‘देश को खोखला कर रहा’ ‘भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का घुन’

punjabkesari.in Sunday, Nov 08, 2020 - 02:42 AM (IST)

देश में दशकों से बढ़ रही भ्रष्टाचार रूपी विष बेल पहले की भांति फल-फूल रही है और विडम्बना यह है कि भ्रष्टाचार उन्मूलन तथा कानून व्यवस्था के लिए जिम्मेदार विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारी भी इसमें संलिप्त हो गए हैं जिसके 12 दिनों के 17 उदाहरण निम्र में दर्ज हैं : 

* 27 अक्तूबर को ‘नशा निवारक कानून’ के अंतर्गत गिरफ्तार आरोपी को जमानत दिलवाने के बदले रिश्वत लेने के आरोप में ‘खालड़ा’ थाना के ए.एस.आई. सतनाम सिंह को गिरफ्तार कर सस्पैंड किया गया।  
* 28 अक्तूबर को फरीदकोट सैंट्रल जेल में बंद एक विचाराधीन हत्यारोपी को केस दर्ज करने का भय दिखा कर उससे 15,000 रुपए रिश्वत लेने के आरोप में जेल का सहायक सुपरिंटैंडैंट हरबंस सिंह पकड़ा गया। 
* 4 नवम्बर को पलवल में गौवध के आरोपियों से 80,000 रुपए रिश्वत लेते हुए एक ए.एस.आई. इकबाल और हवलदार धर्मेंद्र को दबोचा गया। 

* 4 नवम्बर को ही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने राजस्थान के ‘बारां’ जिले के नायब तहसीलदार हरि प्रकाश गुप्ता और ‘जालौर’ जिले के जूनियर सहायक बाबू लाल को क्रमश: 25,000 रुपए और 7700 रुपए रिश्वत लेते हुए पकड़ा।
* 5 नवम्बर को राजस्थान के ‘चूरू’ में ‘पारिवारिक न्यायालय’ के दर्जा चार कर्मचारी ‘भगवती प्रसाद’ को शिकायतकत्र्री के पति के विरुद्ध वसूली वारंट जारी करवाने की एवज में 40,000 रुपए रिश्वत लेते हुए काबू किया गया। 

* 5 नवम्बर को ही जयपुर में एक व्यक्ति को जारी ‘गुड्स एंड सर्विसिज़ टैक्स’ (जी.एस.टी.) का नोटिस दबाने के लिए 40,000 रुपए रिश्वत लेने के आरोप में विभाग के सुपरिंटैंडैंट और इंस्पैक्टर को पकड़ा गया। 
* 5 नवम्बर को ही बीकानेर में पैट्रोल पम्प चलाने के लिए ‘अनापत्ति प्रमाण पत्र’ (एन.ओ.सी.) जारी करने के बदले में 50,000 रुपए रिश्वत लेते हुए एग्जीक्यूटिव इंजीनियर ‘दान सिंह मीणा व तकनीकी सहायक सीता राम वर्मा’ को गिरफ्तार किया गया। 
अगले दिन 6 नवम्बर को अधिकारियों ने सीता राम के जयपुर स्थित मकान की तलाशी लेकर एक अलमारी में गुप्त रूप से बनाए गए लॉकर में छिपा कर रखे हुए 48 लाख रुपए जब्त किए। 

* 6 नवम्बर को राजस्थान में करौली थाना के अंतर्गत चंदेलीपुरा के चौकी इंचार्ज श्रीकृष्ण को एक समुदाय विशेष के विरुद्ध कार्रवाई करने के बदले 15,000 रुपए की रिश्वत लेते काबू किया गया।  
* 6 नवम्बर को ही प्रवत्र्तन निदेशालय (ई.डी.) ने अनेक प्लाट, फ्लैट, चौपहिया वाहन और बैंकों में जमा राशि सहित ‘पटना मैडीकल कालेज’ के पूर्व सुपरिंटैंडैंट ओ.पी. चौधरी की 3 करोड़ रुपए से अधिक की सम्पत्ति जब्त की। 
* 6 नवम्बर को ही चंडीगढ़ में पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने 2 सिपाहियों सर्बजीत सिंह और इकबाल सिंह तथा 2 अन्य व्यक्तियों जसप्रीत सिंह और सिमरनजीत सिंह को एक बस आप्रेटर के विरुद्ध केस दर्ज करने की धमकी देकर उससे 15,000 रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। 

