''सच्चा या झूठा''? ''तथागत राय का''चौंकाने वाला'' बयान''

punjabkesari.in Sunday, May 09, 2021 - 03:23 AM (IST)

हाल ही में चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के विधानसभा चुनावों के दौरान सबकी नजरें पश्चिम बंगाल पर ही टिकी रहीं जहां तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी को सत्ताच्युत करके अपनी सरकार बनाने के प्रयासों में भारतीय जनता पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी थी। 

भाजपा नेतृत्व ने अपनी पार्टी के पुराने सदस्यों के विरोध के बावजूद तृणमूल कांग्रेस से दल-बदली करके आए 34 विधायकों में से 13 को टिकट देकर चुनाव लड़वाया परंतु उनमें से पांच ही जीत पाए। इस समय जबकि बंगाल में पराजय को लेकर भाजपा के अंदर घमासान मचा हुआ है, ऐसे में पार्टी के वरिष्ठï नेता और मेघालय के पूर्व राज्यपाल ‘तथागत राय’ की टिप्पणियों से फिर विवाद खड़ा हो गया है। उन्होंने भाजपा के बंगाल प्रदेश अध्यक्ष ‘दिलीप घोष’ एवं बंगाल प्रभारी ‘कैलाश विजयवर्गीय’ आदि को इस स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया। 

उन्होंने फिल्म और टी.वी. कलाकारों, जिनका राजनीति से कभी वास्ता नहीं रहा, को पहली बार ही टिकट देने के लिए पार्टी की आलोचना की तथा सवाल किया कि ‘‘पार्टी ने अभिनेता-अभिनेत्रियों में ऐसी कौन सी खूबी देखी जो पार्टी के पुराने नेताओं की उपेक्षा कर उन्हें टिकट थमा दिए।’’ ‘तथागत राय’ ने इन चुनावों में बड़ा नगर, बेहाला पश्चिम तथा बेहाला पूर्व से चुनावों में हारने वाली अभिनेत्रियों पार्णो मित्रा, सराबंती चटर्जी तथा पायल सरकार का नाम लेते हुए उन्हें ‘राजनीतिक मूर्ख’ करार दिया। ‘तथागत राय’ ने कहा, ‘‘80 के दशक के बाद बंगाल में पार्टी का आधार बनाने के लिए मेहनत करने वाले वर्करों की उपेक्षा की गई। सारा चुनावी कामकाज हिन्दी भाषी ‘कैलाश विजयवर्गीय’, ‘शिव प्रकाश’ व ‘अरविंद मोहन’ ने किया।’’ 

‘‘कैलाश विजयवर्गीय, ‘दिलीप घोष’ तथा अन्य पार्टी नेताओं ने ही बंगाल में ‘सैवन स्टार’ होटलों में बैठ कर तृणमूल कांग्रेस से आए ‘कचरे’ को टिकट बांटे और अब जबकि वर्करों का उनके विरुद्ध गुस्सा फूट रहा है तब भी वे वहीं बैठ कर तूफान के गुजरने का इंतजार कर रहे हैं।’’ इन नेताओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का नाम खराब करने का आरोप लगाते हुए ‘तथागत राय’ ने कहा, ‘‘मुझे अब इसी बात की आशंका है कि जो कचरा तृणमूल कांग्रेस से भाजपा में आया है वह अब वापस जाएगा और हो सकता है कि यदि भाजपा कार्यकत्र्ताओं को पार्टी में बदलाव नजर न आया तो वे भी चले जाएंगे।’’ 

‘तथागत राय’ ने तो यहां तक कहा है कि ‘‘इस समय जब भाजपा वर्कर तृणमूल कांग्रेस के अत्याचारों का शिकार हो रहे हैं तब भी ‘कैलाश विजयवर्गीय’, ‘अरविंद मोहन’ और ‘शिव प्रकाश’ उन्हें बचाने की बजाय इसी बात से संतोष करने की कोशिश कर रहे हैं कि भाजपा 3 से 77 सीटों पर पहुंच गई है।’’ जहां कुछ लोगों ने ‘तथागत राय’ की इस टिप्पणी को महिला विरोधी बताया है, वहीं एक अन्य वर्ग का कहना है कि ‘तथागत राय’ को यह तर्कपूर्ण प्रश्र पूछने का पूरा अधिकार है। ‘तथागत राय’ की टिप्पणी को लेकर भाजपा उच्च कमान ने उन्हें दिल्ली बुला लिया है तो अब सच सामने आ ही जाएगा परंतु पार्टी के सदस्यों द्वारा अपनी ही पार्टी बारे आलोचनात्मक टिप्पणी करने का यह कोई पहला मौका नहीं है। 

किसान आंदोलन को लेकर भी भारतीय जनता पार्टी के अनेक वरिष्ठï नेता, जिनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह, मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक, हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज आदि शामिल हैं, अपनी आवाज उठा चुके हैं। इसी प्रकार समय-समय पर कांग्रेस पार्टी के भी अनेक वरिष्ठï सदस्य अपनी पार्टी में घर कर गई अनेक कमजोरियों की ओर पार्टी हाईकमान का ध्यान दिलाते रहे हैं। इस लिहाज से ‘तथागत राय’ ने बंगाल में भाजपा की पराजय को लेकर अपने विचारों के माध्यम से पार्टी को सतर्क करने का ही प्रयास किया है। ‘तथागत राय’ द्वारा पश्चिम बंगाल में भाजपा की हार के बताए गए कारण किस हद तक सही हैं, इसका पता तो भाजपा द्वारा हार की समीक्षा के लिए बनाई जाने वाली कमेटी की रिपोर्ट से ही चलेगा। 

चूंकि पार्टी व्यक्ति से बढ़ कर है अत: यदि पार्टी ‘तथागत राय’ की टिप्पणियों का खंडन नहीं करती तो इसका मतलब यह होगा कि उनकी बात सही है। हालांकि यह भी हो सकता है कि उन्होंने पहले यह बात पार्टी के मंच पर रखने की कोशिश की हो परंतु पार्टी नेतृत्व द्वारा न सुनने के कारण वह इन बातों को सार्वजनिक रूप से कहने को विवश हो गए हों।—विजय कुमार 

 


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