युद्ध अपराधों के चलते मानवाधिकार परिषद से रूस का निलंबन अब देखें आगे क्या होगा

punjabkesari.in Friday, Apr 08, 2022 - 04:19 AM (IST)

24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला करने के 43 दिन बाद भी रूस का तानाशाह व्लादिमीर पुतिन उसे हथियार डालने के लिए विवश करने में सफल नहीं हुआ है। इस बीच रूसी सेनाओं द्वारा यूक्रेन भर में किए गए भारी  नरसंहार के चलते पुतिन को युद्ध अपराधी भी कहा जाने लगा है। 

अमरीका व अन्य देशों द्वारा रूस पर अनेक प्रतिबंध लगाने के बावजूद उसके अत्याचार जारी रहने के कारण संयुक्त राष्ट्र में अमरीका की राजदूत लिंडा थामस-ग्रीन फील्ड ने 4 अप्रैल को रूस की सदस्यता समाप्त करके उसे ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद’ से हटाने का आह्वानकिया था। उन्होंने कहा कि ‘‘रूसी सेनाओं ने यूक्रेन में युद्ध अपराधों को अंजाम दिया है इसलिए वोट के जरिए उन्हें बाहर कर दिया जाए। मानवाधिकार परिषद में रूस की भागीदारी एक धोखा है।’’ 

रूस ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मानवाधिकार परिषद के सदस्य देशों को चेतावनी दी है कि ‘‘परिषद में मास्को के निष्कासन के विरुद्ध मतदान से अनुपस्थित रहने को सदस्य देशों द्वारा अमरीका का समर्थन माना जाएगा जिसके उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।’’ 

इसी बीच गत 5 अप्रैल को यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने रूस को सुरक्षा परिषद से हटाने के लिए संयुक्त राष्ट्र को वीडियो संबोधन में दो बातें कहीं। पहली यह कि रूस द्वारा बुचा में किए गए अत्याचारों के दृष्टिगत उसे मानवाधिकार परिषद से निकाल दिया जाए तथा दूसरी यह कि वीटो के अधिकार से सम्पन्न सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से रूस की वीटो पावर छीन ली जाए। इसी पृष्ठभूमि में रूस को संयुक्त राष्ट्र महासभा की मानवाधिकार परिषद से बाहर करने के लिए 7 अप्रैल को मतदान करवाने का निर्णय लिया गया था। 

दूसरी तरफ यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जा करने के लिए सबसे पहले वहां के बूचा शहर में पहुंची रूसी सेना में वहां के लोगों को मारने के लिए पुतिन ने सबसे खूंखार चेचेन सैनिकों को भेजा था।  यूक्रेनी सेना द्वारा कड़ा मुकाबला करके उन्हें बूचा में ही रोक देने पर रूसी सैनिकों ने इस शहर को अपने अत्याचारों का ठिकाना बना लिया और इसे कब्जे में लेकर कब्रिस्तान में बदल दिया। यूक्रेनियों के हाथ-पैर बांध कर यातनाएं देने के बाद उनके सिरों में बहुत नजदीक से गोली मारी गई। कई ऐसी महिलाओं के शव भी बरामद हुए जिनकी हत्या करने से पूर्व उनके साथ बलात्कार भी किया गया। रूसी सेना ने 12 से अधिक यूक्रेनी महिला सैनिकों को अपने कब्जे में लेकर उन्हें पुरुषों के सामने निर्वस्त्र किया और उनके बाल भी काट दिए। 

यह रूस के युद्ध अपराधों का सबसे बड़ा उदाहरण बताया जाता है जिसके दौरान अभी तक 400 से अधिक लाशों को बरामद किया जा चुका है तथा इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। इसी कारण यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा है कि ‘‘रूसी सैनिक हत्यारे, लुटेरे और बलात्कारी हैं।’’बहरहाल, देर रात आए समाचार के अनुसार संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस बारे मतदान के बाद रूस को मानवाधिकार आयोग से निलंबित कर दिया  है। इस सम्बन्धी प्रस्ताव के पक्ष में 93 तथा विरोध में 24 मत पड़े तथा भारत सहित 58 देशों ने इसमें भाग नहीं लिया। चीन ने रूस के समर्थन तथा प्रस्ताव के विरोध में अपना मत दिया और मतदान के नतीजों के दृष्टिगत संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रूस को मानवाधिकार परिषद से निलंबित कर दिया है। 

मतदान में भाग लेने वाले देश ऐसा महसूस करते हैं कि इस मतदान के जरिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रूस को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि जिस देश की सरकार की सेना लगातार ऐसे भयानक अपराध कर रही है, उसका संयुक्त राष्ट्र महासभा में कोई काम नहीं है। संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में ऐसा दूसरी बार हुआ है। इससे पूर्व 2011 में परिषद ने लीबिया को निलंबित किया था। रूस के नेताओं को दुनिया के इशारों को समझना चाहिए। अब देखते हैं कि इस फैसले को रूस किस प्रकार लेता है और इसके बाद क्या कदम उठाता है। क्या इससे शंति आएगी या फिर दुनिया परमाणु युद्ध की ओर बढ़ेगी!—विजय कुमार 


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