‘आजादी’ के 76वें वर्ष में नीतीश द्वारा विपक्षी दलों में एकता का प्रयास

punjabkesari.in Sunday, Aug 14, 2022 - 03:51 AM (IST)

किसी समय देश की सबसे बड़ी पार्टी कहलाने वाली कांग्रेस आज हाशिए पर आ चुकी है और आपसी फूट से क्षेत्रीय दलों का लगातार क्षरण होने के कारण आशंका होने लगी है कि कहीं ये दल समाप्त तो नहीं हो जाएंगे। विरोधी दलों के नेता भाजपा पर उनके विरुद्ध सी.बी.आई. व ई.डी. के इस्तेमाल का आरोप लगा रहे हैं तथा उनके नेताओं पर हुई छापेमारी और उन्हें जांच में शामिल करने के उदाहरण देते हैं। 

हाल ही में पश्चिम बंगाल में टीचर भर्ती घोटाले में पूर्व कैबिनेट मंत्री पार्थ चटर्जी तथा आय से अधिक सम्पत्ति मामले में अन्नाद्रमुक के पूर्व विधायक पी.पी. भास्कर आदि के ठिकानों पर छापे मारे गए तथा कई दलों के नेताओं को ई.डी. जांच में शामिल किया गया जिनमें अभिषेक बनर्जी, सोनिया और राहुल गांधी, संजय राऊत, सत्येंद्र जैन, चरणजीत सिंह चन्नी व हेमंत सोरेन के अलावा राकांपा के नेता शामिल हैं। विरोधी दलों के अनुसार जहां केंद्र सरकार उन्हें कमजोर करने की कोशिश कर रही है, वहीं बिहार में इसके विपरीत स्थिति दिखाई दे रही है। 

वहां नीतीश एक बार फिर भाजपा से नाता तोड़ कर व राजद से जुड़ कर 10 अगस्त को आठवीं बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए हैं वहीं उन्होंने कांग्रेस व अन्य दलों को भी साथ जोड़ा और तेजस्वी यादव (राजद) को उप मुख्यमंत्री के रूप में अपने साथ लेकर विपक्षी एकता की दिशा में कदम बढ़ाया है। शपथ ग्रहण के दिन तेजस्वी यादव ने नीतीश के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया और पिछली कटुताएं भुला कर उनका साथ देने का वायदा किया।वैसे नीतीश ने भाजपा से नाता तोडऩे का संकेत 8 अगस्त को नई दिल्ली में सोनिया गांधी व वामदलों के नेताओं से भेंट करके दे दिया था। तेजस्वी  ने भी अब एकता के लिए विपक्षी दलों के नेताओं से मिलना शुरू कर दिया है। 

इसी सिलसिले में तेजस्वी यादव ने दिल्ली में सोनिया गांधी से भेंट करके मंत्रिमंडल विस्तार के संबंध में चर्चा करने के अलावा माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा महासचिव डी. राजा, माकपा (एम.एल.) के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य आदि नेताओं से भी भेंट की है। इसी संदर्भ में पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी (भाजपा) का कहना है कि ‘‘बार-बार धोखा देकर भी मुख्यमंत्री बन जाना यही तो नीतीश कुमार का चमत्कार है।’’ ‘‘नीतीश कुमार ने भाजपा से अधिक लालू (राजद) को धोखा दिया है और यह सरकार अढ़ाई वर्ष नहीं चलेगी। नीतीश कुमार के बाद जद (यू) का कोई भविष्य नहीं।’’ 

वहीं कुछ क्षेत्रों में यह भी चर्चा है कि नीतीश कुमार की नजर 2024 में प्रधानमंत्री की कुर्सी पर है परंतु उन्होंने कहा है कि वह प्रधानमंत्री बनना नहीं, केंद्र में राजग के विरुद्ध विपक्षी एकता कायम करने में सकारात्मक भूमिका निभाना चाहते हैं जिसके परिणाम आने वाले दिनों में नजर आएंगे। 

कुछ लोगों का कहना है कि कहीं नीतीश कुमार विपक्षी एकता का अभियान शुरू कर दूसरा जय प्रकाश नारायण बनने की कोशिश तो नहीं कर रहे क्योंकि 1974 में बिहार में लोकनायक जय प्रकाश नारायण ने ‘सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन’ की शुरूआत की थी जिसका परिणाम केंद्र में कांग्रेस की सरकार के गिरने के रूप में निकला था। कुल मिला कर एक ओर देश में आजादी की 75वीं वर्षगांठ का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है तो दूसरी ओर देश में नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों की एकता  के लिए अभियान आरंभ कर दिया है। 

संघ प्रमुख श्री मोहन भागवत का भी कहना है कि, ‘‘एक नेता अकेले देश के सामने मौजूद सभी चुनौतियों से नहीं निपट सकता और कोई एक संगठन या पार्टी पूरे देश में बदलाव नहीं ला सकती। बदलाव तब आता है जब आम लोग उसके लिए खड़े होते हैं।’’ अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सभी विपक्षी दलों को इकट्ठा करने में नीतीश कुमार किस हद तक  सफल होते हैं तथा उनकी कोशिशों का क्या परिणाम निकलता है।—विजय कुमार 


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