मतभेद छोड़ राम मंदिर निर्माण पर ध्यान केंद्रित करे न्यास
punjabkesari.in Friday, Nov 22, 2019 - 12:37 AM (IST)
अंतत: 9 नवम्बर को राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीमकोर्ट ने सर्वसम्मिति से ‘राम लला विराजमान’ के पक्ष में सशर्त फैसला सुनाते हुए कहा कि अयोध्या में विवादित भूमि पर ही राम मंदिर बनेगा।
इसका स्वागत न सिर्फ हिन्दुओं बल्कि मुसलमानों तथा अन्य धर्मों के लोगों ने भी किया तथा इस बारे शिया सैंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि, ‘‘भगवान राम इमाम-ए-हिंद और मुसलमानों के पूर्वज हैं।’’ उन्होंने राम मंदिर के भव्य निर्माण के लिए 51,000 रुपए का चैक भी दिया। श्री राम के प्रति मुस्लिम भाईचारे के आदरभाव का उल्लेख करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बार बताया था कि,‘‘इंडोनेशिया के अनेक लोगों ने इस्लाम धर्म अपना लिया लेकिन उन्होंने श्री राम को विस्मृत नहीं किया। इंडोनेशिया के लोगों का कहना है कि ‘राम से हमारा सम्बन्ध बहुत पुराना है और तब से है जब हम मुसलमान नहीं हुए थे।’
श्री राम के प्रति मुसलमान भाईचारे के आदर भाव का पता ‘राष्ट्रीय मुस्लिम मंच’ के प्रदेश संयोजक श्री के.डी. हिमाचली के बिलासपुर में दिए इस बयान से भी चलता है कि ‘‘सुप्रीमकोर्ट के फैसले का भारत के 99 प्रतिशत मुसलमान समर्थन कर रहे हैं तथा राम मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ होने पर हिमाचल के मुसलमान जत्थों में कार सेवा करने के लिए अयोध्या जाएंगे।’’
राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में मुख्य पक्षकार इकबाल अंसारी ने भी फैसले से पूर्ण सहमति जताते हुए कहा है कि वह कोई रिव्यू पटीशन दाखिल नहीं करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अयोध्या विवाद तो एक साधारण सा भूमि विवाद था परंतु बाहर के लोग ही हैं जो लोगों को भड़काने का कार्य करते हैं तथा गंदी राजनीति खेलते हैं। यह भी एक विडम्बना ही है कि सुप्रीमकोर्ट का फैसला आने के बाद गठित होने वाले राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट को लेकर साधु-संतों में फूट सामने आ रही है। इस मामले को लेकर जहां राम मंदिर निर्माण के लिए अनशन करने वाले संत परमहंसदास और श्री राम जन्म भूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य डा. राम विलास दास वेदांती के बीच विवाद शुरू हो गया है वहीं राम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष महन्त नृत्य गोपाल दास ने कहा है कि न्यास पहले ही मौजूद है। नया ट्रस्ट बनाने की आवश्यकता नहीं है। इसमें कुछ नए सदस्यों को शामिल करके मंदिर निर्माण आगे बढ़ाया जा सकता है।
दूसरी ओर दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास ने महन्त नृत्य गोपाल दास के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। स्वामी अविमुक्तेश्वर नंद ने भी अपनी आवाज तेज़ करते हुए कहा है कि रामाल्य न्यास को राम मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी दी जाए। इसका गठन पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव के समय में हुआ था। जानकी घाट के महंत की भी अपनी ही मांग है, जिनका कहना है कि राम जन्म भूमि निर्माण न्यास में उन्हें भी स्थान मिलना चाहिए। इस समय जबकि करोड़ों हिन्दुओं की आस्था के केंद्र मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के भव्य मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ है, इस प्रकार का आचरण कतई शोभा नहीं देता। लिहाजा इस मामले से जुड़े किसी भी व्यक्ति को अपने मुंह से बात पूरी तरह सोच-विचार के बाद ही निकालनी चाहिए।—विजय कुमार
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