जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल मलिक का आतंकवादियों को भोज का निमंत्रण

punjabkesari.in Friday, Jun 14, 2019 - 12:34 AM (IST)

कश्मीर केंद्रित दोनों बड़ी राजनीतिक पार्टियों पी.डी.पी. तथा नैशनल कांफ्रैंस के नेता महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला घाटी में सक्रिय अलगाववादियों और पाकिस्तान के साथ बातचीत का समर्थन करते आए हैं। प्रदेश के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने गत कुछ महीनों में अलगाववादियों के विरुद्ध अनेक कार्रवाइयां की हैं जिनमें टैरर फंडिंग मामले में 4 अलगाववादियों की गिरफ्तारी, अनेक अलगाववादियों और पी.डी.पी. नेताओं की सुरक्षा वापस लेना और अलगाववादी संगठनों के खाते सील करना शामिल है।

और अब 12 जून को उन्होंने श्रीनगर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में आतंकवादियों से हथियार छोडऩे की अपील करते हुए उन्हें अपने आवास पर लंच के लिए आने का निमंत्रण दिया है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में आतंकवाद युवाओं में बेरोजगारी के कारण ही नहीं है बल्कि कुछ नेता दशकों से लोगों को गुमराह कर रहे हैं। दिल्ली ने भी गलतियां की हैं परंतु स्थानीय नेतृत्व अधिक दोषी है।

उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर नई ऊंचाइयों पर गोलियों से नहीं वोटों से पहुंचेगा। धारा-370 और 35 ए को समाप्त करने की बात अनेक पार्टियों ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में कही है। आप इसकी चिंता न करें।’’ ‘‘आपका अपना संविधान है। आपका अपना झंडा है। इसके अलावा आप जो चाहते हैं वह संविधान के दायरे में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के अनुसार वार्ता से हासिल हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तैयार हैं, मैं तैयार हूं, आइए बातचीत की मेज पर।’’

भाजपा के चुनावी घोषणापत्र में धारा 370 समाप्ति का संकल्प होने के बावजूद राज्यपाल ने इस पर चिंता न करने की बात कह कर जहां कश्मीर को लेकर केंद्र की रणनीति में बदलाव की प्रक्रिया का संकेत दिया है वहीं केंद्र सरकार के विशेष प्रतिनिधि दिनेश्वर शर्मा एक बार फिर 6 महीने के बाद अलगाववादियों से वार्ता के लिए श्रीनगर पहुंचे हैं। यह संकेत है कि आतंकवादियों के विरुद्ध आप्रेशन आल आऊट चलाने के साथ-साथ मोदी सरकार अपने प्लान बी के अंतर्गत उनसे वार्ता की पेशकश कर संतुलन बनाए रखने की कोशिश भी कर रही है।

12 जून को आतंकवादियों द्वारा सी.आर.पी.एफ. के 5 जवानों की हत्या से स्पष्ट है कि आतंकवाद लगातार एक चुनौती बना हुआ है जिसे केवल बंदूक की ताकत से नहीं दबाया जा सकता। इसके लिए केंद्र को वार्ता का सहारा लेना ही होगा। अब देखना यह है कि श्री मलिक का आतंकवादी युवाओं को वार्ता का निमंत्रण कितना प्रभावित करता है। —विजय कुमार 

 


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