देश में ऑक्सीजन संकट: यदि चेतावनी पर ध्यान दिया होता तो आज स्थिति संकटपूर्ण न होती

punjabkesari.in Sunday, Apr 25, 2021 - 01:49 AM (IST)

कोरोना महामारी के इस संकटकाल में मरीजों के इलाज के लिए वैक्सीन के एकाएक अभाव के बाद अब इलाज के लिए बहुत जरूरी ऑक्सीजन की कमी हो जाने से देश में मौतें बहुत बढ़ गई हैं। ‘ऑक्सीजन एमरजैंसी’ की स्थिति पैदा हो जाने से जहां ऑक्सीजन सिलैंडरों की ब्लैक होने लगी है, वहीं हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि एक अस्पताल ने दिल्ली हाईकोर्ट में ऑक्सीजन की कमी का मुद्दा उठाकर मदद की गुहार लगाई, जिस पर न्यायालय ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए ऑक्सीजन का औद्योगिक इस्तेमाल रोकने को कहा है।

हालांकि अब केंद्र सरकार ऑक्सीजन को लेकर कड़े कदम उठाती नजर आ रही है परंतु इसी बीच यह खुलासा हुआ है कि गत वर्ष अप्रैल, अक्तूबर और फिर नवम्बर में इस संबंध में सरकार को बताया गया था। पिछले वर्ष 1 अप्रैल, 2020 को कोरोना से निपटने के संबंध में सुझाव देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित अधिकारी समूहों में से एक ने देश में आने वाले दिनों में ऑक्सीजन की सप्लाई में कमी आने की आशंका व्यक्त कर दी थी।

इसी समूह ने समस्या से निपटने के लिए ‘इंडियन गैस एसोसिएशन’ से तालमेल करके ऑक्सीजन की कमी पूरी करने का सुझाव दिया था। इस बैठक की अध्यक्षता नीति आयोग के सी.ई.ओ. अमिताभ कांत ने की थी। जिस समय यह चेतावनी दी गई थी तब देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या मात्र 2000 थी तथा बाद में केस बढऩे के साथ-साथ ऑक्सीजन की कमी होने लगी।

इसके बाद 16 अक्तूबर, 2020 को स्वास्थ्य बारे संसद की स्थायी समिति ने मैडीकल ऑक्सीजन की उपलब्धता का मुद्दा उठाया और फिर 21 नवम्बर, 2020 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव ने संसद की स्थायी समिति को इस बारे लिखकर इसकी कीमत आदि तय करने को कहा था। यदि उक्त बातों पर उस समय ध्यान देकर इनकी गंभीरता समझी गई होती और अमल किया होता तो शायद आज देश में ऑक्सीजन की कमी से इतनी बड़ी संख्या में लोग नहीं मरते।
—विजय कुमार  


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