काम करते हैं। नौकरशाही को प्रेरित करने और उनका पूरा सहयोग पाने के लिए उन्होंने सचिवों के 10 समूहों का गठन किया ताकि वे सरकार के लिए 10 विभिन्न क्षेत्रों के लिए विकास का रोड मैप बना सकें। इन सभी समूहों ने अपनी-अपनी प्रैजैंटेशन दी और काफी मेहनत के बाद उन्होंने समूहों को इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कहा। अगले वर्ष उन्होंने इन समूहों को फिर से अपनी प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा। 

विद्यार्थियों के लिए लिखी किताब
शायद वह पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने विद्याॢथयों में आत्मविश्वास भरने के लिए तथा परीक्षा और जीवन की चुनौतियों का सामना करने हेतु टिप्स देने के लिए एक किताब लिखी। इस किताब का नाम ‘एग्जाम वॉरियर्स’  रखा गया है। 2 वर्ष लगातार उन्होंने 100 मिलियन विद्यार्थियों और अभिभावकों को संबोधित किया। विद्यार्थियों से संवाद के दौरान उन्होंने पब-जी की भी चर्चा की, जिससे पता चलता है कि वह अपने आसपास हो रही चीजों के प्रति कितने अपडेट हैं। 

सोशल मीडिया का इस्तेमाल
वह शायद पहले भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जिन्होंने सोशल मीडिया की ताकत को समझा और युवाओं से जुडऩे के लिए इसका प्रभावी इस्तेमाल किया। वह एक अतुलनीय सम्प्रेषक हैं। वह लोगों से सीधे बात करते हैं, उनसे मेल-जोल स्थापित करते हैं तथा उनमें विश्वास भरते हैं। लोगों पर उनकी बात का असर होता है चाहे उन्हें गैस सबसिडी अथवा यात्रा रियायत जैसी कुछ चीजों का त्याग ही क्यों न करना पड़े। अपनी बेहतर संवाद शैली से वह लोगों को प्रेरणा देते हैं। जी.एस.टी. पर फैसला, नोटबंदी, सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट एयर स्ट्राइक तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई, अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाना, तीन तलाक पर प्रतिबंध का कानून आदि उनके निर्णायक नेतृत्व के उदाहरण हैं। 

गरीबों का सशक्तिकरण
आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों का 10 प्रतिशत आरक्षण, उज्ज्वला गैस योजना, प्रधानमंत्री आवास, उजाला एल.ई.डी., मुद्रा, स्किल इंडिया, आयुष्मान भारत, किसान सम्मान, असंगठित मजदूरों को पैंशन, 95 मिलियन शौचालय गरीब लोगों के सशक्तिकरण के उदाहरण हैं। जी.एस.टी. उनके सहयोगी संघवाद का उत्कृष्ट उदाहरण है। जी.एस.टी. के संबंध में हर निर्णय सर्वसम्मति से लिया जाता है हालांकि इसमें वोटिंग का प्रावधान है। राज्यों का हिस्सा 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 49.5 प्रतिशत करना संघीय ढांचे में उनके विश्वास को दर्शाता है। अपने दूसरे कार्यकाल के लिए उन्होंने नए लक्ष्य निर्धारित किए हैं। 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी, हर घर को पानी की सप्लाई सुनिश्चित करना, सभी जरूरी क्षेत्रों को सामाजिक सुरक्षा का प्रावधान और सबसे ऊपर है ‘सबका विश्वास’। 

वह रचनात्मक व नवोन्मेषी हैं। वह जानते हैं कि अनुसंधान व नवोन्मेष ही भारत को आगे ले जा सकते हैं। इसलिए उन्होंने लगभग 3 हजार स्कूलों में अटल टैक्नोलॉजी प्रयोगशालाएं शुरू की हैं जहां रोबोटिक्स, 3-डी पिं्रटिंग तथा अन्य एडवांस सामग्री उपलब्ध है। विद्यार्थी इन आधुनिक गैजेट से प्रयोग करके नए आइडियाज सीखते हैं। इनका आकलन करने के लिए ओलिम्पियाड का आयोजन किया जाता है। इंजीनियरिंग के विद्याॢथयों के लिए उन्होंने ‘स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन’ प्रोमोट किया है जहां विद्यार्थी कुछ प्रॉब्लम स्टेटमैंट पर काम करके उनका समाधान निकालते हैं। इसका फाइनल राऊंड 25 केन्द्रों पर आयोजित होता है जिनमें 10 हजार विद्यार्थी लगातार 36 घंटे तक काम करते हैं। मोदी हर वर्ष इन विद्याॢथयों से बात करके उन्हें प्रेरित करते हैं। 

उन्होंने विभिन्न आई.आई.टीज/ एन.आई.टीज में अटल इन्क्यूबेशन सैंटर सुनिश्चित किए हैं। इस बजट में वह नैशनल रिसर्च फंड योजना लेकर आए हैं। उन्होंने ‘प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति’ को मंजूरी दी है ताकि अग्रणी शोध को बढ़ावा दिया जा सके। वह लगातार स्टार्ट-अप्स से संवाद करते हैं और नए-नए विचारों के साथ आए युवाओं से मिलते हैं।-प्रकाश जावड़ेकर


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