‘कोरोना संकट के बीच’ एक और महा-आपदा ‘निसर्ग की दस्तक’

punjabkesari.in Thursday, Jun 04, 2020 - 01:12 PM (IST)

कुछ समय से देश के हालात देखते हुए अनेक लोगों का कहना ठीक ही लगता है कि शनिदेव भारत से रुष्टï हैं और देश लगातार प्राकृतिक एवं मानव निर्मित आपदाओं के चलते जानमाल की भारी हानि झेल रहा है। एक ओर लोग ‘कोरोना’ से  मर रहे हैं, तो दूसरी ओर मानवीय लापरवाही और प्रकृति के प्रकोप से भी लगातार मौतें और विनाश हो रहा है :

* 07 मई को विशाखापत्तनम के निकट ‘एल.जी. पोलिमर्स’ के प्लांट में गैस रिसाव से 11 लोगों की मृत्यु और अनेक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
* 20 मई को चक्रवातीय तूफान ‘अम्फान’ के चलते बंगाल में कम से कम 98 लोग मारे गए तथा ओडिशा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और केरल सहित 9 तटवर्ती राज्यों में सम्पत्ति को भारी क्षति पहुंची।
* 28-29 मई को ही पंजाब में भारी वर्षा और तेज हवाओं से दर्जनों पेड़ उखड़ गए, बड़ी संख्या में मकानों एवं फसलों को क्षति पहुंची तथा 3 लोगों की आंधी और वर्षा में घिर जाने से मृत्यु हो गई।
* 31 मई को चंडीगढ़ सहित पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भारी वर्षा से 16 लोगों की मृत्यु हो गई। 
* 02 जून को असम में अनेक स्थानों पर भारी वर्षा के कारण राज्य के 3 जिलों में भूस्खलन के चलते 21 लोगों की जान चली गई।
* 03 जून को दिल्ली एन.सी.आर. में भूकम्प के हल्के झटके महसूस किए गए। पिछले डेढ़ महीने में इस क्षेत्र में भूकम्पों के 10 झटके लग चुके हैं।
* 03 जून को ही गुजरात के भरूच में एक कैमिकल फैक्टरी में हुए विस्फोट में 5 लोगों की मौत तथा अनेक लोग घायल हो गए।

...और इसी दिन देश में ‘कोरोना संक्रमण’ की राजधानी बनी मुम्बई तथा समूचे महाराष्ट्र गुजरात, गोवा, दमन और दीव तथा दादर व नगर हवेली में ‘निसर्ग’ नामक विकराल तूफान ने तबाही मचाई।
इसकी प्रचंडता इतनी तीव्र थी कि यह जल्दी ही ‘अत्यंत गंभीर चक्रवातीय तूफान’ की श्रेणी में पहुंच गया और इसकी गति लगातार बढ़ती चली गई। इसके मुम्बई के तट पर पहुंचने से पहले ही समूचे क्षेत्र तथा केरल और महाराष्टï्र के रायगढ़ आदि में प्रचंड वर्षा शुरू हो गई। विशेष रूप से मुम्बई के तटवर्तीय इलाकों तथा अन्य स्थानों पर बिजली और टैलीफोन के खम्भों आदि के साथ-साथ झोंपड़ पट्टिïयों को क्षति पहुंची और ‘हाई राइज’ इमारतों तक के लिए भारी खतरा पैदा हो गया। अरब सागर में उफान सा आ गया और इसकी लहरें 2 मीटर से भी अधिक ऊंची उठने लगीं जिनमें एक विशाल जहाज भी फंस गया। 

अनेक मकानों की छतें उड़ गईं और बड़े-बड़े पेड़ जड़ों सहित उखड़ कर सड़कों पर बिखर गए जिससे 2 लोगों की मौत हो गई। सड़कों पर जा रहे वाहन पलट गए। सड़क, रेल एवं विमान सेवाएं भी बुरी तरह प्रभावित हुईं। महाराष्ट्र पर धावा बोलने वाले अब तक के इस सबसे भयानक तूफान के अलीबाग से टकराने के बाद मुम्बई पहुंचते-पहुंचते इसकी रफ्तार 120 किलोमीटर प्रतिघंटा से भी तेज हो गई लेकिन महाराष्ट्र में तबाही के मंजर छोडऩे के बाद गुजरात की ओर बढ़ते समय इसकी तीव्रता कम हो गई। 129 वर्ष के बाद मुम्बई पर इतने खतरनाक तूफान के हमले से भारी तबाही मानव द्वारा प्रकृति से छेड़छाड़, जंगलों के बड़ी संख्या में अवैध कटान, भू-माफिया द्वारा अवैध खनन, किसानों द्वारा खेतों में कीटनाशकों और खादों के अत्यधिक इस्तेमाल, पानी की बर्बादी, विभिन्न उद्योगों द्वारा नदियों में विषैला पानी छोडऩे आदि के कारण बिगड़े हुए पर्यावरण का परिणाम है। अत: इस प्रकार की आपदाओं को टालने के लिए जहां प्रशासन द्वारा सुरक्षा प्रबंध मजबूत करने की आवश्यकता है वहीं लोगों के लिए प्रकृति और पर्यावरण से छेड़छाड़ बंद करना भी जरूरी है, तभी हम प्रकृति के प्रकोप से बच सकेंगे।                          —विजय कुमार


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