पश्चिम बंगाल की हिंसा से लगा ममता बनर्जी की छवि को आघात
punjabkesari.in Tuesday, Mar 29, 2022 - 04:37 AM (IST)

28 मार्च को पश्चिम बंगाल राज्य विधानसभा अधिवेशन के पहले ही दिन हाल ही में राज्य में हुई बीरभूम हिंसा की घटना की गूंज सुनाई दी तथा भाजपा विधायकों ने तृणमूल सरकार पर आरोप लगाते हुए राज्य में ङ्क्षहसा और कानून व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े कर दिए। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी (भाजपा) ने सत्र की शुरूआत में ही बोलना शुरू कर दिया जिसके बाद भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के विधायकों में जमकर मारपीट शुरू हो गई। इस दौरान तृणमूल कांग्रेस का एक विधायक असित मजुमदार घायल हो गया तथा भाजपा के विधायक एवं मुख्य सचेतक मनोज तिग्गा के कपड़े फाड़ दिए गए। इस हंगामे के चलते विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी सहित 5 भाजपा विधायकों दीपक बर्मन, शंकर घोष, मनोज तिग्गा और नरहरि महतो को इस वर्ष भविष्य के सत्रों के लिए निलंबित कर दिया गया।
उल्लेखनीय है कि 21 मार्च को राज्य के बीरभूम जिले के रामपुरहाट के गांव ‘बागतुई पश्चिमपाड़ा’ में तृणमूल कांग्रेस के सदस्य और ग्राम पंचायत के उप प्रधान ‘भादु शेख’ की हत्या और उसके बाद गांव में हुई हिंसा में घरों को आग लगा कर 8 लोगों को जिंदा जला डालने की घटना के बाद राज्य में बवाल मचा हुआ है। जब सभी राजनीतिक दलों के नेता पीड़ित गांव का दौरा कर जा चुके तब कहीं ममता बनर्जी यहां दौरे पर आईं और प्रत्येक मृतक के परिवार को 5-5 लाख रुपए व बच्चे खोने वालों के लिए 50,000 रुपए अतिरिक्त देने की घोषणा करने के अलावा जले मकानों की मुरम्मत के लिए 2-2 लाख रुपए तथा प्रत्येक परिवार को एक नौकरी देने की घोषणा की। यही नहीं घटना के 24 घंटे बीत जाने के बाद भी इस सम्बन्ध में पुलिस ने कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं की थी जो बाद में शोर मचने पर दर्ज की गई।
पश्चिम बंगाल में राजनीतिक दलों के बीच प्रतिद्वंद्विता पुरानी चलती आ रही है परंतु यह पहला मौका है जब एक ही राजनीतिक दल के दो धड़ों के बीच प्रतिद्वंद्विता के चलते इतना बड़ा खूनखराबा होने की नौबत आई है। इस हत्याकांड का मुख्य अभियुक्त व तृणमूल कांग्रेस का स्थानीय नेता अनारुल हुसैन, 3 दिनों की फरारी के बाद 24 मार्च को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आदेशों के बाद निकट के ही एक इलाके से पकड़ा गया। अनारुल पहले मजदूर के तौर पर पिता की मदद करता था। बाद में वह राज मिस्त्री का काम करने लगा। जल्दी ही वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गया और इलाके में अपने 12 बाडीगार्डों के साथ घूमा करता था। मृतक भादु शेख किसी समय अनारुल हुसैन का ड्राइवर हुआ करता था।
तृणमूल कांग्रेस के पहली बार 2011 में सत्ता में आने के बाद अनारुल तथा भादु द्वारा लोगों से जबरन उगाही और अवैध खनन का सिंडिकेट चलाना शुरू कर दिया तथा यह गिरोह जमीन हथियाने, लोगों को धमकाने, अवैध खनन और उगाही के अलावा दूसरे राज्यों से आने-जाने वाले ट्रकों से भी 2000 रुपए से 7000 रुपए तक जब्री वसूली करता था। पश्चिम बंगाल के लोग देश के अनेक राज्यों की तुलना में अधिक सुसभ्य और सुसंस्कृत माने जाते हैं परंतु इसी राज्य में राजनीतिक दलों की आपसी प्रतिद्वंद्वता में न सिर्फ लोगों को जिंदा जलाया जा रहा है बल्कि विधानसभा में हाथापाई और मारपीट तक की नौबत आ गई है। हालांकि होना तो यह चाहिए कि सभी पक्ष आपस में मिल-बैठकर शांतिपूर्वक किसी भी समस्या का हल तलाश करें परंतु विभिन्न दलों में सहमति की बात तो एक ओर स्वयं तृणमूल कांग्रेस के धड़ों में लड़ाई जारी है जिससे हिंसा को बढ़ावा मिल रहा है।
उल्लेखनीय है कि राज्य में लगभग छह दशक पूर्व शुरू हुआ हिंसा का खेल आज तृणमूल कांग्रेस के शासनकाल में भी उसी प्रकार जारी है जो चुनावी हिंसा के बाद अब आपसी प्रतिद्वंद्विता के परिणामस्वरूप होने वाली अपने ही दल के लोगों के बीच हिंसा का रूप धारण कर रहा है। ममता बनर्जी राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका निभाने की इच्छुक होने के बावजूद अपने ही दल के सदस्यों को आपस में लडऩे-झगडऩे और हिंसा करने से रोकने में विफल हैं। अत: जरूरत इस बात की है कि यदि ममता सचमुच देश के लिए कुछ करना ही चाहती है तो पहले उसे प्रदेश में व्याप्त हिंसा की राजनीति, अपने ही दल में जारी प्रतिद्वंद्विता तथा पार्टी के लोगों द्वारा किए जाने वाले गलत कामों जब्री वसूली, गुंडागर्दी आदि पर काबू पाना होगा।—विजय कुमार
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