‘पंडित सरपंच की हत्या’ से कश्मीर घाटी में पंडितों की ‘वापसी के प्रयासों को धक्का’

punjabkesari.in Friday, Jun 12, 2020 - 10:56 AM (IST)

कश्मीरी पंडित 1990 में पाक प्रायोजित आतंकवाद तथा सैंकड़ों की संख्या में अपनी हत्याओं से तंग आकर वहां से पलायन करके जम्मू तथा देश के अन्य भागों में शरणाॢथयों के रूप में रहने को विवश हो गए। इनमें दक्षिण कश्मीर में आतंकवादियों के गढ़ अनंतनाग जिले के ‘लोकभवन’ गांव के श्री ओंकार नाथ का परिवार भी था। कुछ वर्ष बाद वह दोबारा गांव में ही रहने के लिए लौट आए जहां इनके बेटे अजय पंडिता ने 2018 में पंचायत का चुनाव लड़ा और सरपंच चुने गए। गांव के मुसलमानों सहित सब लोगों के साथ उनके अच्छे संबंध थे।

8 जून, 2020 को आतंकवादियों ने अजय पंडिता की हत्या कर दी। इस हत्याकांड पर घाटी में मचे कोहराम के बीच अजय पंडिता के भाई विजय भारती ने अजय द्वारा सुरक्षा प्रदान करने की मांग करने के बावजूद कोई कार्रवाई न करने का पुलिस पर आरोप लगाया है। कहा जा रहा है कि लगभग 9 मास पूर्व ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग द्वारा इस केंद्र शासित क्षेत्र के गृह विभाग को निर्वाचित पंचायत सदस्यों को सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से सुरक्षा का आडिट करने के अनुरोध पर भी इस दिशा में कुछ नहीं किया गया। 

कश्मीर घाटी से उजड़ कर देश में विभिन्न स्थानों पर शरणाॢथयों के रूप में रहने को मजबूर कश्मीरी पंडितों को वापस लाने के सरकार के प्रयासों को इस घटना से गहरा आघात और साथ ही पंचायत सदस्यों की सुरक्षा पर भी प्रश्न चिन्ह लग गया है। इससे घाटी के गांवों के पंचों-सरपंचों में भय की लहर दौड़ गई है और वे अपनी जान बचाने की खातिर जम्मू एवं अन्य स्थानों को जाने लगे हैं। निश्चित ही यह हत्या अपने घर लौटने को आतुर कश्मीरी पंडितों की घर वापसी के सरकारी प्रयासों को नाकाम करने की घिनौनी साजिश है। जब तक घाटी में एक भी आतंकवादी बचा रहेगा, यहां की धरती निर्दोषों के खून से लाल होती ही रहेगी। 


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