देश में बलात्कारों की आंधी केवल मृत्युदंड सुनाना ही काफी नहीं

punjabkesari.in Tuesday, Feb 01, 2022 - 05:35 AM (IST)

सरकार द्वारा महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में कमी आने के दावों के बावजूद ये लगातार जारी हैं। स्थिति कितनी चिंतनीय हो चुकी है यह मात्र 6 दिनों की निम्र घटनाओं से स्पष्ट है : 

* 22 जनवरी को चेन्नई में पड़ोसी द्वारा बलात्कार की शिकार 16 वर्षीय नाबालिग ने गर्भवती होने का पता चलने पर आत्महत्या कर ली।
* 23 जनवरी को हिसार में एक विवाह समारोह में आई 7 वर्षीय बच्ची से बलात्कार करके उसे बुरी तरह घायल कर देने के आरोप में मैरिज पैलेस के वेटर के विरुद्ध पुलिस ने केस दर्ज किया।

* 23 जनवरी को मुंबई पुलिस ने कोलकाता में सईद यूसुफ जमाल नामक व्यक्ति को एक महिला से लगातार 6 वर्ष तक बलात्कार करने और ब्लैकमेल करके भारी-भरकम रकम वसूलने के आरोप में गिर तार किया जिसकी पत्नी अपराध का वीडियो बनाती थी। 

* 24 जनवरी को दिल्ली पुलिस ने एक 8 वर्षीय बच्ची से बलात्कार करके उसे बुरी तरह घायल करने के आरोप में 11 और 12 वर्षीय 2 किशोरों को पकड़ा। दिल्ली महिला आयोग ने इस संबंध में पुलिस को नोटिस भेज कर आरोपियों के विरुद्ध तत्काल एक्शन लेने को कहा है।
* 26 जनवरी को मैनपुरी के किशनी क्षेत्र की मस्जिद के 55 वर्षीय इमाम को उससे धार्मिक शिक्षा लेने आई 8 वर्षीय बालिका के साथ बलात्कार करने के आरोप में बालिका के परिजनों ने मस्जिद से बाहर खींच कर पिटाई करने के बाद पुलिस के हवाले कर दिया। 

* 27 जनवरी को दिल्ली में एक 20 वर्षीय युवती का अपहरण कर उसका सामूहिक बलात्कार करने, उसके बाल काटने, मुंह पर कालिख पोतने और जूतों की माला पहना कर शहर के कस्तूरबा नगर इलाके में सड़क पर घुमाने के आरोप में महिलाओं सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसी प्रकार की घटनाओं के दृष्टिïगत 27 जनवरी को ही जींद की एडीशनल सैशन जज गुरविंद्र कौर ने एक नाबालिगा से बलात्कार करने के आरोप में एक अभियुक्त को 1 लाख रुपए जुर्माना तथा 20 वर्ष कैद की सजा सुनाई। 

इसी दिन अररिया की विशेष पोक्सो अदालत के न्याधीश शशिकांत राय ने केवल 5 दिनों की सुनवाई के बाद 6 वर्षीय मासूम से बलात्कार करने के आरोपी मेजर नामक युवक को फांसी की सजा सुना कर मिसाल पेश की है। इसके साथ ही माननीय न्यायाधीश ने पीड़िता को ‘विक्टिम क पैनसेशन फंड’ से 10 लाख रुपए आर्थिक सहायता देने का आदेश भी जारी किया। उल्लेखनीय है कि यह मामला इसी वर्ष 20 जनवरी को अदालत में आया था जिसके 2 दिन बाद ही 22 जनवरी को आरोप तय किया गया और 27 जनवरी को सजा सुना दी गई। इसी बीच 29 जनवरी को जबलपुर के बरेला इलाके में एक युवती से बलात्कार करने के आरोप में जेल से जमानत पर आए छूट कर आए एक युवक को गिरफ्तार किया गया है। 

प्रतिदिन सामने आ रही बलात्कार की घटनाओं ने देश के अधिकांश भागों में नारी जाति की सुरक्षा पर प्रश्र खड़े कर दिए हैं, अत: अदालत द्वारा मात्र 5 दिनों की अवधि में दोषी को फांसी की सजा सुनाकर एक मिसाल पेश की गई है उसी प्रकार बलात्कारों के अन्य मामलों पर गी जल्दी सजा सुनाए जाने की जरूरत है परंतु इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि सजा पर अमल भी जल्द से जल्द हो। 

आमतौर पर सजा तो सुना दी जाती है परंतु अपील दर अपील के चक्कर में वर्षों बीत जाते हैं और अंत में जाकर आरोपी कई मामलों में बरी भी हो जाते हैं। अत: यदि फास्ट ट्रैक अदालतें बनाकर बलात्कार के मामलों का तेजी से निपटारा करके अपराधियों को कठोरतम सजा दी जाने लगे तो महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में कुछ कमी जरूर आ सकती है।—विजय कुमार 


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