जेल परिसरों, अदालतों तथा अस्पतालों से ‘फरार हो रहे कैदी’ और बेबस पुलिस

punjabkesari.in Friday, Jan 17, 2020 - 12:35 AM (IST)

घोर अव्यवस्था की शिकार भारतीय जेलों के अंदर हर तरह के अपराधों के अलावा अदालतों में पेशी के लिए तथा अस्पतालों में इलाज के लिए ले जाए जाने वाले कैदियों के पुलिस की हिरासत से निकल कर खिसक जाने की घटनाएं भी लगातार बढ़ती जा रही हैं जो इसी महीने की चंद खबरों से स्पष्ट है :
02 जनवरी को रांची में डाक्टरी जांच के लिए अस्पताल लाए जाने के दौरान फैजान नामक कैदी पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया। 
06 जनवरी को पेशी के लिए लाया गया एक नाबालिग कैदी हजारीबाग सिविल कोर्ट परिसर से चम्पत हो गया। 
07 जनवरी को राजनांद गांव जिला जेल से अदालत में पेशी के लिए लाए गए बलात्कार के आरोपियों में से एक बिट्टा सिंह 14 पुलिस जवानों का सुरक्षा घेरा तोड़ कर कोर्ट परिसर से निकल भागा।
12 जनवरी को गुजरात के सुरेंद्र नगर में लिम्बडी सब-जेल में हत्या एवं अन्य मामलों में बंद 4 विचाराधीन कैदी अपनी कोठरी का ताला तोड़ कर रस्सी की मदद से दीवार फांद कर भाग निकले।
14 जनवरी को सैंट्रल जेल होशियारपुर से इलाज के लिए सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया गया पंचमढ़ी आर्मी कैम्प से राइफल व कारतूस चुराने का आरोपी भगौड़ा फौजी हरप्रीत सिंह बाथरूम जाने के बहाने ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों को धक्का मार कर फरार हो गया। 
14 जनवरी को ही रूपनगर जिला जेल से डाक्टरी जांच के लिए सिविल अस्पताल लाया गया विचाराधीन कैदी सुनील पुलिस हिरासत से भाग निकला।
14 जनवरी को हत्या और चोरी सहित आधा दर्जन मामलों में संलिप्त बाल कैदी रांची के निकट डूमरडुग्गा स्थित बाल सुधार गृह से निकल भागा।
15 जनवरी को इसराईली महिला से बलात्कार के आरोप में सब-जेल कुल्लू में बंद विचाराधीन कैदी खेमराज रसोई के साथ लगती टैंकी पर चढ़ कर फरार हो गया। उल्लेखनीय है कि 2014 में भी उक्त जेल से 2 कैदी भाग निकले थे जिसके बाद जेल के आसपास सुरक्षा ‘बढ़ा’ दी गई थी। 

इनके अलावा भी न जाने ऐसी कितनी घटनाएं हुई होंगी जो प्रकाश में नहीं आईं। हालांकि ऐसी प्रत्येक घटना के बाद प्रशासन द्वारा सुरक्षा प्रबंध पहले से अधिक मजबूत करने के दावे किए जाते हैं परंतु उन तथाकथित दावों का कोई परिणाम नजर नहीं आता।
 
यही नहीं जेलों के कर्मचारियों की कथित मिलीभगत से कैदियों तक मोबाइल फोन, नशा और नकद रुपए तक पहुंच रहे हैं जिससे वे जेलों के भीतर तरह-तरह की सुविधाएं प्राप्त कर सकते हैं। स्पष्टत: यह सब जेलों में कैदियों की सुरक्षा में तैनात कर्मचारियों की चूक और लापरवाही का ही प्रमाण है जो अनेक प्रश्र खड़े करता है जिनका उत्तर तलाश कर उन कमजोरियों को दूर करने की जरूरत है। —विजय कुमार 


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