* 6 नवम्बर को ही विजीलैंस विभाग ने ‘एंटी पावर थैफ्ट थाना’ बङ्क्षठडा में तैनात हवलदार वजीर सिंह को 13,000 रुपए रिश्वत लेते हुए पकड़ा।
* 6 नवम्बरको ही बिहार के बक्सर में एक ‘पोस्टमास्टर’ अरुण कुमार पांडे अपने ही एक कर्मचारी से 11,000 रुपए रिश्वत मांगता काबू आया।
* 6 नवम्बर को ही पटना के गुरु गोङ्क्षबद सिंह अस्पताल में क्लर्क ‘अंजनी कुमार वर्मा’ को शिकायतकत्र्ता से 50,000 रुपए रिश्वत लेते पकड़ा। 
* 6 नवम्बर को ही चंडीगढ़ स्थित सैंट्रल ‘गुड्स एंड सर्विसिज़ टैक्स’  (जी.एस.टी.) विभाग के सुपरिंटैंडैंट को शिकायतकत्र्ता से 20,000 रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया । 

* 6 नवम्बर को ही कानपुर के एक फार्मा व्यवसायी को धमका कर उससे 10 लाख रुपए रिश्वत लेने के आरोप में श्रीगंगानगर के जवाहर नगर थाने के कांस्टेबल ‘नरेश चंद्र मीणा’ को भ्रष्टाचार निवारक ब्यूरो ने रिमांड पर लिया।
* 7 नवम्बर को हिमाचल के हमीरपुर में एक रेंज आफिसर को गुप्त सूचना के आधार पर 1000 रुपए रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। ये तो मात्र 12 दिनों की वे घटनाएं हैं जिनकी रिपोर्ट दर्ज हुई है जबकि इनके अलावा भी न जाने कितनी ऐसी घटनाएं हुई होंगी। ऐसी ही घटनाओं को देखते हुए जुलाई, 2011 में केंद्रीय वित्त मंत्रालय में ‘पूर्व मुख्य वित्तीय सलाहकार कौशिक बसु ने कहा था’ कि ‘‘रिश्वत देना क्यों न वैध घोषित कर दिया जाए क्योंकि यह बुराई कतई रुकने वाली नहीं है।’’ 

इसी प्रकार मार्च, 2019 में भारत के प्रमुख न्यायवेत्ता श्री फली एस. नरीमन ने एक भ्रष्टाचार विरोधी गोष्ठी में कहा था कि : ‘‘भारत में भ्रष्टाचार के विरुद्ध अभियान सफल नहीं हुआ है और यह एक सुनामी बन गया है...शायद हम (अपने जीते जी) भ्रष्टाचार का अंत नहीं देखेंगे... मुझे संदेह है कि यहां मौजूद कोई भी व्यक्ति चाहे वह कितना ही युवा क्यों न हो, कभी भ्रष्टाचार का अंत नहीं देख पाएगा...लोगों में भ्रष्टाचार के प्रति सहनशीलता दिखाई दे रही है और हमें इसे सहते रहना होगा।’’ भ्रष्टाचार के मामलों का लगातार सामने आना इस तथ्य का मुंह बोलता प्रमाण है कि इसे नकेल डालने के तमाम सरकारी दावों के बावजूद यह बढ़ता जा रहा है और केवल घोषणाओं से समाप्त होने वाला नहीं है। देश में हजारों अधिकारी और कर्मचारी रिश्वत लेते हुए पकड़े जाने के बावजूद आज भी सरकारी नौकरियों में बने हुए हैं। इसी प्रकार भ्रष्टïाचार में लिप्त रहे अनेक नेता संसद और विधानसभाओं तथा अपने जीवन में यह सभी कुछ कर रहे हैं। 

यदि अधिकारी और कर्मचारी इसी प्रकार भ्रष्टाचार करके देश के उत्थान में लगने वाला ‘करोड़ों-अरबों रुपयों’ का सार्वजनिक धन लूटते रहेंगे तो वह धन व्यर्थ चला जाएगा और देश को घुन की तरह खोखला कर देगा। अत: इस बुराई पर रोक लगाने के लिए सरकार को दोषियों के विरुद्ध कठोर और शिक्षाप्रद कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि इस कुप्रवृत्ति पर रोक लगा कर देश का करोड़ों-अरबों रुपया बचाया जा सके और इसके प्रयोग से देश तरक्की की राह पर अग्रसर हो। नरीमन के अपरोक्त विचारों से हम पूर्णत: सहमत हैं कि हमारे देश से भ्रष्टाचार की बुराई कभी समाप्त नहीं होगी और देश इसी प्रकार लुटता रहेगा। हम विस्तारवादी नहीं हैं। लोगों का धन देश की उन्नति के लिए ही है अत: इसका उपयोग देश हित में ही होना चाहिए।—विजय कुमार 


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