जारी है सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की जगह ‘किराए के अध्यापकों’ द्वारा पढ़ाना!

punjabkesari.in Thursday, Sep 29, 2022 - 04:16 AM (IST)

हम शुरू से ही लिखते रहे हैं कि हमारे मंत्रियों, नेताओं व अधिकारियों को सड़क मार्ग से सफर करना चाहिए। हमने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री श्री प्रकाश सिंह बादल से भी कहा था कि वह राज्य में कहीं जाते समय रास्ते में किसी एक सरकारी स्कूल, अस्पताल या दफ्तर में बिना पूर्व सूचना के अचानक पहुंच जाएं तो उन्हें वहां की समस्याओं का पता चलेगा और साथ ही उस इलाके के अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों के कार्य में स्वत: ही कुछ सुधार हो जाएगा।

इसी शृंखला में 2012 में पंजाब के पूर्व शिक्षा मंत्री श्री दलजीत सिंह चीमा के निर्देश पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने स्कूलों में छापे मार कर संतोषजनक नतीजे न देने वाले अध्यापकों की क्लास लगाई। इसके साथ ही लम्बी छुट्टी लेकर विदेशों में बैठे 1200 अध्यापकों के विरुद्ध कार्रवाई करके उनकी सेवाएं भी समाप्त की गईं। बीच में कुछ समय के लिए औचक छापेमारी का सिलसिला कुछ थम गया था परन्तु अब देश के कुछ हिस्सों में इसमें तेजी आई है। इसी सिलसिले में उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में छापेमारी शुरू की गई है।

उत्तराखंड के शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने राज्य के स्कूलों को उनके यहां पढ़ाने वाले सभी अध्यापकों के चित्रों की सूची के साथ उनके नाम प्रदॢशत करने का निर्देश जारी किया है ताकि अध्यापक अपने स्थान पर ‘प्रॉक्सी अध्यापकों’ (दिहाड़ी पर रखे गए किराए के अध्यापकों) को पढ़ाने के लिए कक्षाओं में न भेज सकें।  यह निर्णय हाल ही में पौड़ी के ‘थलसई’ में बागवाड़ी स्थित  प्राइमरी स्कूल की प्रभारी प्रिंसीपल ‘शीतल रावत’ (महिला) द्वारा अपने स्थान पर काम पर जाने के लिए एक महिला की सेवाएं लेने के रहस्योद्घाटन के बाद लिया गया। 

यह मामला 20 सितम्बर को मुख्य शिक्षा अधिकारी आनंद भारद्वाज द्वारा मारे गए औचक छापे के दौरान सामने आया व अगले दिन प्रिंसीपल ‘शीतल रावत’ को निलंबित करके उसके विरुद्ध जांच का आदेश जारी किया गया। फिलहाल प्रिंसीपल ‘शीतल रावत’ को ब्लाक शिक्षा अधिकारी के साथ अटैच कर दिया गया है तथा उससे इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा गया है। बताया जाता है कि 66,000 रुपए मासिक वेतन लेने वाली उक्त प्रिंसीपल ‘शीतल रावत’ अपने स्थान पर छात्रों की क्लासें लेने के लिए एक महिला को पिछले एक वर्ष से 2500 रुपए मासिक के आसपास रकम दे रही थी।

शिक्षा अधिकारी के अनुसार, ‘‘यह स्कूल सुदूरवर्ती इलाके में स्थित है तथा बच्चों के माता-पिता ने कभी महसूस ही नहीं किया कि उनके बच्चों को एक ‘प्रॉक्सी अध्यापिका’ पढ़ा रही है।’’ ‘‘यह एक अत्यंत गंभीर मामला है। अध्यापक अपनी ड्यूटी में ऐसी कोताही नहीं बरत सकते जो कोई भी अपनी ड्यूटी से गायब पाया जाएगा उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।’’  उल्लेखनीय है कि इस वर्ष मई में भी पौड़ी गढ़वाल में एक अन्य सरकारी स्कूल की प्रिंसीपल को पकड़ा गया था जिसने अपने स्थान पर ड्यूटी देने के लिए 10,000 रुपए महीने पर एक महिला को रखा हुआ था।

इसी बीच 23 सितम्बर को पौड़ी जिले के दुगड्डा प्राइमरी स्कूल में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया जहां अध्यापकों द्वारा 2500 रुपए मासिक पर एक टीचर को ‘हायर’ करने का मामला सामने आया है।उत्तराखंड में अनेक सरकारी प्राथमिक विद्यालय ‘प्रॉक्सी अध्यापकों’ के भरोसे चल रहे हैं। पहले भी यह बात सुनने में आती रही कि दुर्गम क्षेत्रों के सरकारी प्राथमिक स्कूलों से अध्यापक गायब हो जाते हैं तथा अपने स्थान पर किसी अन्य को दिहाड़ी पर पढ़ाने की जिम्मेदारी सौंप जाते हैं।

इसी बीच कुछ समय पूर्व नागालैंड के ‘वोखा’ जिले के ‘सानिस’ स्थित सरकारी हाई स्कूल में 2 अध्यापकों द्वारा अपने स्थान पर बच्चों को पढ़ाने के लिए 2 प्रॉक्सी टीचर रखे जाने का पता चला था जिनके विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांवों के स्कूलों में ‘प्रॉक्सी टीचरों’ का मुद्दा उठाकर सुझाव दिया था कि राज्यों को कक्षाओं में स्थायी शिक्षकों के चित्र लगाकर यह फर्जीवाड़़ा रोकने की कोशिश करनी चाहिए। इस कार्रवाई को तो जारी रखा ही जाना चाहिए परन्तु इस प्रकार अपने स्थान पर किराए के अध्यापक रखने वाले अध्यापक-अध्यापिकाओं के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई भी की जानी चाहिए ताकि कोई भी छात्रों के भविष्य के साथ इस प्रकार खिलवाड़ न कर सके।-विजय कुमार


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