‘एक आसान सा राजनीतिक औजार है लव जेहाद’

punjabkesari.in Wednesday, Nov 25, 2020 - 04:54 AM (IST)

भारत एक बार पुन: एक नए अवतार में विभिन्न धर्मों और आस्थाआें के बीच संघर्ष में फंसा हुआ है और इस बार यह नया अवतार लव-जेहाद के रूप में सामने आया है जो एक आसान सा राजनीतिक औजार है और शिष्टाचार में लिपटा हुआ है और जिसने केन्द्र और अनेक राज्यों में भाजपा को सत्ता में आने में सहायता की और उसे हिंदू वोट दिलाए, जिसके अंतर्गत विभिन्न जातियों और धर्मों के बीच इश्क, मोहब्बत और शादी को लेकर विवाद पैदा हो गया है। इनको बलात् धर्मांतरण से जोड़ दिया गया है और इससे उत्पन्न राजनीतिक उथल-पुथल के चलते हमारा धर्मांतरण तुम्हारे धर्मांतरण से पवित्र के अपवित्र संघर्ष में बदल रहा है। 

लव जेहाद के बारे में हाल ही में जो विवाद पैदा हुआ वह हरियाणा के फरीदाबाद में कालेज के बाहर एक 21 वर्षीय छात्रा की गोली मार कर हत्या करने से शुरू हुआ। छात्रा के घर वालों का आरोप है कि आरोपी उस छात्रा पर धर्म परिवर्तन करने और उससे विवाह करने का दबाव डाल रहा था और इससे पुन: लव जेहाद का मुद्दा देश भर में उठने लगा। लव जेहाद की कार्य प्रणाली बहुत ही सरल है। युवा मुस्लिम अपने को सोनू भाई, पप्पू भाई आदि कहलाते हैं और हाथ पर लाल धागा बांध देते हैं ताकि वे हिन्दू दिखें और लोग उन्हें हिंदू समझें तथा गैर-मुस्लिम महिलाआें को अपने प्रेम के जाल में फंसाते हैं और उन्हें बलपूर्वक या धोखे से इस्लाम धर्म में परिवर्तित करने के एकमात्र उद्देश्य से उनके साथ भाग जाते हैं या उनके साथ विवाह कर लेते हैं। 

लव जेहाद पर अंकुश लगाने के लिए भाजपा शासित राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक और असम ने कठोर कानून बनाने की तैयारी कर ली है। इन राज्यों ने यह कदम इलाहाबाद उच्च न्यायालय की हाल की इस टिप्पणी के बाद उठाया कि केवल विवाह के उद्देश्य के लिए धर्मांतरण अस्वीकार्य है। इसी के चलते पिछले वर्ष भाजपा शासित हिमाचल प्रदेश ने लव जेहाद विरोधी विधेयक पारित कराया। वस्तुत: मध्य प्रदेश ने धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2020 का प्रस्ताव किया है जिसमें लव जेहाद को एक संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध माना गया है जिसके लिए 5 वर्ष के कठोर कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। 

असम सरकार ने चेतावनी दी है कि वह एेसे हर व्यक्ति को जेल की सजा दिलाएगी जो असम की बेटियों का उत्पीड़न करेगा या अपनी पहचान छुपाकर उन्हें लव जेहाद का शिकार बनाएगा। असम भाजपा का कहना है कि यदि 2021 में वह पुन: सत्ता में आई तो एेसा कानून बनाएगी। हालांकि केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि विद्यमान कानूनों में लव जेहाद को परिभाषित नहीं किया गया है और अब तक एेसा कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है।

शायद कम लोगों को पता होगा कि लव जेहाद कार्यक्रम की शुरूआत 1996 में शुरू हुई और इसे केरल के कुछ मुस्लिम संगठनों का वरदहस्त प्राप्त था। यह शब्द पहली बार राज्य के पत्तनमथित्ता जिले में सितंबर 2009 में सुनने को मिला और तीन माह बाद इसका प्रयोग केरल उच्च न्यायालय के एक निर्णय में भी किया गया। न्यायालय ने इसे मुस्लिम युवाआें द्वारा प्रेम जाल में फंसाकर युवा हिन्दू लड़कियों को बलपूर्वक धर्मांतरित करवाने का कथित मुस्लिम षड्यंत्र बताया और राज्य सरकार से कहा कि लव जेहाद के एेसे धोखाधड़ी के कृत्य पर रोक लगाने के लिए एक कानून बनाने पर विचार करे। 

वस्तुत: धर्मान्तरण भारत में एक ज्वलंत और विस्फोटक सामाजिक और राजनीतिक मुद्दा बन गया है। यह 1920 में आर्य समाज और अन्य हिंदू पुनर्जागरण संगठनों द्वारा चलाए गए अभियान की तरह है। लव जेहाद के अंतर्गत मुस्लिम गुंडों द्वारा हिंदू महिलाआें का अपहरण और उनके धर्मांतरण, उनके साथ कथित रूप से बलात्कार, उन्हें लुभाना, उनका धर्मांतरण करना, प्रेम के जाल में फंसाना, बलपूर्वक विवाह करना इसके कारण हिन्दू और मुसलमानों के बीच मतभेद बढ़ते जा रहे थे। हालांकि उस समय लव जेहाद शब्द का प्रयोग नहीं किया गया था। आज उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम कहीं भी जाआे, एक जैसी स्थिति देखने को मिल रही है। 

धर्म आज पैसा बनाने का साधन बन गया है। आपको ध्यान होगा कि अमरीका स्थित अपने मुख्यालयों से प्राप्त पैसे के बल पर अनेक चर्च समूहों ने तमिलनाड़ु, केरल, आंध्र प्रदेश, कश्मीर और कर्नाटक में अनेक हिंदुआें का धर्मांतरण कराया, उन्हें पैसा और रोजगार दिलाया और यह सिलसिला स्वतंत्रता के बाद से ही चल रहा है। दूसरी आेर विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल ने भी अपने सशस्त्र युवा समूह रक्षा सेनाआें का गठन किया। समय आ गया है कि हमारे नेता इस बात पर गंभीरता से विचार करें क्योंकि गत वर्षों में लव जेहाद को लेकर अनेक लोग अपनी जानें गंवा चुके हैं साथ ही वे धर्म को राजनीति से अलग करने पर भी विचार करें।-पूनम आई. कौशिश
 


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