‘नैशनल स्टॉक एक्सचेंज’ में घोटाला और ‘सेबी’ की बंद आंखें

punjabkesari.in Sunday, Feb 27, 2022 - 04:59 AM (IST)

मुम्बई स्थित नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एन.एस.ई.) ने 1994 में अपनी शुरूआत के एक वर्ष के भीतर ही देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज के तौर पर 100 वर्ष पुराने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बी.एस.ई.) को पछाड़ दिया परंतु इसकी कार्यप्रणाली तथा व्यवस्था पर शुरू से ही सवाल उठते रहे हैं। हाल ही में एन.एस.ई. की पूर्व सी.ई.ओ. चित्रा रामकृष्ण बारे हुई जांच में बेहद चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। जैसे कि वर्षों तक वह एक्सचेंज के प्रमुख व्यावसायिक फैसले लेने के लिए एक रहस्यमयी ‘हिमालयी योगी’ से निर्देश ले रही थीं। 

यह सारा मामला 2018 का है जब एन.एस.ई. ने कुछ शेयर ब्रोकरों को फायदा दिलाने के लिए उनका कैबिन एन.एस.ई. के मुख्य सर्वर के निकट ले जाने की अनुमति दी। इसे ‘कॉल लोकेशन’ कहा जाता है। सर्वर के निकट कैबिन होने के कारण ब्रोकर के शेयरों के सौदे अन्यों के मुकाबले अधिक तेजी से निपटाए जा सकते हैं जिससे उन्हें बड़ा लाभ मिलता है। चित्रा रामकृष्ण पर मार्कीट और रैगुलेटर की महत्वपू्र्ण जानकारी किसी तीसरे व्यक्ति को सांझा करने का आरोप था। उस तीसरे व्यक्ति के बारे में चित्रा रामकृष्ण का कहना था कि वह एक बाबा हैं जो हिमालय में रहते हैं। चित्रा रामकृष्ण का दावा था कि वह उसके ‘आध्यात्मिक गुरु’ हैं और उन्हें 20 वर्ष से ई-मेल पर व्यक्तिगत और पेशेवर मामले में सलाह देते रहे हैं। 

नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एन.एस.ई.) घोटाले में पहली गिरफ्तारी करते हुए सी.बी.आई. ने एन.एस.ई. के पूर्व समूह संचालन अधिकारी (जी.ओ.ओ.) तथा चित्रा रामकृष्ण के सलाहकार आनंद सुब्रह्मण्यन को चेन्नई से 24 फरवरी की रात दिल्ली लाकर विशेष अदालत के सामने पेश किया जहां उसे 6 मार्च तक सी.बी.आई. की हिरासत में भेज दिया गया। सी.बी.आई. के अनुसार यह आनंद सुब्रह्मण्यन ही हिमालय का निवासी वह ‘अज्ञात बाबा’ है जिसके कहने पर चित्रा रामकृष्ण कर्मचारियों की प्रमोशन तथा रेटिंग बारे सभी फैसले लेती थी। ‘सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया’ (सेबी) ने 11 फरवरी को चित्रा रामकृष्ण पर हिमालय पर घूमने वाले एक ‘रहस्यमय योगी’ के प्रभाव में आकर बड़े एवं महत्वपूर्ण फैसले लेने का दावा किया था। स्टॉक एक्सचेंज में आनंद सुब्रह्मण्यन की नियुक्ति भी चित्रा रामकृष्ण ने इसी ‘योगी’ के इशारे पर की थी। 

2013 में एन.एस.ई. की सी.ई.ओ. बनने के तुरंत बाद चित्रा रामकृष्ण ने आनंद सुब्रह्मण्यन को चीफ स्ट्रैटेजी अधिकारी के पद पर नियुक्त किया था। इससे पहले वहां ऐसा कोई पद था ही नहीं। साफ है कि आनंद सुब्रह्मण्यन को बिना पात्रता के ही एन.एस.ई. में नौकरी दी गई। वह पहले सरकारी कम्पनी ‘बालमर लौरी’ में नौकरी कर रहा था जहां उसका वेतन  सिर्फ 15 लाख रुपए था परंतु उसे एन.एस.ई. में रखने पर सीधे 1.38 करोड़ रुपए का पैकेज ऑफर कर दिया गया। आनंद पर चित्रा रामकृष्ण की मेहरबानी इतने पर ही नहीं रुकी। उसने आनंद सुब्रह्मण्यन को लगातार प्रमोट किया और देखते-देखते वह एन.एस.ई. का दूसरा सबसे बड़ा अधिकारी बन गया। साथ-साथ उसका वेतन भी बेतहाशा बढ़ाया गया जो 2017 में बढ़ कर 4.21 करोड़ रुपए हो गया अर्थात 3 वर्ष में ही उसका वेतन 200 प्रतिशत से भी अधिक बढ़ा। 

लगता है कि पूर्व और सेवारत नौकरशाहों, कुछ अत्यधिक महत्वाकांक्षी दलालों, शीर्ष सरकारी अधिकारियों और एक्सचेंज में शामिल कुछ कार्पोरेट अधिकारियों की एक मंडली ने अपने निजी लाभ के लिए ‘सेबी’ में विभिन्न खामियों को पैदा किया और उनका फायदा उठाया। इन खुलासों से भारत के बाजार नियामक (मार्कीट रैगुलेटर) ‘भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड’ (सेबी) की प्रभावहीनता खुल कर सामने आ गई है। एन.एस.ई. में मिलीभगत, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और लापरवाही के आरोपों की 6 वर्ष की जांच के बाद ‘सेबी’ ने आनंद सुब्रह्मण्यन की नियुक्ति में प्रशासनिक नियमों की अनदेखी के लिए चित्रा रामाकृष्ण और आनंद सुब्रह्मïण्यन को 2-2 करोड़ रुपए का जुर्मना भी लगाया था। यह मामला उन घोटालों की लम्बी सूची में से एक है जिसने वर्षों के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख दिया है। इनमें देश के सबसे कमजोर वर्ग के लोगों को धोखा देने वाले 2013 शारदा चिटफंड घोटाले से लेकर बैंकों से धोखाधड़ी करके विदेश भाग जाना तक शामिल है। 

मुंबई के वित्तीय क्षेत्रों में जहां छोटी से छोटी बात भी छुपी नहीं रह पाती, वहीं ‘सेबी’ जैसे हमारे नियामकों को सब कुछ लुट जाने तक की खबर नहीं लगती जबकि दूसरी ओर अमरीकी बाजार नियामक ‘सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमिशन’ बाजार धोखाधड़ी और अनियमित गतिविधियों को उजागर करने के लिए न्याय विभाग के साथ मिल कर काम करता है। इसके विपरीत ‘सेबी’ गहन जांच करने में सक्षम नहीं है बल्कि अक्सर बड़ी मछलियों को काबू करने में असफल ही रहता आया है। अत: सरकार को ‘सेबी’ सहित अपने सभी नियामकों को मजबूत करना व जनता के प्रति जवाबदेह बनाना जरूरी होना चाहिए।-विजय कुमार


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