‘भारत के सड़क मंत्री’ ‘नितिन गडकरी का सराहनीय कदम’

punjabkesari.in Friday, Oct 16, 2020 - 02:13 AM (IST)

देश के सब राज्यों को जोड़ कर रखना और उसे अपना समझना प्रत्येक केन्द्र सरकार का सर्वोपरि कार्य है और इस मामले में हमारे देश के कुछ प्रधानमंत्रियों ने बहुत अच्छा काम किया है। प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने जहां देश में बांधों व नए शहर आदि के निर्माण की शुरूआत कर आधुनिक भारत की नींव रखी, वहीं गृह मंत्री के रूप में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देश की 600 से अधिक रियासतों का भारत में विलय करके भारत की एकता को बढ़ावा दिया। शास्त्री जी ने पाकिस्तान के विरुद्ध निर्णायक युद्ध लड़कर देश का सम्मान बढ़ाया, राजीव गांधी ने देश में डिजिटल क्रांति की शुरूआत तथा नरसिम्हा राव देश में आर्थिक सुधार की लहर लाए।

अटल बिहारी वाजपेयी ने देश के 26 विपक्षी दलों को जोड़ कर राजग गठबंधन मजबूत किया और 6 वर्ष तक बढिय़ा शासन दिया तथा देश में नदियों और सड़कों को जोडऩे की शुरूआत की। वाजपेयी जी के व्यक्तित्व में कुछ ऐसा आकर्षण था कि जब-जब वह जालंधर आते तो मैं सब काम छोड़ कर उनका भाषण सुनने अवश्य जाता और वहां जमीन पर बैठ कर ही उनका पूरा भाषण सुनता। इसी बीच वाजपेयी जी ने चुनाव लड़ा और हार गए परंतु बाद में 26 विपक्षी दलों को साथ लेकर भाजपा के नेतृत्व में राजग गठबंधन कायम किया और पहली बार सरकार बनाई। वह हर विपक्षी नेता के अच्छे काम की प्रशंसा करते और जब श्रीमती इंदिरा गांधी ने 1971 में बंगलादेश को पाकिस्तान के कब्जे से आजाद करवाया तो उन्होंने इंदिरा गांधी की तुलना ‘दुर्गा’ से की। 

एक बार मैं प्रधानमंत्री वाजपेयी जी से उनके बुलावे पर मिलने गया और उनसे भाजपा द्वारा दिए गए ‘इंडिया शाइनिंग’ बारे चर्चा की तो उन्होंने कहा,‘‘यह पूरी तरह गलत है। ये लोग पार्टी को मरवाएंगे और मेरी पार्टी के लोगों ने यह नारा यूं ही उछाल दिया है। अभी तो मैंने काम शुरू ही किया है। सड़कें जोडऩी हैं और नदियां जोडऩी हैं।’’ 

श्री वाजपेयी का कथन सच सिद्ध हुआ। 2004 के चुनावों में भाजपा का ‘इंडिया शाइङ्क्षनग’ का नारा नहीं चल पाया और राजग को हरा कर सरदार मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस नीत यू.पी.ए. की सरकार सत्ता में आई। श्री वाजपेयी मनाली (हिमाचल) में छुट्टियां बिताने जाते और साथ-साथ सरकारी कामकाज निपटाते। एक प्रवास के दौरान उन्हें कुछ बुजुर्ग जो अंग्रेजों की नौकरी से रिटायर होकर पैंशन ले रहे थे, मिलने आए। उन्होंने श्री वाजपेयी को मनाली से आगे रोहतांग दर्रे तक जाने को लेकर कठिनाइयां बताईं। बात सुनकर श्री वाजपेयी ने कहा-हल हो जाएगा और इस प्रकार रोहतांग दर्रे तक 9.02 किलोमीटर लम्बी सुरंग के निर्माण का निर्णय 3 जून, 2003 को लिया गया और इसका शिलान्यास 28 जून, 2010 को ‘सोनिया गांधी’ ने किया और उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 3 अक्तूबर, 2020 को किया। 

2019 में इसका नाम ‘अटल टनल’ रखने का निर्णय लिया गया। अटल जी तो सुरंग का नाम कुछ और चाहते थे परंतु क्षेत्रवासी यही नाम रखने के लिए डट गए। ‘अटल टनल’ बन जाने के परिणामस्वरूप जहां मनाली से आगे यात्रा सुगम और छोटी हो गई है वहीं इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलना शुरू है। श्री वाजपेयी के कृपापात्र पूर्व भाजपा अध्यक्ष तथा वर्तमान सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के काम से मैं प्रभावित रहा हूं जिन्होंने पहले महाराष्ट्र में लोक निर्माण मंत्री, फिर केंद्र में सड़क परिवहन मंत्री रहते हुए देश के विभिन्न भागों में सड़कों का जाल और पुल आदि बिछाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मेरे उनके निकट आने की रोचक कहानी है। पंजाब में आतंकवाद के काले दौर में जब कोई भी पंजाब आने से कतराता था, महाराष्ट्र के पुणे में ‘सरहद’ नामक संस्था चलाने वाले श्री संजय नहार और बाबा आम्टे पहली बार अलग-अलग पंजाब आए जिन्हें जालंधर के एस.एस.पी. श्री विर्क ने सुरक्षा प्रदान की। 

