‘बिहार के चुनावी रंगमंच पर हो रहे’ ‘तरह-तरह के नाटक’

punjabkesari.in Friday, Oct 23, 2020 - 03:41 AM (IST)

इस समय जबकि बिहार में चुनावी बुखार यौवन पर है, उन्हें देख कर लगता है जैसे राजनीति में चुनावी टिकट पाना ही सब कुछ है। कोई अपने सिद्धांतों के लिए छोड़ रहा है ‘पार्टी सिद्धांत’। प्रतिनिधियों में सुविधाओं और झंडी वाली कार के साथ टिकट की हवस भी है ऊंचाई पर। जब माननीय चुना जाता है तो हर बार कार्यकाल पूरा होने पर उसकी एक और पैंशन लग जाती है, कई तो 5-5 पैंशने ले रहे हैं। नेतागण चुनावों में जीत के लिए जातिवाद का सहारा भी लेते हैं। बिहार चुनावों में भाजपा नीत राजग गठबंधन की ओर से जद (यू) सुप्रीमो नीतीश कुमार एक बार फिर भावी मुख्यमंत्री के रूप में पेश किए गए हैं। 

एक ओपिनियन पोल के अनुसार नीतीश कुमार को पुन: मुख्यमंत्री के रूप में देखने के इच्छुक लोगों की संख्या 2015 में 80 प्रतिशत के मुकाबले घट कर 56 प्रतिशत रह गई है, फिर भी राजग गठबंधन के ही जीतने और नीतीश कुमार के ही मुख्यमंत्री बनने की भविष्यवाणी है। मुझे ‘सुशासन बाबू’ के नाम से प्रसिद्ध नीतीश जी के साथ पुरानी मुलाकात याद आ रही है, जब हमने उन्हें ‘पंजाब केसरी पत्र समूह’ द्वारा आतंकवाद पीड़ितों की सहायतार्थ आयोजित ‘शहीद परिवार फंड’ समारोह में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित करने का निर्णय किया। 

श्री ओम प्रकाश खेमकर्णी, जो नीतीश कुमार जी की ही पार्टी जद (यू) के पंजाब उप-प्रधान और प्रवक्ता भी हैं, ने कहा कि मैं उन्हें बुलवाने का प्रबंध करता हूं। इसी के अनुरूप उन्हें कार्यालय से पत्र लिख कर निमंत्रण भिजवाया गया, जिसे उन्होंने तुरंत स्वीकार कर लिया और 30 नवम्बर, 2008 को वह समारोह में जालंधर पहुंच गए। समारोह में बोलते हुए जहां ‘पंजाब केसरी समूह’ द्वारा आतंकवाद पीड़ितों के घावों पर मरहम लगाने के प्रयासों की सराहना की, वहीं उन्होंने कहा : ‘‘आतंकवादी हमारी अंदरूनी एकता को छिन्न-भिन्न करना चाहते हैं, जिससे हमें बच कर चलना होगा। विश्व में कोई ऐसा बम नहीं बना या कोई ऐसी ताकत नहीं है जो भारत को तबाह कर सके।’’ बहरहाल, अब जैसे-जैसे मतदान के दिन निकट आ रहे हैं, विभिन्न नेताओं के नाटकीय बयान सामने आ रहे हैं। जहां बिहार के चुनावों में भाजपा तथा अन्य दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, वहीं सभी दलों ने ‘वादों का पिटारा’ भी खोल दिया है। 

राज्य में राजद द्वारा 10 लाख नौकरियों की घोषणा के बाद भाजपा द्वारा अपने ‘संकल्प पत्र’ में अन्य घोषणाओं की बौछार के साथ ‘19 लाख नौकरियां’ देने की घोषणा पर भारी बहस छिड़ गई है। राजद तथा भाजपा दोनों ही एक-दूसरे के दावों का खंडन कर रहे हैं। राजद से नीतीश कुमार ने पूछा है कि ‘‘सैलरी के लिए पैसा जेल से आएगा या नकली नोट छापेंगे?’’ चुनाव प्रचार में कोरोना महामारी का प्रवेश भी हो गया है। भाजपा द्वारा ‘कोरोना वैक्सीन’ राज्य में मुफ्त देने की भी आलोचना शुरू है तथा विपक्षी दलों ने पूछा है कि यह ‘कृपा’ बिहार पर ही क्यों? 

नेताओं में बयानबाजी भी लगातार ‘तीखी’ हो गई है। जहां भाजपा ने महागठबंधन को ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ कहा है, वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महागठबंधन पर वार करते हुए कहा है कि: ‘‘माकपा (माले) कोरोना जैसी बुरी है और राजद तथा कांग्रेस उससे भी खतरनाक जो नक्सलवाद तथा आतंकवाद फैला रहे हैं।’’ बिहार में मतदाताओं को ‘लुभाने के लिए बांटी’ जाने वाली अब तक 35 करोड़ रुपए मूल्य की वस्तुएं जब्त हो चुकी हैं। बरेली में बिहार के चुनावों में बांटने के लिए पंजाब से एक ट्रक में भेजी जा रही 50 लाख रुपए मूल्य की 18,600 बोतल शराब भी पकड़ी गई है। ट्रक के ड्राइवर ने कहा कि वह चुनाव में वोटरों के लिए ‘दवाई’ लेकर जा रहा है। नीतीश द्वारा राज्य में शराबबंदी लागू करने के बाद होने वाले ये पहले चुनाव हैं। जहां महिलाएं खुश हैं, वहीं पुरुष नीतीश से नाराज और इन चुनावों में शराबबंदी भी एक भूमिका निभा सकती है। 

केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों के विरोध का दायरा बढ़ाते हुए ‘अखिल भारतीय किसान संघर्ष तालमेल कमेटी’ ने बिहार के चुनावों में भाजपा प्रत्याशियों के विरुद्ध प्रचार शुरू कर दिया है। कुल मिला कर बिहार के ‘राजनीतिक रंगमंच’ पर इस तरह का नाटक खेला जा रहा है, जिसमें आने वाले दिनों में कौन से नए दृश्य जुड़ते हैं और ‘ऊंट किस करवट बैठेगा, यह भविष्य के गर्भ में है’।—विजय कुमार  


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