‘कटुता का जहर फैला रहे’ ‘चंद नेताओं के मर्यादाहीन बयान’

punjabkesari.in Thursday, Apr 15, 2021 - 04:09 AM (IST)

हम लिखते रहते हैं कि हमारे माननीयों को हर बयान सोच-समझ कर ही देना चाहिए ताकि अनावश्यक विवाद पैदा न हों परंतु पिछले कुछ समय से हमारे देश में विभिन्न राजनीतिक दलों के चंद छोटे-बड़े नेताओं द्वारा कटुतापूर्ण, चुभने वाले तथा ऊल-जलूल बयान देने का एक रुझान सा चल पड़ा है जिसके मात्र 20 दिनों के चंद उदाहरण निम्र में दर्ज हैं : 

* 24 मार्च को तमिलनाडु में द्रमुक नेता ‘डिडीगुल लियोनी’ ने कहा, ‘‘महिलाओं ने अपना शेप खो दिया है और वे ‘ढोल’ की तरह दिखने लगी हैं क्योंकि विदेशी गायों का दूध पीने के कारण उनका वजन बढ़ता जा रहा है।’’
* 24 मार्च को ही तमिलनाडु विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एम.के. स्टालिन (द्रमुक) ने कहा, ‘‘तमिलनाडु का मुख्यमंत्री पलानीस्वामी (अन्नाद्रमुक) सांप और छिपकली से भी अधिक जहरीला है।’’ 
* 26 मार्च को उत्तर प्रदेश में बाराबंकी में भाजपा नेता रंजीत बहादुर श्रीवास्तव बोले, ‘‘सड़क पर बनी मजारें तो हटनी चाहिएं मगर मंदिर हटाने की बजाय वहां से सड़क ही हटा देनी चाहिए।’’
* 29 मार्च को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बोलीं, ‘‘मैं रॉयल बंगाल टाइगर हूं और घायल बाघ अधिक खतरनाक होता है।’’ 

* इसी दिन तृणमूल कांग्रेस को छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी ने कहा, ‘‘बेगम (ममता) को वोट मत दीजिए। अगर आप बेगम को वोट देंगे तो यह (पश्चिम बंगाल) मिनी पाकिस्तान बन जाएगा।’’
* 30 मार्च को केरल के पूर्व निर्दलीय सांसद जॉयस जार्ज ने कहा, ‘‘राहुल गांधी कुंवारे होने के कारण केवल लड़कियों के कालेजों में जाते हैं। इसीलिए मैं छात्राओं से कहूंगा कि वे राहुल गांधी का सामना करते समय उनसे सावधान रहें और उनके आगे कभी न झुकें...वह समस्या पैदा करने वाले कुंवारे हैं।’’ 
* 30 मार्च को ही द्रमुक नेता ए. राजा ने एक बयान में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री तथा अन्नाद्रमुक के नेता पलानीस्वामी की तुलना अपनी पार्टी ‘द्रमुक’ के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि के बेटे एम.के. स्टालिन से करते हुए कहा :
‘‘पलानीस्वामी अवैध संबंधों के चलते समय से पहले पैदा हुआ बच्चा है जबकि स्टालिन वैध संबंध से पैदा हुआ पूरी तरह परिपक्व इंसान है।’’ द्रमुक की वरिष्ठï नेता कनिमोझी ने भी इस बयान पर नाराजगी जाहिर की है। 

* इसी दिन द्रमुक नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री दयानिधि मारन बोले, ‘‘अन्नाद्रमुक के नेता जयललिता को ‘अम्मा’ व नरेंद्र मोदी को ‘पिता’ कहते हैं। दोनों का क्या रिश्ता है? जब मैं यही बात कहता हूं तो वे मुझ पर चिल्लाते हैं।’’
* 02 अप्रैल को असम में ‘आल इंडिया यूनाइटिड डैमोक्रेटिक फ्रंट’ के नेता मौलाना बदरूद्दीन अजमल ने कहा, ‘‘गरीब जब रात को उठेगा...मियां-बीवी हैं...दोनों जवान हैं...तो फिर रात को क्या करेंगे? बच्चे ही तो पैदा करेंगे।’’
* 04 अप्रैल को भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय सचिव और ‘बयान बहादुर’ के नाम से मशहूर विनय कटियार ने बाराबंकी में बोलते हुए राहुल गांधी को ‘चीन का दलाल’  और उनकी पूरी पार्टी को ऐसी विधवा करार दिया जो विलाप तो करती है परंतु उसे कोई पुचकारता नहीं है। 

* 08 अप्रैल को मालदा में ए.आई.एम.आई.एम. के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘‘ममता बनर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच भीतर-भीतर सांठगांठ है। दोनों भाई-बहन हैं।’’
* 12 अप्रैल को भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने कहा, ‘‘केंद्रीय बलों द्वारा कूच बिहार के शीतलकुची में 4 की जगह 8 लोगों को गोली मारनी चाहिए थी।’’
* 13 अप्रैल को वरिष्ठ भाजपा नेता एवं राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया द्वारा महाराणा प्रताप को लेकर दिए गए गलत बयान के चलते उनके विरुद्ध जनाक्रोष इस कदर भड़क उठा कि कटारिया को वीडियो के जरिए हाथ जोड़ कर माफी मांगनी पड़ी। 

उक्त बयानों के अलावा भी हमारे मान्य जनप्रतिनिधियों ने और न जाने ऐसे कितने बयान देकर समाज में कटुता फैलाना जारी रखा हुआ है। पहले तो हमारे नेतागण आपत्तिजनक बयान दे देते हैं और जब उन पर विवाद खड़ा हो जाता है तो यह कह कर पल्ला झाड़ लेते हैं कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है जबकि आज के इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के युग में सब कुछ रिकार्ड हो जाता है। अत: मन में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक ही है कि आखिर इस तरह की बेलगाम बयानबाजी से अनावश्यक विवाद पैदा करके उन्हेें क्या मिलता है तथा इस पर कब और कौन लगाम लगाएगा!—विजय कुमार 


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