‘जम्मू-कश्मीर में पुलवामा की धरती पर’‘खेली जा रही खून की होली’

punjabkesari.in Thursday, Dec 10, 2020 - 02:08 AM (IST)

दक्षिण कश्मीर का पुलवामा जिला मुख्यत: पी.डी.पी. और कांग्रेस का गढ़ रहा है। पुरातन काल में इसे ‘पंवनगाम’ के नाम से जाना जाता था। यहां बड़ी मात्रा में दूध का उत्पादन होने के कारण इसे ‘कश्मीर का आणंद’ तथा ‘कश्मीर का दुधाकुल’ भी कहा जाता है। यहां बादाम, नाशपाती, अखरोट, चैरी तथा चावल की भी खेती होती है। इसके अलावा यह क्रिकेट बैट की लकड़ी के लिए भी प्रसिद्ध है। 

परंतु पिछले कुछ वर्षों से अब यह जिला आतंकवादी घटनाओं के लिए कुख्यात हो चुका है। सुरक्षाबलों के साथ 8 जुलाई, 2016 को मुठभेड़ में मारा गया हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी इसी क्षेत्र से संबंध रखता था। उसके अलावा इस क्षेत्र में अनेक खूंखार आतंकवादी हुए हैं। आज पुलवामा जिले का त्राल इलाका आतंकवाद का बहुत बड़ा गढ़ बन चुका है जिसके चंद उदाहरण निम्र में दर्ज हैं : 

* 4 मार्च, 2010 को पुलवामा जिले के त्राल में आतंकियों के साथ 30 घंटे चली मुठभेड़ में कैप्टन दीपक शर्मा शहीद हो गए। 
* 20 फरवरी, 2016 से पुलवामा के निकट पम्पोर में 2 दिन चले एनकाऊंटर में सी.आर.पी.एफ. के 3 जवान तथा 2 अधिकारी भी शहीद हो गए। इस हमले में एक आम नागरिक भी मारा गया।
* 25 जून, 2016 को पम्पोर में ही आतंकवादियों ने सी.आर.पी.एफ. की बस पर फायरिंग करके 8 जवानों को शहीद कर दिया।
* 26 अगस्त, 2017 को जैश के 3 आतंकवादियों ने पुलवामा जिला पुलिस लाइंस पर हमला करके सुरक्षाबलों के 8 जवानों को शहीद कर दिया।
* 14 फरवरी, 2019 को पाक समर्थित आतंकवादियों के कायरतापूर्ण हमले में सी.आर.पी.एफ. के 44 जवान शहीद और 22 घायल हो गए। 

* 21 जनवरी, 2020 को पुलवामा के अवंतीपुरा में मुठभेड़ में सेना का एक जवान और जम्मू-कश्मीर पुलिस का एस.पी.ओ. शहीद हो गया। 
* 13 अप्रैल और 17 अप्रैल, 2020 को पुलवामा में सुरक्षा बलों के सदस्यों पर 2 हमले किए गए।
* 21 मई, 2020 को पुलवामा में परछू ब्रिज पर पुलिस और सी.आर.पी.एफ. के लगाए नाके पर आतंकी हमले के परिणामस्वरूप एक जवान अनुज सिंह शहीद तथा दूसरा मोहम्मद इब्राहिम गंभीर रूप से घायल हो गया।
* 28 मई, 2020 को सुरक्षा बलों पर आतंकी हमला किया गया।
* 13 सितम्बर, 2020 को पुलवामा में आतंकवादियों ने रोड ओपनिंग पार्टी को निशाना बनाया। 

* 5 अक्तूबर, 2020 को रोड ओपनिंग पार्टी पर आतंकी हमले में  सी.आर.पी.एफ. के 2 जवान शहीद हो गए। 
* 19 अक्तूबर, 2020 को गंगू कस्बे में आतंकवादियों की फायरिंग में सी.आर.पी.एफ. का एक जवान घायल हो गया। 

* 5 नवम्बर, 2020 को त्राल कस्बे में आतंकवादियों ने मोहम्मद आयूब नामक एक दुकानदार की गोली मार कर हत्या कर दी जबकि वानपोरा और लालपोरा में गोलीबारी की अन्य घटनाओं में 3 नागरिकों को घायल कर दिया।
* 18 नवम्बर, 2020 को जिले के काकापोरा इलाके में आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में 12 सिविलियन घायल हो गए।
* 9 दिसम्बर, 2020 को पुलवामा के टिकन इलाके में सुरक्षाबलों से मुठभेड़ में 3 अज्ञात आतंकवादी मारे गए जबकि एक नागरिक घायल हो गया।
* 9 दिसम्बर, 2020 को ही बारामूला जिले में आतंकवादियों ने सुरक्षा कर्मियों के एक वाहन पर ग्रेनेड से हमला कर दिया जिसके परिणामस्वरूप एक महिला सहित 6 लोग घायल हो गए। 

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का गढ़ रहे पुलवामा तथा आस-पास के क्षेत्रों में आतंकवाद की दिल दहला देने वाली घटनाओं का लगातार जारी रहना अनेक प्रश्न खड़े करता है। 
भारत सरकार की ओर से इस क्षेत्र में केंद्रीय सुरक्षा बलों तथा स्थानीय पुलिस की भारी तैनाती और सुरक्षा के पुख्ता प्रबंधों के दावों के बावजूद इस प्रकार की घटनाएं आखिर क्यों हो रही हैं?
जो भी हो, इस संबंध में तत्काल अधिकारियों द्वारा उच्च स्तरीय बैठकें करके हमारी सुरक्षा प्रणाली में व्याप्त त्रुटियों का पता लगाने और उन्हें दूर करने की जरूरत है ताकि दूध, केसर और फलों की यह धरती निर्दोषों के खून से लाल न हो, देश की सुरक्षा खतरे में न पड़े और लोग सुख-शांतिपूर्वक जीवन व्यतीत कर सकें।—विजय कुमार 


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