मणिपुर आतंकी हमले में चीन की संलिप्तता के संकेत

punjabkesari.in Wednesday, Nov 17, 2021 - 04:02 AM (IST)

13 नवम्बर को सुदूर उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में 46 असम राइफल्स के कमांङ्क्षडग अफसर कर्नल विप्लव त्रिपाठी, उनकी पत्नी अनुजा और 8 वर्ष के मासूम बेटे तथा 4 सैनिकों समेत 7 लोगों की हत्या कर दी गई। 

कर्नल विप्लव त्रिपाठी म्यांमार सीमा पर अग्रिम चौकी का निरीक्षण करके लौट रहे थे। मणिपुर में इस वर्ष किया गया यह 11वां आतंकी हमला था। इससे पूर्व जून 2015 में आतंकियों के हमले में 20 जवान तथा 2018 में सैनिकों के काफिले पर हुए हमले में डोगरा राइफल्स के 18 जवान शहीद हुए थे तथा 2020 में 4 आतंकी हमलों में 3 जवान शहीद हुए थे। 

इस हमले की जिम्मेदारी ‘पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी’ (पी.एल.ए.) तथा ‘मणिपुर नागा पीपुल्स फ्रंट’ (एम.एन.पी.एफ.) ने ली है। पी.एल.ए. इस क्षेत्र में 1978 से सक्रिय है व इससे पहले भी अनेक हमले यहां कर चुकी है। भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त आतंकी गिरोहों को चीन की सहायता के प्रमाण समय-समय पर सामने आते रहे हैं और इस बार भी इस हमले में उक्त आतंकी गिरोहों को चीन द्वारा सहायता देने के संकेत मिले हैं। उक्त दोनों गिरोहों के म्यांमार स्थित ‘राकान आर्मी’ तथा ‘युनाइटेड वा स्टेट्स आर्मी’ से सम्बन्ध हैं जहां से चीनी हथियार उत्तर-पूर्व में पहुंच रहे हैं। पी.एल.ए. के म्यामांर में 2 तथा बंगलादेश में भी 5 ट्रेङ्क्षनग कैंप बताए जाते हैं जिनमें लगभग 1000 रंगरूटों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है। 

चीन ने अनेक विद्रोही नेताओं को रहने के लिए अपने साथ लगते म्यांमार के बॉर्डर पर सुरक्षित स्थान (सेफ हैवन) प्रदान किया है जिनमें असम के ‘यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट’ के कमांडर परेश बरुआ तथा नागालैंड सोशलिस्ट कौंसिल ऑफ नागालैंड (आई.एम.) के सरगना फुनटिंग शिमरान शामिल हैं। बताया जाता है कि परेश बरुआ तथा फुनटिंग शिमरान म्यांमार सीमा के पार युन्नान प्रांत में रुइली नामक स्थान पर रह रहे हैं। 

सुरक्षाबलों पर हमलों के लिए चीन ने पी.एल.ए. मणिपुर तथा अन्य समविचारक गिरोहों से सम्बन्ध कायम कर लिए हैं। एक पुराने दस्तावेज के अनुसार पी.एल.ए., जिसे भारत सरकार आतंकवादी गिरोह घोषित कर चुकी है, के पाकिस्तान की गुप्तचर एजैंसी आई.एस.आई. के साथ गठजोड़ का रहस्योद्घाटन हुआ है। इसे चीन भारी आर्थिक सहायता दे रहा है। स्थिति की गंभीरता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि उक्त घटना (13 नवम्बर) के बाद भी मणिपुर में अत्यंत शक्तिशाली विस्फोटकों की बरामदगी के कम से कम 4 मामले सामने आ चुके हैं। पहले मामले में सुरक्षाबलों ने इम्फाल (पूर्व) जिले में एक मकान के गेट पर पॉलीथीन में लपेटा हुआ शक्तिशाली आई.ई.डी., 9 वोल्ट की बैटरी और विस्फोटकों से युक्त टिफिन बॉक्स व एक डिजीटल घड़ी बरामद की। दूसरे मामले में इसी दिन इम्फाल (पूर्व) जिले में ही पोरॉमपट में एक विधायक के मकान के बाहर मोबाइल फोन से जुड़ा आई.ई.डी. बरामद किया गया। 

तीसरे मामले में पुलिस को काकङ्क्षचग जिले में यांगबी प्राइमरी स्कूल के निकट एक बोरी में रखे 20 देसी बम सड़क के किनारे पड़े मिले। चौथे मामले में इससे एक दिन पूर्व ही असम राइफल्स के जवानों ने मणिपुर पुलिस के साथ संयुक्त कार्रवाई में काकङ्क्षचग जिले में वाबागाई यांगबी हाई स्कूल के निकट एक बोरी में पड़े 20 एम-79 ग्रेनेड लांचर बरामद किए थे। इन्हें बम निरोधक दस्तों द्वारा समय रहते नष्ट कर दिया गया। यदि ये विस्फोटक चल जाते तो इससे कितनी प्राण हानि हो सकती थी इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।

उक्त घटनाक्रम से स्पष्ट है कि देश में जारी हिंसक गतिविधियों में चीन का हाथ होने तथा बड़ी संख्या में विस्फोटकों की बरामदगी को देखते हुए देश में सुरक्षा प्रबन्धों में चौकसी और अधिक बढ़ाने की जरूरत है। जरा सी भी चूक किसी बड़ी अप्रिय घटना का कारण बन सकती है।-विजय कुमार 


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