‘दिल्ली की महिलाओं द्वारा’ ‘शराब के सेवन में भारी वृद्धि’

punjabkesari.in Friday, Nov 11, 2022 - 04:03 AM (IST)

शराब के सेवन को किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता परंतु इसके बावजूद बड़ी संख्या में लोग इसे पीने से बाज नहीं आ रहे हैं। जहां तक महिलाओं के स्वास्थ्य पर पडऩे वाले इसके प्रतिकूल प्रभाव का संबंध है तो हार्वर्ड मैडीकल स्कूल में मनोविज्ञान के प्रोफैसर डान सुगरमैन के अनुसार, ‘‘पुरुषों की तुलना में महिलाओं में शराब के सेवन से अधिक समस्याएं होती हैं।’’ 

शराब के सेवन से अन्य समस्याओं के अलावा महिलाओं में डीहाईड्रेशन अधिक तेजी से होने के अलावा त्वचा पर झर्रियां आ जाती हैं। हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ जाता है और कोर्टिसोल का लैवल बढऩे से मोटापा आता है। इतना ही नहीं शराब के सेवन से जहां महिलाओं में जिगर की तकलीफ पैदा होती है वहीं इससे उनका पाचनतंत्र प्रभावित होता है। नींद में सांस लेने की क्रिया पर भी असर पड़ता है और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पडऩे के अलावा हृदय रोगों की आशंका भी अधिक होती है। 

इसके बावजूद महिलाओं में शराब पीने की लत लगातार बढ़ रही है। गैर सरकारी संगठन ‘कम्युनिटी अगेंस्ट ड्रंकन ड्राइविंग’ (सी.ए.डी.डी.) द्वारा इस वर्ष अगस्त से अक्तूबर के बीच दिल्ली में 5000 महिलाओं पर किए गए एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना काल के बाद वहां महिलाओं में शराब पीने की लत में पिछले 3 वर्षों में काफी वृद्धि हुई है। वर्ष 2022 में जब कोविड प्रतिबंध काफी कम हो गए तो शराब की आसानी से उपलब्धता, जीवनशैली में बदलाव तथा होम डिलीवरी की सुविधा आदि के कारण महिलाओं में शराब सेवन का चलन और भी बढ़ गया है। 

सर्वे के अनुसार 18 से 68 वर्ष की महिलाओं ने पहले के मुकाबले अधिक मौकों पर शराब का सेवन किया। सर्वे में शामिल 37 प्रतिशत महिलाओं ने स्वीकार किया कि उनकी शराब पीने की आदत पहले से अधिक बढ़ गई है। इनमें एक बड़ा वर्ग ऐसा था जिसे डिप्रैशन या एंग्जाइटी की समस्या थी। 45 प्रतिशत महिलाओं ने तनाव को शराब पीने का कारण बताया जबकि 34 प्रतिशत मामलों में महिलाओं का मानना था कि 2022 में कोरोना से उबरने के बाद कई ऐसे मौके आए जब उन्होंने खुशी मनाने या 2 साल के कोरोना संकट के ‘आघात’ से निकलने के लिए शराब का सेवन किया।

30 प्रतिशत महिलाओं ने बोरियत दूर करने के लिए शराब का सहारा लिया जबकि कई महिलाओं ने यह भी स्वीकार किया कि उन्होंने समाज में अपना स्थान बनाने के लिए शराब का सेवन किया। दिल्ली की 62 प्रतिशत महिलाओं ने स्वीकार किया कि उनका शराब पर खर्च पहले की अपेक्षा बढ़ा है। कई महिलाओं ने यह भी कहा कि वे शराब पीकर अपने बीते हुए दिनों को भुलाने की कोशिश करती हैं। 

इसी सर्वे में यह भी बताया गया कि 27 प्रतिशत महिलाएं सप्ताह में 1 बार, 38 प्रतिशत महिलाएं सप्ताह में 2 बार तथा 19 प्रतिशत महिलाएं सप्ताह में 4 या उससे अधिक बार शराब पीने की आदी पाई गई हैं। इनमें से 34 प्रतिशत महिलाएं घर में, 33 प्रतिशत घर में होने वाली पाॢटयों में तथा 32 प्रतिशत महिलाएं बार और पब में शराब का सेवन करती हैं। 
एन.जी.ओ. ‘कम्युनिटी अगेंस्ट ड्रंकन ड्राइविंग’ के संस्थापक ‘प्रिंस सिंगल’ के अनुसार, ‘‘फिल्मों और टैलीविजन पर शराब को महिलाओं के लिए तनाव दूर करने और रिलैक्स के लिए एक साधन के तौर पर दिखाया जाता है जो महिलाओं में शराब का प्रचलन बढऩे का मुख्य कारण है।’’ 

दिल्ली की महिलाओं में शराब के सेवन में बढ़ौतरी वास्तव में गंभीर ङ्क्षचता का विषय है क्योंकि किसी भी प्रकार के तनाव या ङ्क्षचता, परेशानी दूर करने, समाज में रुतबा बनाने आदि के लिए नशे के सेवन को उचित नहीं कहा जा सकता। परंतु यह स्थिति अकेले दिल्ली की ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी है। इस बुराई से बचना अपनी और परिवार की भलाई के अलावा आने वाली पीढिय़ों के साथ-साथ स्वस्थ समाज के निर्माण तथा देश के विकास के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। 

किसी भी चिंता या परेशानी से छुटकारा पाने के लिए नशे की शरण में जाने की बजाय अपने भीतर मजबूत इच्छा शक्ति और आत्म संयम तथा साहसपूर्वक हालात का सामना करने का जज्बा पैदा करने की आवश्यकता है। समाज सुधारकों को भी इस संबंध में आगे आकर लोगों को जागरूक करना समय की मांग है।—विजय कुमार 


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