‘समूचा विश्व’ अशांति, हिंसा और ‘असहिष्णुता की लपेट में’

punjabkesari.in Wednesday, Sep 02, 2020 - 05:53 AM (IST)

जैसे-जैसे अनेक देशों की सरकारों में निरंकुशता और स्वार्थलोलुपता बढ़ रही है, उसी अनुपात में लोगों में असंतोष और असहिष्णुता पैदा हो रही है। इससे विश्व में अशांति और हिंसा बढ़ रही है: 

* 24 अगस्त को पाक अधिकृत कश्मीर के ‘ददियाल’ में लगातार हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन और अत्याचारों के विरुद्ध लोगों ने बड़े स्तर पर रैली निकाल कर प्रदर्शन किया। 
* 24 अगस्त को ही अमरीका में विस्कांसिन के केनोशा शहर में 2 महिलाओं का झगड़ा निपटा रहे जैकब ब्लैक नामक एक अश्वेत को पुलिस द्वारा गोली मारने के बाद हिंसा भड़क उठी और लोगों ने आगजनी व लूटमार शुरू कर दी। इस दौरान अमरीका के कई शहरों में फैले प्रदर्शनों पर नियंत्रण पाने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा जिसमें 2 लोग मारे गए। 

* 25 अगस्त को पाक अधिकृत कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद में नीलम और जेहलम नदियों पर चीन द्वारा बांध बनाने के विरुद्ध लोगों ने ‘नदियों पर डैम न बनाओ, सानूं जिंदा रहन देओ’ नारे लगाते हुए विशाल मशाल जलूस निकाला। 
* 25 अगस्त को अफगानिस्तान के प्रांत गोर के शहरक जिले में तालिबान के हमले में 8 पुलिस कर्मचारी मारे गए। 
* 26 अगस्त को चीन सरकार की दमनकारी नीतियों के विरुद्ध हांगकांग में लोकतंत्र समर्थकों द्वारा किए जा रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनों के सिलसिले में पुलिस ने 16 लोगों को गिरफ्तार किया।
* 27 अगस्त को अफगानिस्तान के परवान प्रांत में तालिबान आतंकवादियों ने 4 नागरिकों की हत्या कर दी। 

* 29 अगस्त को स्वीडन के मालमो शहर में दक्षिणपंथी कार्यकत्र्ताओं द्वारा कथित रूप से पवित्र कुरान की प्रति जलाने के विरोध में दंगे भड़क उठे। 
मजहबी नारों के बीच पुलिस और बचाव दल के सदस्यों पर पथराव किया गया। सड़कों पर टायर जलाए गए और आग लगाने की कोशिश की गई। 
* 29 अगस्त को अमरीका की राजधानी वाशिंगटन डी.सी. में हजारों लोगों ने नस्लीय भेदभाव और पुलिस बर्बरता के विरुद्ध प्रदर्शन किया। 
इसी दिन विस्कांसिन में एक अदालत के बाहर लगभग 1000 प्रदर्शनकारियों ने जैकब ब्लैक को गोली मारे जाने के विरोध में प्रदर्शन किया। 

* 29 अगस्त को ही लंदन के ट्राफलगर स्क्वायर पर हजारों लोगों ने लॉकडाऊन  लगाने और फेस मास्क का इस्तेमाल अनिवार्य करने के विरुद्ध प्रदर्शन किया। इसी दिन जर्मनी के बर्लिन शहर में कोविड-19 के मद्देनजर लगाई गई पाबंदियों के विरोध में दक्षिणपंथी चरमपंथियों ने प्रदर्शन किया और जर्मन संसद के अंदर घुसने का प्रयास किया। 
* 31 अगस्त को इंगलैंड के लंदन, कनाडा के टोरंटो और अमरीका के न्यूयार्क शहरों में पाकिस्तान सरकार द्वारा बलूच नागरिकों पर अत्याचारों के विरुद्ध प्रदर्शन किए गए। 

* 31 अगस्त को अमरीका के वाशिंगटन और न्यूयार्क शहरों में उइगर मुसलमान समुदाय के सदस्यों ने चीन में उन पर अत्याचारों के विरुद्ध प्रदर्शन करते हुए बीजिंग सरकार के खिलाफ अमरीकी सरकार और संयुक्त राष्ट्र से कार्रवाई करने का अनुरोध किया। इसी दिन बीजिंग में एक उइगर मुसलमान महिला ने अदालत को बताया कि शिनजियांग प्रांत के आइसोलेशन सैंटर में मुस्लिम महिलाओं को सप्ताह में एक बार मुंह ढंक कर निर्वस्त्र होना पड़ता था और उसके बाद उनके शरीर पर रोगाणुनाशक रसायन का छिड़काव किया जाता था। 

* 31 अगस्त को मैक्सिको सिटी में दवाओं की कमी, बेरोजगारी और गैंगवार के चलते जारी हिंसा के विरुद्ध हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया। उन्होंने राष्टï्रपति एंड्रेस मैनुअल के विरुद्ध नारे लगाए और उनसे त्यागपत्र की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि दवा नहीं मिलने के कारण लोगों की मौत हो रही है और सरकार चुप है। 

* 31 अगस्त को ही पाकिस्तान के खैबरपख्तूनख्वाह प्रांत के दक्षिण वजीरीस्तान में सैनिकों पर आतंकवादियों द्वारा की गई अंधाधुंध फायरिंग के परिणामस्वरूप 3 सैनिक मारे गए तथा 3 अन्य घायल हो गए। 
विश्वभर में व्याप्त ङ्क्षहसा और असंतोष के ये तो मात्र 7 दिनों के चंद उदाहरण हैं जबकि इनके अलावा भी विश्व में इस अवधि के दौरान ङ्क्षहसा की न जाने कितनी घटनाएं हुई होंगी और हो रही हैं। राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार पिछले 25 वर्षों में विश्व में लोकतंत्र की स्थिति कमजोर हुई है और निरकुंश शासन या तानाशाही का समर्थन करने वाली ताकतों की संख्या में वृद्धि हुई है और इन घटनाओं के पीछे  सरकारों की निरंकुश प्रवृत्ति का योगदान भी है। लिहाजा समाज में बढ़ रही हिंसा को देखते हुए यह प्रश्र उठना स्वाभाविक ही है कि आखिर विश्व में वह समय कब आएगा जब लोगों को ऐसी घटनाओं से मुक्ति मिलेगी और वे सुख-शांति से रह पाएंगे।—विजय कुमार 


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