इतिहासकारों, वास्तुकारों ने नवगठित बिहार विरासत आयोग को लेकर चिंता जाहिर की

punjabkesari.in Sunday, Aug 09, 2020 - 08:06 PM (IST)

पटना, नौ अगस्त (भाषा) नवगठित बिहार विरासत आयोग को लेकर इतिहासकारों, वास्तुकारों एवं विद्वानों ने गहरी चिंता व्यक्त की है और आरोप लगाया है कि समिति में संरक्षण वास्तुकारों एवं इस क्षेत्र से संबंधित अन्य स्वतंत्र विशेषज्ञों का ''''कोई प्रतिनिधित्व'''' नहीं है।

हालांकि, बिहार सरकार ने कहा है कि समिति का गठन बिहार शहरी विकास एवं योजना नियम, 2014 के तहत किया गया है।
पटना उच्च न्यायालय में धरोहर संस्थान ''''इनटेक'''' की ओर से दायर याचिका के बाद हाल ही में राज्य सरकार ने बिहार नगर कला एवं विरासत आयोग का गठन किया है।

आयोग की सात सदस्यीय समिति की अगुवाई बिहार सरकार के कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के प्रधान सचिव कर रहे हैं।

बाकी छह सदस्यों को नगर विकास एवं आवास विभाग, भवन निर्माण विभाग, पर्यटन विभाग और राज्य के पुरातत्व निदेशालय के अलावा अन्य विभागों के प्रतिनिधि शामिल हैं।

इतिहासकारों, संरक्षण वास्तुकारों एवं अन्य विद्वानों ने विरासत आयोग के सदस्य के रूप में सरकार के अलावा ''''किसी बाहरी सदस्य के नहीं होने पर चिंता व्यक्त की''''।

साथ ही कई विशेषज्ञों ने आरोप लगाया कि वर्तमान गठित आयोग ''''मात्र सरकार की रबर स्टैंप'''' साबित होगा।

उन्होंने नए आयोग में कला, इतिहास, वास्तुकला और शहरी योजना से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों के प्रख्यात लोगों और स्वतंत्र विशेषज्ञों को शामिल किए जाने पर जोर दिया।

प्रसिद्ध इतिहासकार और लेखक सुरेंद्र गोपाल ने कहा, ''''सरकार पटना का चेहरा बदलना चाहती है और विकास के नाम पर साल दर साल ऐतिहासिक इमारतों को हटाया जा रहा है।''''
गोपाल लंबे समय से बिहार में विरासत संरक्षण नीति की वकालत करते रहे हैं।

उन्होंने सरकार से इतिहासकारों और वास्तु इतिहास के विद्वानों को विरासत आयोग में शामिल करने का अनुरोध किया।

इतिहासकार इरफान हबीब ने इस मामले में गहरी चिंता जताते हुए आरोप लगाया कि संबंधित क्षेत्रों के स्वतंत्र विशेषज्ञ ऐसे धरोहर आयोगों से जानबूझकर दूर रखे जाते हैं ताकि सरकार विकास के नाम पर तोड़फोड़ कर सके और कोई भी विरोध नहीं करे।

मशहूर लेखक एवं कोलकाता नगर निगम की विरासत संरक्षण समिति के संबंध में पिछले साल जनहित याचिका दाखिल करने वाले अमित चौधरी ने कहा, '''' बिहार विरासत आयोग को समग्र निकाय बनाने के लिए इसमें आवश्यक तौर पर कई प्रतिष्ठित हस्तियों, संरक्षण वास्तुकारों, इतिहासकारों, धरोहर संरक्षण विशेषज्ञों और अन्य को शामिल किया जाना चाहिए।''''


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Edited By

PTI News Agency

Recommended News

Related News