‘अब हमारे नेताओं पर लग रहे’ ‘बलात्कार और यौन शोषण के आरोप’

punjabkesari.in Thursday, Jan 14, 2021 - 04:56 AM (IST)

अपने 13 जनवरी के लेख में हमने लिखा था कि जहां पिछला साल 2020 नेताओं के उल्टे-पुल्टे बयानों का साल रहा व नए साल में भी उनका ऐसा ही व्यवहार जारी है, यही बात हमारे चंद नेताओं द्वारा महिलाओं के यौन उत्पीडऩ पर भी लागू होती है जिसके हाल ही के चंद उदाहरण निम्र में दर्ज हैं : 

* 13 जनवरी को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने ‘भाजपा विधायक महेश नेगी’ को बलात्कार के एक मामले में राहत देने से इन्कार कर दिया। चीफ जुडीशियल मैजिस्ट्रेट देहरादून की अदालत ने एक पीड़ित महिला की अर्जी पर ‘नेगी’ का डी.एन.ए. टैस्ट करवाने के आदेश दिए थे जिसके विरुद्ध नेगी ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उल्लेखनीय है कि 17 अगस्त, 2020 को उक्त महिला ने ‘महेश नेगी’ पर बलात्कार का आरोप लगाते हुए कहा था कि वह अपनी मां के इलाज के लिए विधायक से मदद मांगने गई थी। तब ‘नेगी’ ने मदद के बहाने उससे शारीरिक संबंध बना कर 2 साल तक उसका रेप किया और पीड़िता उसके बच्चे की मां भी बनी। ‘नेगी’ पर इस मामले में देहरादून के नेहरू कालोनी थाने में बलात्कार का मामला दर्ज किया गया है। 

* 11 जनवरी को महाराष्ट्र की ‘शिवसेना’ नीत गठबंधन सरकार में सामाजिक न्याय मंत्री ‘धनंजय मुंडे’ (राकांपा) पर रेणुका शर्मा नामक एक गायिका ने उसके साथ बलात्कार करने का आरोप लगाया है। गायिका ने ‘धनंजय मुंडे’ के विरुद्ध पुलिस द्वारा एफ.आई.आर. दर्ज नहीं करने पर ट्वीट करके आरोप लगाया है कि अब तक न तो पुलिस ने संज्ञान लिया और न ही कोई कार्रवाई की है। गायिका का आरोप है कि ‘मुंडे’ के साथ उसकी बड़ी बहन का प्रेम विवाह हुआ था और वर्ष 2006 में वह अपनी बहन की डिलीवरी के लिए इंदौर गई थी। तब उसकी इच्छा के विरुद्ध ‘मुंडे’ ने उससे संबंध बनाए। वह 2006 से ही बार-बार उसका बलात्कार कर रहे हैं तथा उसे ‘धनंजय मुंडे’ से जान का खतरा है। 

* 10 जनवरी, 2021 को वाराणसी से ‘भाजपा के पूर्व विधायक मायाशंकर त्रिपाठी’ पर उन्हीं के द्वारा संचालित शिक्षा संस्थान की एक छात्रा द्वारा छेडख़ानी का आरोप लगाने पर लोगों ने उसकी पिटाई कर दी। 
* 14 दिसम्बर, 2020 को उत्तर प्रदेश में ‘समाजवादी पार्टी नेता इंतजार त्यागी’ पर एक अंतर्राष्ट्रीय महिला खिलाड़ी ने तमंचे के बल पर उसके साथ बलात्कार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि आरोपी ने अपने मोबाइल में उसके अश्लील फोटो कैद कर लिए और तभी से उन्हें सार्वजनिक करने की धमकी देकर उसका शारीरिक शोषण कर रहा है। 

इन दिनों दक्षिण भारत में तमिलनाडु के पोल्लाची में दो वर्ष पूर्व हुए यौन शोषण के मामले को लेकर वहां की राजनीति गर्माई हुई है। ‘द्रमुक के विधायक एन. काॢतक’ ने आरोप लगाया है कि सरकार 2019 के  इस मामले में आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रही है और सरकार की मिलीभगत के कारण ही 2 वर्ष तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। यह पूरा मामला 12 फरवरी, 2019 का है जब 19 वर्षीय एक कालेज छात्रा के साथ चार लोगों ने बलात्कार करके उसकी वीडियो बना ली। इस मामले में सी.बी.आई. ने ‘अन्नाद्रमुक के छात्र विंग के सचिव अरुणाथल्लम’ सहित तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यही नहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री ‘चिन्मयानंद’ को सितम्बर 2019 में उन पर लगे बलात्कार के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री ‘निहालचंद मेघवाल’ पर भी बलात्कार करने का आरोप लगा। 

राजस्थान के पूर्व मंत्री ‘महिपाल मदेरणा’ (कांग्रेस) के नर्स ‘भंवरी देवी’ के साथ संबंधों के चलते वर्ष 2011 में राजस्थान की कांग्रेस सरकार की जम कर फजीहत हुई थी। इस मामले में मदेरणा तथा कांग्रेस के एक विधायक के भाई को गिरफ्तार किया गया था। उत्तराखंड के ‘हरक सिंह रावत’, गुजरात के ‘जयंती भानुशाली’, उत्तर प्रदेश के बांगरमऊ से विधायक ‘कुलदीप सिंह सेंगर’ और बदायूं से विधायक ‘कुशाग्र सागर’ के विरुद्ध बलात्कार के केस दर्ज करवाए गए हैं और मध्य प्रदेश के ‘राजाराम’ को गिरफ्तार किया गया है। 

महाराष्ट्र का एक नेता ‘रविंद्र बावंठाडे’ चलती बस में महिला का चुम्बन लेते हुए कैमरे में कैद होने के बाद गिरफ्तार हुआ। ‘राजद’ नेता ‘अरुण यादव’ पर नाबालिग से बलात्कार का आरोप लगने के बाद वह फरार हो गया जबकि अयोध्या में ‘बसपा’ नेता ‘बज्मी सिद्दीकी’ और उसके साथियों के विरुद्ध एक युवती ने सामूहिक बलात्कार करने का आरोप लगाया। 

एक रिपोर्ट के अनुसार 2009 से 2019 के बीच 10 वर्षों में सांसदों द्वारा महिलाओं के विरुद्ध दर्ज अपराधों में 830 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अपने देश के चंद नेताओं की उक्त करतूतें हमने पाठकों के सामने रखी हैं जिससे स्पष्टï है कि ये नेता आचरण के मामले में संदेह के घेरे में आए हुए हैं। निश्चय ही यह देश के लिए कोई शुभ लक्षण नहीं है जिससे राजनीतिक दलों के स्तर में गिरावट आ रही है। अत: राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं को चाहिए कि वे ऐसे किरदार वालों को पार्टी में शामिल न करें और यदि कोई ऐसा नेता उनकी पार्टी में है तो उसे तुरंत निकाल बाहर करें ताकि दूसरों को नसीहत मिले।—विजय कुमार


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