सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ा पार्टी में हो रहे धमाके पर धमाके

punjabkesari.in Wednesday, Sep 29, 2021 - 03:12 AM (IST)

पांच राज्यों के आने वाले चुनावों से कांग्रेस में घोर निराशा व हताशा व्याप्त होने के साथ ही इसकी विभिन्न राज्य इकाइयों पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक आदि में फूट पड़ी हुई है। 2 वर्ष पूर्व पंजाब के मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह द्वारा नवजोत सिद्धू से महत्वपूर्ण मंत्रालय छीन लेने पर उनके द्वारा मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे देने के बाद से ही नवजोत सिद्धू ने उनके विरुद्ध मोर्चा खोल रखा था, जिसमें बाद में कुछ अन्य विधायक व मंत्री भी शामिल हो गए। 

नवजोत सिद्धू की टिप्पणियों से नाराज अमरेंद्र सिंह भले ही उनसे माफी की मांग करते रहे परंतु नवजोत सिद्धू माफी न मांगने पर अड़े रहे। इस दौरान कांग्रेस हाईकमान द्वारा दोनों में सुलह करवाने के प्रयासों के बीच अंतत: 18 जुलाई को हाईकमान ने सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस की बागडोर सौंप दी। 

23 जुलाई को नवजोत सिद्धू के ताजपोशी समारोह में अमरेंद्र सिंह के शामिल होने से लगा था कि दोनों के मतभेद समाप्त हो गए हैं परंतु ऐसा हुआ नहीं और इनमें 2 वर्ष से जारी अनबन व टकराव के दृष्टिगत अंतत: कांग्रेस हाईकमान ने 18 सितम्बर को अमरेंद्र सिंह को त्यागपत्र देने को कह दिया। इसके साथ ही अगले मुख्यमंत्री के बारे में अटकलें शुरू हो गईं। 

19 सितम्बर को सुखजिंद्र रंधावा के नाम पर सहमति बनती तो दिखाई दी परंतु नवजोत सिद्धू द्वारा कथित रूप से खुद को मुख्यमंत्री बनाने की मांग उठा देने से मामला उलझ गया और अंतत: चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा कर दी गई। फिर पेंच 2 उपमुख्यमंत्रियों को लेकर फंसा और उसके बाद राहुल तथा प्रियंका गांधी के परामर्श से चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा मंत्रिमंडल के गठन को लेकर सिद्धू की अप्रसन्नता की चर्चा सुनाई देने लगी। मंत्रिमंडल के विस्तार तथा चन्नी के कुछ फैसलों, पुलिस महानिदेशक और कुछ अन्य अधिकारियों की नियुक्तियों व तबादलों से भी सिद्धू खुश नहीं थे क्योंकि इनमें उनकी नहीं चल पाई। 

इस तरह के हालात के बीच नवजोत सिद्धू ने 28 सितम्बर को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देने की घोषणा करके धमाका कर दिया और सोनिया गांधी को भेजे पत्र में लिखा कि वह पंजाब के भविष्य को लेकर कोई समझौता नहीं कर सकने के कारण प्रदेश अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे रहे हैं। सिद्धू का त्यागपत्र इसलिए भी हैरान करने वाला है क्योंकि स्वयं कांग्रेस हाईकमान ने ही सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए चुना था और अमरेंद्र सिंह के साथ उनके विवाद के कारण ही अमरेंद्र सिंह मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने को विवश हुए थे। 

अब कांग्रेस की अलका लाम्बा ने कहा है, ‘‘राजनीति में उनका समय पूरा हो गया है। अब उन्हें फुल टाइम कामेडी करने दीजिए। बहुत हो गया।’’ अमरेंद्र सिंह बोले,‘‘मैंने तो पहले ही कहा था कि सिद्धू एक स्थिर आदमी नहीं हैं व पंजाब जैसे सीमांत राज्य के लिए कतई उपयुक्त नहीं हैं।’’ अमरेंद्र सिंह के पूर्व मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने ट्वीट किया,‘‘ जिसकी फितरत ही डंसना हो, वो तो डंसेगा, मत सोचा कर।’’

हाईकमान ने सिद्धू का त्यागपत्र स्वीकार नहीं किया और राज्य के नेताओं से मामला सुलझाने को कहा है। मुख्यमंत्री चन्नी ने कहा है कि वह इस बारे नवजोत सिद्धू से बात करेंगे। इसी बीच एक अन्य नाटकीय घटनाक्रम में 28 सितम्बर बाद दोपहर अमरेंद्र सिंह दिल्ली चले गए। कैप्टन अमरेंद्र सिंह को जिन परिस्थितियों में मुख्यमंत्री पद छोडऩा पड़ा था, उससे वह काफी आहत हैं। 

संभवत: इसी कारण यह चर्चा सुनाई दे रही थी कि उनके भाजपा में शामिल होने की संभावना है। यह भी कहा गया कि वह दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह और जे.पी. नड्डा से मुलाकात कर सकते हैं परंतु दिल्ली में अमरेंद्र सिंह ने इसका खंडन कर दिया और कहा कि वह यहां अपने घर का सामान लेने आए हैं तथा किसी नेता से नहीं मिलेंगे। इसी बीच कैबिनेट मंत्री रजिया सुल्ताना, पार्टी महासचिव  योगेंद्र्र ढींगरा तथा प्रदेश कांग्रेस कोषाध्यक्ष गुलजार इंद्र चाहल ने भी अपने पदों से त्यागपत्र दे दिया है। 

पंजाब कांग्रेस की कलह ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया है कि देश की ग्रैंड ओल्ड पार्टी के शीर्ष नेताओं की पार्टी पर पकड़ कमजोर हो रही है व इसका खमियाजा इसे आने वाले चुनावों में भुगतना पड़ सकता है। कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब कांग्रेस की कलह समाप्त करने के लिए संगठन और सरकार में बदलाव करके यह जताना चाहा था कि पंजाब कांग्रेस में सब ठीक हो गया है परंतु सिद्धू तथा अन्यों के त्यागपत्र से पंजाब कांग्रेस का संकट और बढ़ गया है तथा हाईकमान के फैसले पर सवाल उठने लगे हैं और अब यह तो समय ही बताएगा कि आने वाले दिनों में पार्टी का घटनाक्रम क्या रूप धारण करता है!—विजय कुमार 


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