दुनिया के बड़े टैक्स चोरों का पर्दाफाश किया ‘पैंडोरा पेपर्स’ ने

punjabkesari.in Wednesday, Oct 06, 2021 - 03:45 AM (IST)

दशकों से विश्व के अमीर लोग अपनी अवैध तरीकों से कमाई भारी-भरकम रकमें ‘टैक्स हैवन’ (टैक्स चोरों की पनाहगाह) कहलाने वाले देशों स्विट्जरलैंड आदि के बैंकों में जमा करते आ रहे हैं जिनके बारे में पिछले कुछ वर्षों के दौरान चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। अमरीका में वाशिंगटन स्थित खोजी पत्रकारों की अंतर्राष्ट्रीय संस्था ‘इंटरनैशनल कंसोॢटयम ऑफ इन्वैस्टीगेटिव जर्नलिस्ट्स’ (आई.सी.आई.जे.) ने 5 वर्ष पूर्व ‘पनामा पेपर्स’ के नाम से लीक किए दस्तावेजों में विश्व के अनेक देशों के कुलीन लोगों द्वारा ‘टैक्स हैवन’ देशों में गुप्त रूप से जमा करवाई अरबों-खरबों रुपए की सम्पत्ति का खुलासा किया था। 

और अब इसी संगठन के 600 से अधिक खोजी पत्रकारों ने 114 से अधिक मीडिया संस्थानों के सहयोग से 14 महीनों तक विभिन्न स्रोतों से प्राप्त 1.2 करोड़ दस्तावेजों की जांच के बाद 90 देशों के 35 से अधिक वर्तमान और पूर्व वैश्विक नेताओं समेत दुनिया भर के सैंकड़ों धन कुबेरों की ‘टैक्स हैवन’ देशों में जमा अपार सम्पदा का खुलासा किया है। इसमें प्रभावशाली एवं भ्रष्ट लोगों के छिपा कर रखे गए धन की जानकारी देने के कारण इसे उन्होंने ‘पैंडोरा पेपर्स’ (भानुमति का पिटारा) नाम दिया है। इसमें अन्यों के अलावा जार्डन के  सुल्तान, आजरबाईजान के सत्ताधारी परिवार, चैकोस्लोवाकिया और केन्या के राष्ट्रपति, इंगलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर आदि के नाम शामिल हैं। 

इस रिपोर्ट में पाकिस्तान के वित्त मंत्री शौकत तारीन के अलावा दर्जनों राजनीतिज्ञों सहित 700 से अधिक लोगों के नाम दर्ज हैं जबकि इस सूची में शामिल 300 भारतीयों  में अनिल अंबानी, सचिन तेंदुलकर, बायकान की किरण मजूमदार शॉ और ‘पंजाब नैशनल बैंक घोटाले’ के भगौड़े आरोपी नीरव मोदी की बहन पूर्वी मोदी आदि के नाम हैं। इसमें 5 भारतीय राजनेताओं के नाम भी हैं जिन्हें सार्वजनिक नहीं किया गया। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पैसा किन तरीकों से विदेशों में छिपाया गया है तथा कथित तौर पर सम्पत्तियां छिपाकर टैक्स बचाने के उद्देश्य से विदेशों में कंपनियां और ट्रस्ट बनाए गए हैं।

‘पैंडोरा पेपर्स’ लीक होने से मची हलचल के बाद कुदरती तौर पर विभिन्न पक्षों द्वारा इसका खंडन करते हुए अपने निवेश को वैध बताया जा रहा है। केंद्र सरकार ने इसमें सामने आए तथ्यों की जांच आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय और रिजर्व बैंक आदि विभिन्न विभागों के एक संयुक्त समूह के माध्यम से करवाने का फैसला किया है। जितनी जल्दी यह जांच पूरी की जाए उतना ही अच्छा होगा ताकि देश की संपदा दूसरे देशों में छिपाने वालों का पर्दाफाश हो सके और भविष्य में इस कुप्रवृत्ति पर रोक लगाई जा सके।—विजय कुमार


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