‘बदइंतजामी के शिकार पैरिस ओलिम्पिक्स’ ‘न संतोषजनक भोजन, न आवागमन व्यवस्था, ऊपर से चोरियां’

punjabkesari.in Friday, Aug 02, 2024 - 04:49 AM (IST)

26 जुलाई से शुरू हुए पैरिस ओलिम्पिक्स खेल जैसे-जैसे आगे बढ़ रहे हैं, इनमें भाग लेने आए 208 देशों के 10,000 से अधिक एथलीटों और उनके साथ आए स्टाफ के लिए सुविधाओं की कमी को लेकर असंतोष बढ़ता जा रहा है। भोजन की कमी का कुछ देशों के एथलीटों ने इतना बुरा मनाया है कि वे खेल गांव में पकाए जाने वाले भोजन का बहिष्कार तक करने की सोच रहे हैं। टीम ग्रेट ब्रिटेन (जी.बी.) के खिलाडिय़ों ने खेल गांव में भोजन की अपर्याप्त सप्लाई के कारण वहां खाना खाने की बजाय बाहर से अपने खर्च पर खाना मंगवाने के अलावा इंगलैंड से अपना रसोइया बुला लिया है। 

प्रतियोगियों के लिए खेल गांव के सबसे बड़े रेस्तरां में सिर्फ 3500 सीटें होने के कारण भोजन परोसने में बाधा आ रही है। या तो भोजन उपलब्ध नहीं है और यदि उपलब्ध है तो उसे लेने वालों की कतारें बहुत लम्बी हैं। शाकाहारियों को ही नहीं बल्कि मांसाहारियों को भी भोजन की समस्या है और अंडों एवं ग्रिल्ड मीट की सप्लाई मांग के अनुसार न होने के कारण इनकी राशनिंग की जा रही है। जहां तक इन खेलों में शामिल 117 सदस्यीय भारतीय दल का संबंध है, महिला डबल्स बैडमिंटन खिलाड़ी तनिशा के अनुसार, ‘‘एक दिन खिलाडिय़ों को परोसे जाने वाले मैन्यू में राजमां शामिल थे लेकिन हमारे पहुंचने से पहले ही वे समाप्त हो गए तथा उसके बाद दोबारा नहीं लाए गए।’’ 

भारतीय बॉक्सर ‘अमित पंगाल’ को भी मनपसंद भोजन के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वह काफी समय से दाल-रोटी की डाइट मेनटेन कर रहे हैं जो उन्हें बाहर से मंगवानी पड़ रही है। एक और भारतीय प्रतियोगी के अनुसार,‘‘खेल गांव से टेबल टैनिस प्रतियोगिता का आयोजन स्थल 45 मिनट की दूरी पर है। लेकिन एक नॉन एयर कंडीशंड बस में यात्रा करना नरक की यात्रा करने जैसा था। खिड़कियां खोलने की अनुमति नहीं थी। बाहर से हवा आने के लिए मात्र एक छोटा सा रोशनदान था और आयोजन स्थल पर पहुंचने से पहले ही मेरा पसीना बहने लगा।’’

भारत के एकल टैनिस खिलाड़ी ‘सुमित नागल’ के अनुसार,‘‘खेल गांव में रहने, भोजन और आयोजन स्थल तक पहुंचने तक के मामले में मुझे ऐसा कोई भी खिलाड़ी नहीं मिला जो संतुष्टï हो।’’ एक भारतीय टेबल टैनिस खिलाड़ी के अनुसार कमजोर बैड्स इतने खराब हैं कि उन पर शुरू में कई रातें तो वह सो ही नहीं पाए।  खेल गांव से स्टेडियम तक जाने के लिए भी खिलाडिय़ों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गाडिय़ां निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार नहीं चलने के कारण भारतीय अधिकारियों ने अपने प्रतियोगियों को समूचे पैरिस में फैले हुए प्रतियोगिता स्थलों तक पहुंचाने के लिए अपने वैकल्पिक वाहनों की व्यवस्था की है। 

इस तरह के हालात के बीच भारत के ‘शेफ डी मिशन’ (टीम के प्रमुख अधिकारी) गगन नारंग ने इस मुद्दे को संबंधित अधिकारियों के समक्ष उठाया भी है। लगभग 9 बिलियन डॉलर की लागत से आयोजित किए जाने वाले इस खेल समारोह में भाग लेने वाले अनेक प्रतियोगियों को रहने के लिए दिए गए कमरों में दरारें पड़ी हुई हैं। आयोजकों ने एथलीटों के कमरों में एयर कंडीशनर न लगवाने का फैसला किया है जो भले ही पर्यावरण के लिहाज से सही कदम हो पर उनके इस फैसले ने इन दिनों फ्रांस की गर्मी में छोटे-छोटे कमरों में ठहराए गए प्रतियोगियों का पसीना निकलवा दिया है। 

खेल गांव में एथलीटों की वस्तुओं की सुरक्षा को लेकर भी प्रश्न उठ रहे हैं। ‘जापान टाइम्स’ के अनुसार उसके एक रग्बी खिलाड़ी ने खेल गांव के अंदर अपने कमरे से अपने विवाह की अंगूठी, एक नैकलेस और नकद रकम चुरा लिए जाने की पुलिस में शिकायत की है। इसी प्रकार एक आस्ट्रेलियाई हॉकी कोच ने अपने क्रैडिट कार्ड की चोरी की शिकायत पुलिस में दर्ज करवाई है। इसी कारण भारतीय खिलाडिय़ों को अपनी मूल्यवान वस्तुएं तिजोरी में सुरक्षित रखने को कहा गया है।

विश्व की ‘फैशन राजधानी’ होने के नाते इन खेलों को देखने के लिए विश्व भर से रिकार्ड संख्या में पर्यटकों के आने की उम्मीद की जा रही थी परंतु होटलों द्वारा की गई तैयारी भी धरी-धराई रह गई और पर्यटकों के अपेक्षित संख्या में न आने के कारण उनके कमरे खाली पड़े हैं। ऐसा लगता है कि पैरिस ओलिम्पिक्स उस प्रकार खेल प्रेमियों के आकर्षण का केंद्र नहीं बन पा रहा जिस प्रकार जापान में 2021 में आयोजित पिछले ओलिम्पिक्स खेलों ने लोगों को आकॢषत किया था। -विजय कुमार 


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