‘सभी जानवर हमारे जैसे संवेदनशील प्राणी हैं’

punjabkesari.in Wednesday, Jan 06, 2021 - 04:37 AM (IST)

मैं इयान क्रफ्टन द्वारा लिखित एक्यूरियस हिस्ट्री ऑफ फूड एंड ड्रिंक पढ़ रही हूं और जितना अधिक मैं पढ़ती हूं उतना ही दुखी होती हूं। यह अत्यधिक हैवानियत, विनाश के लिए पागलपन भरे लालच, एेसी असंवेदनशीलता से भरी पड़ी है कि मुझे आश्चर्य है कि कोई दूसरे ग्रह का व्यक्ति इसे पढ़कर हम मनुष्यों के बारे में क्या सोचता होगा। 

1990 के दशक में दक्षिणी फ्रांस में निएंडरथल साइट की जांच करने वाले पुरातत्वविदों ने 100,000 ईसा पूर्व की मानव हड्डियों को उजागर किया था जो उसी तरह से खाई गई थीं जैसे हिरण की हड्डियां, जो पास में पड़ी थीं। स्पष्ट रूप से मनुष्य नरभक्षी थे। लेकिन क्या वे विकसित हुए? 2009 में पुरातत्वविदों को 5000 ईसा पूर्व के आधुनिक मनुष्यों की जर्मनी के राइनलैंड में हड्डियां मिलीं-बमुश्किल 7000 साल पहले जब भारत में पहले से ही साम्राज्य, सिक्के, देवता और पवित्र पुस्तकें थीं। मानव हड्डियों में उपभोग के लिए कसाई के स्पष्ट संकेत दिखाई दिए इसलिए मनुष्य तब तक नरभक्षी थे।

हम पिछले 100,000 वर्षों में बहुत दूर नहीं आए हैं। मनुष्यों को खाने वाले लोगों को नरभक्षी कहा जाता है लेकिन सभी जानवर हमारे जैसे संवेदनशील प्राणी हैं और जब हम उन्हें मारते हैं तो हम अभी भी नरभक्षी हैं। सभी वाणिज्यिक बिस्कुट और बहुत सी ब्रैड से एल-सिस्टीन बनाई जाती हैं जो मानव बालों से बना होता है। क्या यह नरभक्षण नहीं है? 6000 ईसा पूर्व में सबसे पहला सूप दरियाई घोड़े की हड्डियों से बना था। लेकिन 1864 में अंग्रेजी खोजकत्र्ता सैमुअल बेकर अभी भी सूप बनाने के लिए सिरका और कटे हुए प्याज के साथ एक हिप्पो के सिर को उबालने के बारे में लिख रहे हैं। 

एक हजार साल पहले लोग गर्भवती गायों और सूअर के थन खाया करते थे। भारत में, हम गर्भवती और स्तनपान कराने वाली भैंसों के मांस को मध्य-पूर्व में निर्यात कर रहे हैं - और जो कंपनी इन माताआें को मारती है, वह अवैध रूप से मांस के प्रत्येक स्लैब के साथ उसके थन रख देती है ताकि खरीदार को पता चले कि वे गर्भवती थीं। मुम्बई के देवनार बूचडख़ाने में भैंस को काटे जाने से पूर्व उसकी दूध निकालते हुए तस्वीरें ली जाती हैं और चित्रों को खेप के साथ डाल दिया जाता है। तो हम कितनी दूर आए हैं? 

चॉकलेट को एज्टेक द्वारा एक पवित्र दवा माना जाता था। जब यह पश्चिम में 1500 के दशक में खोजी गई और इसे चीनी तथा वनीला के साथ मिलाया गया था, और चॉकलेट में सिकाडस जैसे कीड़े डुबोना तथा उसे कुरकुरा बनाना लोकप्रिय हो गया। यह घृणित परंपरा जारी है : उदाहरण के लिए भारत के कुछ हिस्सों में एक जलते हुए तेल के ड्रम को एक तीव्र प्रकाश में रखा जाता है। प्रकाश की आेर उडऩे वाले कीड़े पकड़े जाते हैं, तेल में डूबते हैं और स्नैक्स के रूप में खाए जाते हैं। जापान में वे चाकलेट बिस्कुट में ततैया डालते हैं। 

हम रोमन दावतों के बारे में परम पतन के रूप में जानते हैं : एक ऐसा देश जिसने अपनी खुशी के लिए दुनिया का बहुत कुछ नष्ट कर दिया। दास, प्रत्यक्ष युद्ध के लिए लाए गए जंगली जानवर, दुनिया भर के जानवरों के साथ बनाया गया भोजन-शराब में तैरती हुई मछली जब तक वह डूब न जाए, चमगादड़  के जैली वाले पैर, मेंढक की स्टू की गई तिल्ली, उनके खुद के खून में पकाए गए लैम्प्री ईल। लेकिन क्या अब हम बेहतर हैं? अमरीका में वे अंडा, आटा और ब्रैड के टुकड़ों में डूबे हुए रैटलस्नेक को तल कर खाते हैं। वियतनाम में वे आपके सामने संघर्ष कर रहे निरीह कोबरा को मारते हैं और उसके धड़क रहे दिल को उसके ही एक गिलास खून में डाल देते हैं। पश्चिम बंगाल और केरल में, वे जीवित कछुआें को उल्टा कर देते हैं, उनका पेट चीरते हैं और उसके रक्त को शराब के गिलास में पीते जबकि दिल अभी भी धड़क रहा होता है। 

कनाडा में इनूइट्स उन्हें मारने के तुरंत बाद सील के कच्चे आंख के गोले खाते हैं। जापान में टुना की आंखों की गोलियां सुपरमार्कीट में बेची जाती हैं और इसे थोड़े से लहसुन के साथ खाया जाता है। बतख की नाक को अलास्का के लोगों द्वारा हटाया, काटा और उबाला जाता है। महिलाआें को मुहांसों से लडऩे के लिए बीजिंग में याक का लिंग खिलाया जाता है (वहां क्या नहीं खाया जाता)। 

आप इस सोच से ही असहज महसूस करते हैं कि राजस्थान में शाही परिवार मृत कबूतरों का शराब को फर्मेन्ट करने और आशा नामक शराब बनाने के लिए प्रयोग करते थे। लेकिन सामान्य शराब जिसे भारत के लाखों लोगों द्वारा पिया जाता है और यहां तक कि इसे लोकप्रिय बनाने के लिए महाराष्ट्र में कई वर्षों से कर मुक्त किया गया है। इसे मृत मछली की इस्लिंग्लास नामक झिल्ली द्वारा फिल्टर किया जाता है ताकि पीने वाले को संदेह न हो! मछली की झिल्ली से बीयर को भी संसाधित किया जाता है। अंडे मुर्गी या बत्तख का रक्त है जो पक्षियों में बदल जाएगा यदि आप उन्हें ऐसा होने देते हैं।-मेनका गांधी


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