दिल्ली बार्डर पर रास्ते बंद होने से उद्योग-व्यवसायों को हो रही भारी क्षति

punjabkesari.in Friday, Aug 27, 2021 - 04:57 AM (IST)

केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर बल देने के लिए दिल्ली सीमा पर 26 नवम्बर, 2020 से जारी आंदोलन का कोई हल 9 महीनों के बाद भी नहीं निकल सका है तथा लम्बे समय से मुख्य सड़कें व हाईवे बंद होने से लोगों को भारी परेशानी हो रही है। इसी के दृष्टिगत सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकारों को 2 सप्ताह के भीतर इसका समाधान निकालने के लिए कहा है। सिंधु और टिकरी सीमा पर किसान आंदोलन के कारण दिल्ली तक जाने के लिए लम्बा रास्ता तय करना पड़ रहा है। टिकरी बार्डर पर जाम के चलते आस-पास के व्यापारिक और औद्योगिक प्रतिष्ठान बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। अनेक प्रतिष्ठान तो 26 नवम्बर, 2020 के बाद खुले ही नहीं हैं। 

आंदोलन के कारण न तो उद्योगों के लिए कच्चा माल आ पा रहा है और न ही तैयार माल बाहर जा रहा है। इसी सिलसिले में गत माह ‘बहादुरगढ़ फुटवियर एसोसिएशन’ के शिष्टïमंडल ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से भेंट करके उन्हें अपनी समस्याओं से अवगत करवाया था। बहादुरगढ़ के 9000 से अधिक बड़े-छोटे व्यापारिक और औद्योगिक प्रतिष्ठानों के संगठन ‘बहादुरगढ़ चैम्बर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज’ ने भी केंद्र और राज्य सरकार को इस आंदोलन के प्रतिकूल प्रभावों के बारे में बताया था पर कोई कार्रवाई न होने के बाद अब इन्होंने जाम समाप्त करवाने के लिए सुप्रीमकोर्ट से गुहार लगाने का फैसला किया है। 

संगठन के वरिष्ठ उपप्रधान नरेंद्र छिकारा के अनुसार इस जाम के कारण यहां की औद्योगिक इकाइयों को प्रतिमाह लगभग 2000 करोड़ रुपए का नुक्सान होने के अलावा 2000 औद्योगिक इकाइयां या तो बंद हो गई हैं या बंद होने की कगार पर पहुंच गई हैं तथा रूट बदल कर दिल्ली और दूसरे स्थानों से कच्चा माल लाने के कारण उत्पादन लागत में 300 से 400 प्रतिशत तक वृद्धि हो रही है। यह समस्या केवल बहादुरगढ़ तक ही सीमित नहीं है बल्कि इस जाम का दूरगामी प्रभाव अन्य क्षेत्रों पर भी पड़ रहा है। 

अत: केंद्र और संबंधित राज्यों की सरकारों को यह समस्या दूर करने के लिए यथाशीघ्र प्रभावी कदम उठाने चाहिएं ताकि आम लोगों को हो रही असुविधा दूर होने के साथ-साथ उद्योग और व्यवसाय जगत को पहुंच रही क्षति भी रोकी जा सके। इसका एक विकल्प कृषि कानूनों को रद्द करना हो सकता है क्योंकि किसान संगठन अपने इस आंदोलन के लिए सरकार की हठधर्मिता को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। या फिर किसान संगठन उद्योगों के लिए रास्ता दें और अवैध कब्जे वाली जगह छोड़ें।—विजय कुमार  


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