नेताओं द्वारा किसी के विरुद्ध ‘कुछ भी बोल देना’ आज बन गया है ‘एक फैशन’

punjabkesari.in Friday, Sep 20, 2019 - 12:24 AM (IST)

इसे विडम्बना ही कहा जाएगा कि स्वयं को सभ्य कहलाने वाले हमारे नेतागण एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए नैतिकता से गिरी हुई बयानबाजी करने में भी संकोच नहीं करते। परिणाम की चिंता किए बिना वे उल्टे-पुल्टे बयान देकर समाज में कटुता के बीज बो रहे हैं :

08 सितम्बर को कर्नाटक कांग्रेस के नेता रामनाथ राय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से कर दी और कहा कि ‘‘नरेंद्र मोदी व इमरान खान एक ही मां के बेटे हैं। दोनों एक ही तरह के नेता हैं तथा चुनाव जीतने के लिए एक-दूसरे के विरुद्ध बयानबाजी करते हैं।’’ 

14 सितम्बर को केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने उत्तर भारत के युवाओं की योग्यता पर यह कह कर प्रश्नचिन्ह लगा दिया कि ‘‘देश में रोजगार की नहीं, योग्यता की कमी है।’’ खासतौर पर उत्तर भारत का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘रोजगार तो बहुत हैं परंतु इस क्षेत्र (उत्तर भारत) में अच्छी शिक्षा के अभाव के कारण योग्य उम्मीदवार नहीं मिल पाते हैं।’’ 15 सितम्बर को कर्नाटक के ग्रामीण विकास व पंचायत राज्यमंत्री ईश्वरप्पा (भाजपा) ने राज्य के कांग्रेसी विधायकों की तुलना किन्नरों से की और कहा कि ‘‘केवल देशभक्त मुसलमान ही भाजपा के पक्ष में मतदान करेंगे तथा जो देशद्रोही और पाकिस्तान के साथ चलने वाले हैं वे संकोच करेंगे।’’ 

18 सितम्बर को यू.पी. से भाजपा विधायक विक्रम सिंह बोले, ‘‘हमारे प्रधानमंत्री जी का ध्यान सिर्फ इस पर है कि देश कैसे शक्तिशाली बने। नेहरू तो अय्याश था। अंग्रेजों के चक्कर में देश का बंटवारा करवा दिया।’’ 18 सितम्बर को भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने मध्य प्रदेश के सीहोर शहर के सारे पत्रकारों को बेईमान बताते हुए कहा, ‘‘एक भी ईमानदार नहीं है। सुनो तुम्हारी तारीफ, जितने भी मीडिया (हंसते हुए) सीहोर के मीडिया वाले हैं, वे सब बेईमान हैं।’’ 18 सितम्बर को भाजपा की सहयोगी शिव सेना के सुप्रीमो उद्धव ठाकरे बोले, ‘‘राहुल गांधी बेवकूफ हैं।’’ इसके अलावा उन्होंने कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के बारे में कहा, ‘‘उनकी जूतों से पिटाई की जानी चाहिए।’’ 

इस तरह के बयान निश्चय ही किसी सभ्य कहलाने वाले देश के नेताओं को शोभा नहीं देते। किसी के विरुद्ध कोई अपमानजनक टिप्पणी कर देना आज एक फैशन बन गया है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा से जुड़े लोगों को बिना सोचे-समझे बयान न देने की नसीहत की थी परंतु उनके कथन का कोई असर होता दिखाई नहीं देता।—विजय कुमार 


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