72 वर्षीय अमरीकी नागरिक ने 40 ‘कैंसर रोगियों’ को संभाला

punjabkesari.in Saturday, Mar 14, 2020 - 04:13 AM (IST)

जब 72 वर्षीय अमरीकी नागरिक नौशीर चिनाय दो सप्ताह पूर्व मुम्बई पहुंचे तो उन्होंने जाना कि उन्हें संत गडगे महाराज धर्मशाला की यात्रा करनी है। एक समाचारपत्र में छपी कवर स्टोरी के बाद चिनाय की पत्नी जोआना जिसने कैंसर को मात दी है, ने भी उस धर्मशाला में जाना चाहा जहां पर 40 कैंसर रोगी रहते थे मगर आज उनके पास धर्मशाला का किराया न होने के कारण वे टाटा मैमोरियल अस्पताल के एक फ्लाईओवर के नीचे रह रहे हैं। 

जैसे ही कैंसर रोगियों के बारे में रिपोर्ट प्रकाशित हुई, बी.एम.सी. के कार्यकत्र्ताओं ने ज्यादातर रोगियों को धर्मशाला में शिफ्ट कर दिया। चिनाय ने 40 गरीब कैंसर रोगियों के धर्मशाला के 1.2 लाख रुपए के बिल को चुकाया। धर्मशाला का एक दिन का किराया प्रति व्यक्ति 100 रुपए था। अमरीका के एलन टाऊन के रहने वाले चिनाय अपने पारिवारिक समारोह के लिए मुम्बई में पधारे थे। 

चिनाय का कहना है कि उनकी माता का देहांत फेफड़ों के कैंसर के कारण हुआ तथा उनकी पत्नी जोआना ने भी यूटरिन कैंसर को मात दी। उनके अनुसार सभी रोगी हिंदमाता फ्लाईओवर के नीचे रहने को मजबूर थे। इस बात ने ही उनको गहरी चोट पहुंचाई, क्योंकि वे जानते हैं कि कैंसर रोगियों का दुख-दर्द क्या होता है, इसी बात को लेकर उन्होंने तय किया कि वह जब मुम्बई आएंगे तब वह धर्मशाला की यात्रा जरूर करेंगे। करीब 600 रोगी धर्मशाला में एक नियत समयावधि में रहते हैं। ज्यादातर के पास 100 रुपए प्रतिदिन देने के लिए भी पैसा नहीं है। चिनाय ने ऐसे लोगों से मुलाकात की। कुछ रोगी तो 3 से 6 माह तक का किराया चुकता नहीं कर पाए इसीलिए चिनाय ने उनका बकाया किराया अदा किया। उल्लेखनीय है कि अमरीका जाने से पूर्व चिनाय ने अपनी स्कूल तथा कालेज की परीक्षा मुम्बई में ही ग्रहण की। 

धर्मशाला के मैनेजर प्रशांत देशमुख का कहना है कि धर्मशाला ने उन रोगियों से किराया नहीं लिया जिन्हें फ्लाईओवर के नीचे शिफ्ट किया गया था। चिनाय तथा उनकी बहन ने यह भी वायदा किया कि वह अन्य 100 रोगियों की भी वित्तीय सहायता करेंगे। इसके अलावा चिनाय ने रोजाना जरूरत की वस्तुओं जैसे टूथपेस्ट, साबुन, शैम्पू, तेल भी उपलब्ध करवाए। 15 वर्षीय खुशी शाह जोकि बोन कैंसर से पीड़ित है, का किराया भी चिनाय ने ही अदा किया। शाह के पिता बिहार से हैं तथा वह एक श्रमिक हैं। उन्होंने खुशी के उपचार के लिए एक लाख का लोन लिया था। अब वह धर्मशाला का किराया देने में असमर्थ हैं क्योंकि उनके पास कोई पैसा नहीं बचा। चिनाय ने ही उनका 6000 रुपए का किराया अदा किया। इसी तरह 49 वर्षीय किरण कुमारी रामदास ब्रैस्ट कैंसर से पीड़ित हैं। उनके बेटे पंकज कुमार का कहना है कि उपचार के प्लान के हिसाब से उन्हें मुम्बई में 6 महीने तक रुकना था और मुम्बई जैसे महानगर में रहने की बहुत बड़ी परेशानी है। उनके पास पैसा नहीं है मगर चिनाय जैसे दानियों की दया से उनका यह सपना भी पूरा हो गया। 

भारत में सबसे बड़ा कैंसर ट्रीटमैंट इंस्टीच्यूट टाटा मैमोरियल अस्पताल है जोकि नए कैंसर रोगियों से 65 हजार रुपए प्रत्येक वर्ष लेता है। भारत में कैंसर के 14.5 लाख नए मामले प्रकाश में आए थे और इसके कारण 2016 में मौतों की गिनती 7 लाख 36 हजार रही। यह आंकड़ा 2030 तक बढ़कर 17.3 लाख हो जाएगा। 2020 में 8 लाख 80 हजार कैंसर रोगियों की मौत होने की संभावना है। 


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