ममता चुनी गईं विधायक दल की नेता बनेंगी तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री

punjabkesari.in Tuesday, May 04, 2021 - 02:31 AM (IST)

पश्चिम बंगाल पर वाम दलों का 34 वर्ष का शासन समाप्त कर ममता बनर्जी पहली बार 20 मई, 2011 को मु यमंत्री बनीं और अब 10 वर्ष बाद जब केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार द्वारा उन्हें सत्ताच्युत करने के लिए सभी 8 चरणों के चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कैबिनेट मंत्रियों व अन्य पार्टी नेताओं को मैदान में उतार कर अपनी पूरी ताकत झोंक देने के बावजूद ममता ने अभूतपूर्व जीत दर्ज कर एक बार फिर इतिहास रच दिया है। ममता बनर्जी को इस बार पिछली बार की 211 सीटों के मुकाबले 2 सीटें अधिक मिली हैं तथा 2016 में मिले 43 प्रतिशत वोटों के मुकाबले में इस बार 47.96 प्रतिशत वोट मिले हैं। 

ममता बनर्जी की इस सफलता को देखते हुए जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के राजनीति अध्ययन केंद्र में एसोसिएट प्रोफैसर मणींद्र नाथ ठाकुर ने उन्हें इंदिरा गांधी के बाद उभरी सर्वाधिक शक्तिशाली महिला राजनीतिज्ञ करार दिया है। हालांकि ममता नंदीग्राम से शुभेंदु अधिकारी के विरुद्ध चुनाव हार गईं परंतु अपनी पार्टी को 213 सीटें जिता कर उन्होंने पश्चिम बंगाल की सत्ता पर कब्जा करने में फिर सफलता प्राप्त कर ली। उन्हें 3 मई को सर्वस मति से विधायक दल की नेता चुन लिए जाने के बाद तीसरी बार उनके मु यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया और वह 5 मई को शपथ ग्रहण करेंगी। 

विधायक दल की नेता चुनी जाने के बाद ममता ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ से भेंट करके उन्हें अपना त्यागपत्र सौंपा जिन्होंने वैकल्पिक व्यवस्था होने तक उन्हें पद पर बने रहने को कहा। इससे पूर्व एक प्रैस कांफ्रैंस में ममता ने इस जीत को बंगाल के लोगों की जीत बताया और नंदीग्राम में अपनी पराजय पर बोलीं, ‘‘मैं इसके विरुद्ध सुप्रीमकोर्ट में जाऊंगी। ई.वी.एम. में गड़बड़ी करके धोखाधड़ी की गई है।’’ ‘‘हालांकि भाजपा ने 77 सीटें जीती हैं परंतु यदि चुनाव आयोग उसकी मदद न करता तो यह 50 सीटें भी नहीं जीत सकती थी।

चुनाव आयोग द्वारा पहले घोषित परिणाम में मुझे विजयी घोषित किए जाने के बाद राज्यपाल ने मुझे बधाई भी दे दी थी। फिर सब बदल कैसे गया?’’ ‘‘सर्वर 4 घंटे डाऊन क्यों था और निर्वाचन आयोग की औपचारिक रूप से घोषणा के बाद नंदीग्राम का परिणाम कैसे उलट सकता है?’’ 

चुनाव आयोग द्वारा दोबारा मतगणना न करवाने के निर्णय पर ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘आखिर नंदीग्राम में फिर से मतगणना कराने में दिक्कत क्या है? चुनाव आयोग मुझे लिख कर दे कि चुनावों में गड़बड़ नहीं हुई।’’  ‘‘मैं मतगणना की फोरैंसिक जांच करवाने की मांग करूंगी। नारी शक्ति ही भाजपा को रोक सकती है।’’ ममता बनर्जी ने सनसनीखेज आरोप लगाया कि ‘‘किसी ने मुझे एस.एम.एस. भेजा कि किसी ने रिटॄनग आफिसर से कहा है कि अगर नंदीग्राम में दोबारा मतगणना की गई तो उसकी जिंदगी सुरक्षित नहीं रहेगी और उसे आत्महत्या भी करनी पड़ सकती है।’’ 

सबको ङ्क्षहसा न करने और शांति बनाए रखने की अपील करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि वह बदले की भावना से कार्रवाई करने में विश्वास नहीं रखतीं। उन्होंने ङ्क्षहसा करने वालों पर कार्रवाई करने की चेतावनी दी और कहा कि भाजपा वाले तृणमूल कांग्रेस के वर्करों पर हमले कर रहे हैं। उन्होंने भाजपा पर ओछी राजनीति करने का आरोप लगाया और बोलीं, ‘‘हमारे पीछे जांच एजैंसियां लगाई गईं जिसका जनता ने भाजपा को करारा जवाब दिया। भाजपा कोई शहंशाह नहीं है और चुनावों में हार-जीत तो होती ही रहती है।’’

ममता ने पत्रकारों को ‘कोरोना वारियर’ करार दिया और कहा कि सबका मु त टीकाकरण किया जाएगा। उन्होंने कहा,‘‘अपनी विजय का जश्र हम कोरोना को हराने के बाद ही मनाएंगे।’’ ‘‘हमने केंद्र सरकार से 3 करोड़ वैक्सीन मांगी हैं और कहा है कि कोरोना वैक्सीन सबको मु त दी जाए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो हम इसके विरुद्ध आंदोलन करेंगे।’’ 

बहरहाल अब जबकि ममता बनर्जी जीत हासिल करने के बाद एक बार फिर अपने नेतृत्व में सरकार बनाने की तैयारी में जुट गई हैं, केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा नेतृत्व और ममता बनर्जी दोनों को ही अपनी चुनावी कटुताएं भूल कर नए सिरे से मिलजुल कर काम करने की शुरूआत करनी चाहिए। केंद्रीय नेतृत्व भी अन्य राज्यों की भांति पश्चिम बंगाल के साथ समानतापूर्ण व्यवहार करे ताकि देश और राज्य दोनों का भला हो। —विजय कुमार
 


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