लगातार चालू है नेताओं में दल-बदली का रुझान

punjabkesari.in Wednesday, Dec 29, 2021 - 05:09 AM (IST)

इन दिनों देश के पांच राज्यों में चुनावी बुखार के साथ-साथ दल-बदली का सिलसिला भी जोरों पर है। अनेक नेतागण अपनी मूल पार्टियों को अलविदा कह कर अपनी पसंदीदा पार्टियों की ओर रुख कर रहे हैं जिसके चंद ताजा उदाहरण निम्र में दर्ज हैं : 

* 9 दिसम्बर को ‘आम आदमी पार्टी’ की पंजाब शाखा के पूर्व संयोजक सुच्चा सिंह छोटेपुर ‘शिअद’ में शामिल हो गए।
* 13 दिसम्बर को गोवा में राकांपा के एकमात्र विधायक ‘चर्चिल अलेमाओ’ ने तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा कर दी।
* 13 दिसम्बर को ही ‘आप’ के पूर्व विधायक जगतार सिंह राजला कांग्रेस में शामिल हो गए। 

* 14 दिसम्बर को पूर्व कांग्रेस सांसद अमरीक सिंह आलीवाल तथा शिअद से पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी मोहम्मद इजहार आलम की पत्नी फरजाना आलम ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की नव-गठित पार्टी ‘पंजाब लोक कांग्रेस’ की सदस्यता ग्रहण की।
* 24 दिसम्बर को शिवसेना (ठाकरे) के नेता संतोख सिंह सुख ने भाजपा  तथा पंजाब कांग्रेस के पूर्व महासचिव के.के. शर्मा ने ‘पंजाब लोक कांग्रेस’ की सदस्यता ग्रहण कर ली। 

* 24 दिसम्बर वाले दिन ही बंगाल में ‘गोरखा जनमुक्ति मोर्चा’ (जी.जे.एम.) के नेता ‘विनय तमांग’ सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस में जा मिले। इसी दिन गोवा के पूर्व विधायक ‘लवू मामलातादार’ ने तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। वह तीन महीने पहले ही तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे।
* 27 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश में भाजपा, बसपा, लोजपा तथा अपना दल के कई प्रमुख नेता सपा में शामिल हो गए। इनमें भाजपा कार्यकारिणी के सदस्य प्रमोद कुमार बाजपेयी, हाथरस के पूर्व ब्लाक प्रमुख देवेन्द्र वर्मा और लोकजन शक्ति पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष नीरज मिश्र शामिल हैं। 

* 27 दिसम्बर को ही मोहाली के पूर्व मेयर कुलवंत सिंह ‘आम आदमी पार्टी’ में शामिल हो गए। वह पहले शिअद में थे तथा बाद में उन्होंने अपना अलग स्वतंत्र ग्रुप बना लिया था। इसी दिन जालन्धर से भाजपा नेता शीतल अंगुराल ने ‘आप’ से नाता जोड़ लिया। 

* और अब 28 दिसम्बर को पंजाब के कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा के छोटे भाई तथा विधायक फतेहजंग सिंह बाजवा, विधायक बलविंद्र सिंह लाडी व क्रिकेटर दिनेश मोंगिया सहित 16 नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया। इनमें पूर्व सांसद राजदेव खालसा, शिअद के तीन बार विधायक रह चुके गुरतेज सिंह घुडिय़ाना, ईसाई नेता कमल बख्शी शामिल हैं। 

नेताओं के दल-बदली के रुझान के संबंध में हम अक्सर लिखते रहते हैं कि मूल पार्टी में उपेक्षा होने के कारण भी कोई व्यक्ति दूसरी पार्टी में जाता है परन्तु वहां भी उसे कुछ समय पश्चात सम्मान नहीं मिलता और वह अंतत: अपनी पार्टी में लौटने को विवश हो जाता है। अत: पार्टी के वरिष्ठï नेताओं का कत्र्तव्य है कि वे कर्मठ वर्कर की अनदेखी न करें और उनकी आवाज सुनें। 

वरिष्ठ कांग्रेस नेता अजय माकन ने इस संबंध में बिल्कुल सही कहा है कि ‘‘कुछ नेता सत्ता की भूख के कारण अपनी मूल पार्टी को छोड़ कर एकदम विपरीत विचारधारा वाली पार्टी में जाने को तैयार हो जाते हैं परन्तु जो अपनी मूल पार्टी को छोड़ कर जाता है वह कहीं का नहीं रहता।’’ ‘‘दूसरी पार्टी केवल उसका उपयोग करती है। लोभ और लालच के लिए अपनी विचारधारा बदलने वाले न तो नेता हैं और न ही अच्छी श्रेणी के इंसान।’’—विजय कुमार


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