धर्म स्थलों को फर्जी बाबाओं के चंगुल से आजाद करवाया जाए

punjabkesari.in Sunday, Jul 19, 2020 - 02:24 AM (IST)

संत और महात्मा देश व समाज को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं परंतु कुछ संत-महात्मा और बाबा लोग इसके विपरीत आचरण करके असली संत-महात्माओं की बदनामी का कारण बन रहे हैं। इसी सिलसिले में आसाराम बापू, फलाहारी बाबा, गुरमीत राम रहीम सिंह और जैन संत आचार्य शांति सागर आदि को यौन शोषण एवं अन्य आरोपों में गिरफ्तार किया गया था और वे सब जेल में हैं। अभी भी यह सिलसिला थमा नहीं है और ऐसी नवीनतम घटनाएं निम्र में दर्ज हैं : 

* 07 मई को राजस्थान में बाड़मेर जिले के धौरीमन्ना क्षेत्र में एक महिला का ब्लड प्रैशर ठीक करने के बहाने चाकू की नोक पर उससे बलात्कार करने के आरोप में पुलिस ने एक ढोंगी बाबा को गिरफ्तार किया। 
* 24 जून को गुजरात के अमरेली में पुलिस ने एक आश्रम के 3 साधुओं को एक महिला का 7 बार बलात्कार करने, मदद के बहाने उसका वीडियो बनाने और सोशल मीडिया पर अपलोड करने के आरोप में गिरफ्तार किया।
* 28 जून को गुजरात में ‘इडर पावापुर जल मंदिर’ के साधुओं 76 वर्षीय राजा साहिब राजतिलक सागर (राजा महाराज) तथा 55 वर्षीय कल्याण सागर को जैन समाज के ट्रस्टियों की शिकायत पर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इन दोनों पर सूरत की एक महिला अनुयायी से कई मास पूर्व बलात्कार करने का आरोप है। उनके अलावा धर्म कीर्ति सागर पर भी व्यभिचार का आरोप लगा है। 

* 09 जुलाई को छत्तीसगढ़ के रायपुर में ‘लार्ड बुद्धा फाऊंडेशन’ के नाम से एन.जी.ओ. चलाने वाले एक साधु को उसी की एन.जी.ओ. में काम करने वाली एक महिला का बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
* 17 जुलाई को गुजरात के कच्छ जिले में एक मदरसा अध्यापक ‘मौलाना शम्सुद्दीन हाजी सुलेमान जट’ को मदरसे में ही पढऩे वाली एक छात्रा को जान से मारने और उसका वीडियो लीक करने की धमकी देकर 4 वर्ष तक उसका बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। 

ये तो धर्म समाज से जुड़े लोगों द्वारा आस्था के नाम पर महिलाओं के यौन शोषण के चंद उदाहरण मात्र हैं जबकि इसके अलावा भी इस तरह के अपराध तथाकथित धर्मगुरु नारी जाति के विरुद्ध करते आ रहे हैं। इसी को देखते हुए सुप्रीमकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में कहा गया है कि ऐसे फर्जी बाबाओं द्वारा चलाए जा रहे आश्रमों, अखाड़ों और आध्यात्मिक केंद्रों में सैंकड़ों महिलाएं फंसी हुई हैं। ऐसे आश्रमों में धन-दौलत के खेल तथा आपराधिक गतिविधियों का उल्लेख करते हुए न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि केंद्र सरकार को ऐसे आश्रम बंद करवाने के निर्देश दिए जाएं। 

तेलंगाना के सिकंदराबाद निवासी याचिकाकत्र्ता ‘डुम्पाला रामारैड्डी’ ने ‘अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद’ द्वारा 17 बाबाओं को बोगस घोषित करने का उल्लेख करते हुए कहा है कि ‘‘यद्यपि ऐसे बाबाओं के खिलाफ बहुत गंभीर आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं लेकिन उनके आश्रम अभी भी उनके करीबी सहयोगियों की मदद से चलाए जा रहे हैं, अत: ऐसे आश्रमों को भी बंद करवाया जाए।’’ इसके साथ ही याचिका में देश में आश्रम और अन्य आध्यात्मिक संस्थाओं की स्थापना बारे संबंधित अधिकारियों को दिशा-निर्देश तय करने का निर्देश देने का अनुरोध भी किया गया है। याचिकाकत्र्ता ने यह भी कहा है कि जुलाई, 2015 में विदेश से डाक्टरी की पढ़ाई करके लौटी उसकी बेटी दिल्ली में एक फर्जी बाबा वीरेंद्र दीक्षित के चंगुल में फंस गई और 5 वर्षों से दिल्ली के रोहिणी इलाके में बने ‘आध्यात्मिक विद्यालय आश्रम’ में रह रही है। यह बाबा बलात्कार के आरोप में तीन वर्ष से फरार चल रहा है। याचिकाकत्र्ता ने इस आश्रम में रह रही कम से कम 170 महिलाओं को मुक्त करवाने की मांग की है। 

उक्त याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे के नेतृत्व वाली पीठ ने केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा है कि यदि याचिकाकत्र्ता के अनुसार ‘अखाड़ा परिषद’ ने देश में 17 आश्रमों के बोगस होने की बात कही है तो यह गंभीर प्रश्र खड़े करती है। अत: वह इस मामले में केंद्र सरकार से राय लेकर अदालत को बताएं कि सरकार इस मामले में क्या कर सकती है। हालांकि सभी संत ऐसे नहीं हैं परंतु निश्चय ही ऐसी घटनाएं संत समाज की बदनामी का कारण बन रही हैं लेकिन इसके लिए किसी सीमा तक महिलाएं भी दोषी हैं जो इन स्वनामधन्य बाबाओं की भाषण कला से प्रभावित होकर इनके झांसे में आ जाती हैं और संतान प्राप्ति, घरेलू समस्या निवारण आदि के लोभ में अपना सर्वस्व लुटा बैठती हैं। लिहाजा इस मामले में महिलाओं को भी सावधानी बरतने की जरूरत है।—विजय कुमार


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