चीन की धोखेबाजी के शिकार नेपाल, पाकिस्तान और अब श्रीलंका

punjabkesari.in Sunday, Nov 07, 2021 - 03:32 AM (IST)

शुरू से ही चीन के शासकों की दोस्ती की आड़ में दूसरे देशों को धोखा देने की नीति रही है। पहले तो वे सहायता के नाम पर विभिन्न देशों के शासकों को अपने प्रभाव के अधीन लाते हैं और फिर मौका मिलते ही उन्हें धोखा देेने से नहीं चूकते। इसके ताजा उदाहरण नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका हैं। एक ओर नेपाल में अरबों रुपए की परियोजनाएं शुरू करके चीन के शासक उसे अपने वश में कर रहे हैं तो दूसरी ओर उसकी जमीन पर चुपके-चुपके अवैध कब्जे करते जा रहे हैं। चीन ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान योजनाबद्ध तरीके से वहां के ‘गोरखा’ जिले के गांव ‘रूई’ पर कब्जा कर लिया है और इसे वैध दर्शाने के लिए वहां लगे सभी सीमा स्तम्भ उखाड़ दिए हैं। यह गांव अब चीन के पूर्ण नियंत्रण में है। 

पाकिस्तान के शासकों को अपने वश में रखने के लिए चीन के शासक भारत में दो दशक से ङ्क्षहसक गतिविधियों को अंजाम दे रहे पाकिस्तानी आतंकवादी गिरोह जैश-ए-मोहम्मद के सरगना ‘मसूद अजहर’ को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यू.एन.एस.सी.) में ‘वैश्विक आतंकवादी’ घोषित करवाने के भारत के प्रयासों को विफल करते आ रहे हैं। चीनी शासक भारत में सक्रिय आतंकी गिरोहों की भी लगातार हथियारों से सहायता कर रहे हैं। चीन सरकार ने पाकिस्तान में निर्माणाधीन ‘चीन-पाकिस्तान इकोनोमिक कोरीडोर’ में 3.8 लाख करोड़ रुपए का निवेश करने के अलावा ‘वन बैल्ट वन रोड’ प्रोजैक्ट तथा अन्य अनेक परियोजनाओं में खरबों डॉलरकी भारी-भरकम राशि निवेश करने के नाम पर वहां अपना कब्जा ही जमा लिया है। 

चीन के शासक एशिया में पाकिस्तान को अपना सबसे बड़ा दोस्त बताते हैं परंतु उसे भी धोखा देने का कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं देते। हाल ही में चीन ने पाकिस्तान की सेना को अत्याधुनिक हथियारों के नाम पर बेहद घटिया क्वालिटी के ड्रोन बेच दिए जो खराब निकले। इस बारे शिकायत करने पर भी चीनी शासकों ने पाकिस्तान के शासकों की एक न सुनी और उलटे पाकिस्तान पर ही दोष मढ़ते हुए पाकिस्तानी इंजीनियरों को भी अयोग्य बता दिया जिस कारण पाकिस्तान की सरकार और सेना दोनों ही चीन से नाराज बताए जाते हैं। 

चीन की धोखेबाजी का नवीनतम शिकार श्रीलंका हुआ है। बताया जाता है कि हाल ही में श्रीलंका सरकार ने अपने देश में खेती के लिए रासायनिक खादों के स्थान पर पूर्ण रूप से आर्गैनिक खादों के इस्तेमाल का फैसला किया। इसकी कुछ जरूरत तो इसने अपने यहां उपलब्ध आर्गैनिक खाद से पूरी कर ली परंतु शेष जरूरत पूरी करने के लिए श्रीलंका सरकार ने चीन से ‘बायो खाद’ की बड़ी खेप मंगवाई। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे का आरोप है कि चीन द्वारा सप्लाई की गई आर्गैनिक खाद से फसलों को लाभ तो क्या होना था, उलटे हानिकारक बैक्टीरिया युक्त चीनी खाद के इस्तेमाल से सारी फसल नष्ट हो जाने के कारण देश में भारी असंतोष फैल गया है। इसके बाद श्रीलंका सरकार ने भारत से मदद की गुहार की तो भारत सरकार ने दीवाली पर विमान द्वारा 100 टन खाद भेज कर ‘दोस्त वही जो संकट में काम आए’ कहावत चरितार्थ की है। 

यही नहीं, हाल ही में भारत में श्रीलंका के उच्चायुक्त ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भेंट करके अपने देश को आॢथक संकट से निकालने के लिए ऋण के रूप में 50 करोड़ डालर की आर्थिक सहायता भी मांगी है। यही नहीं, विभिन्न देशों को कर्ज देकर उन्हें अपना ‘आर्थिक गुलाम’ बनाने की चीनी शासकों की रणनीति को अफ्रीका महाद्वीप के अनेक देशों ने भांप कर अपने यहां चलाई जा रही चीनी परियोजनाओं को रद्द कर दिया है। इनमें घाना और केन्या आदि शामिल हैं जबकि कांगो अपने देश में चीनी परियोजनाएं रद्द करने पर विचार कर रहा है।-विजय कुमार


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