श्री संजय नहार व बाबा आम्टे पंजाब के विभिन्न भागों में घूमे और वे कश्मीर भी गए। उन्होंने आतंकवाद पीड़ित परिवारों व अन्य लोगों के लिए पुणे में फ्री स्कूल खोला और उनका खाने-पीने आदि का प्रबन्ध किया तथा बाद में उन्हें रोजगार भी दिलवा रहे हैं। श्री नहार के इन कार्यों को देख कर मेरा उनके साथ लगाव बढ़ गया। मैंने उन्हें कहा नितिन गडकरी मुझे अच्छे लगते हैं क्या वह ‘शहीद परिवार फंड समारोह’ में आतंकवाद पीड़ित परिवारों को राहत सामग्री बांटने आ सकते हैं? श्री नहार के गडकरी जी से बात करने पर उन्होंने कहा,‘‘मैं ‘शहीद परिवार फंड समारोह’ में जरूर जाऊंगा और तुमने भी मेरे साथ जाना है।’’ अगले ही दिन मुझे गडकरी जी का फोन आया, ‘‘मैं नितिन गडकरी बोल रहा हूं।’’‘‘

आज के बाद आपने मुझे किसी से फोन नहीं करवाना। मैं आपके समारोह में पहुंच रहा हूं।’’ और नितिन गडकरी 23-3-2010 को समारोह शुरू होने से 10 मिनट पहले ही समारोह स्थल पर पहुंच गए। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के रहने वाले आतंकवाद पीड़ितों को राहत सामग्री का ट्रक रवाना किया, हर ओर नजरें घुमाईं तथा आए पीड़ितों को दी जाने वाली राहत सामग्री देख कर बोले, ‘‘मैं खुद अपने हाथों से सब को बांटूंगा और सबसे पहले मैं ही भाषण दूंगा।’’

समारोह के बाद परिवार के साथ खाना खाया और सब के साथ फोटो खिंचवाए और कहने लगे, ‘‘तुम थक गए हो, आराम करो, मैं भी अब जा रहा हूं।’’श्री गडकरी ने जिस प्रकार महाराष्ट्र में सड़कों का जाल बिछाया, उसे देखते हुए आज वही विभाग मोदी जी ने उन्हें दिया है जहां वह बहुत बढिय़ा काम कर रहे हैं ताकि देश जल्दी तरक्की करे और जनता को लाभ मिले। इसी शृंखला में अब 15 अक्तूबर को कारगिल को कश्मीर से जोडऩे वाली सामरिक महत्व की 14.15 किलोमीटर लम्बी जोजिला टनल के निर्माण कार्य की शुरूआत उन्होंने प्रथम विस्फोट के लिए वीडियो कांफ्रैंसिंग द्वारा बटन दबा कर की। इसे एशिया की दो दिशा वाली सबसे लम्बी टनल कहा जा रहा है जिसके पूरी हो जाने पर लद्दाख की राजधानी लेह से श्रीनगर के सफर में 3 घंटे का समय कम लगेगा जबकि अब तक साल के 6 महीने भारी बर्फबारी होने के कारण एन.एच-1 अर्थात श्रीनगर-कारगिल-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग बंद रहता है। 

अब जबकि जोजिला टनल का निर्माण शुरू हो गया है हम अभी बनी ‘अटल टनल’ के संबंध में केंद्र सरकार को एक सुझाव देना चाहते हैं कि मनाली स्थित ‘अटल टनल’ के साथ एक टनल बढ़ाने की बजाय यदि  पहले से निर्मित ‘अटल टनल’ में उसी लैवल की रेलवे लाइन डाल दी जाए तो न सिर्फ एक और सुरंग बनाने पर होने वाला खर्च बचेगा बल्कि दूसरी टनल को बनाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और काम भी जल्दी समाप्त हो जाएगा। यहां कुछ समय कारें-बसें रोक कर रेलगाडिय़ां गुजारी जा सकती हैं जिस प्रकार लंदन ब्रिज को बंद करके समुद्री जहाजों को गुजारा जाता है। यदि नितिन गडकरी ठीक समझें तो इस सुझाव पर तुरन्त अमल शुरू करवाएं ताकि देश का धन बचे व जनता को लाभ हो और पर्यटन बढ़े जिसके लिए वह सदा याद रखे जाएंगे और उनका यह देश पर एक बड़ा एहसान होगा।—विजय कुमार 


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